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सीमा विस्वास : फूलन बन लूटा लाखों का दिल

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नई दिल्ली 13-Jan-2017

'बैंडिट क्वीन', 'विवाह', 'खामोशी', 'वॉटर', 'एक हसीना थी', 'हजार चौरासी की मां' जैसी फिल्मों में उत्कृष्ट अभिनय से पहचान बनाने वाली अभिनेत्री सीमा विस्वास की गिनती देश की प्रतिभाशाली अभिनेत्रियों में की जाती है।दस्यु सुंदरी फूलन देवी के जीवन पर बनी शेखर कपूर की फिल्म 'बैंडिट क्वीन' में फूलन के किरदार को जीवंत कर उन्होंने रातोंरात सुर्खियां बटोरीं। असल जिंदगी और सत्य घटनाओं पर आधारित इस फिल्म के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा गया। उन्होंने तपी-तराशी अभिनेत्री के रूप में अपनी पहचान बनाई। 'बैंडिट क्वीन' को लोगों ने ग्लैमर के नजरिए से देखा, जबकि यह आपराधिक पृष्ठभूमि पर आधारित थी। फिल्म में फूलन देवी के साथ दुष्कर्म जैसी कई मुश्किल परिस्थितियां दिखाई जाती हैं। वहीं 18 साल पहले उन्होंने फूलन देवी की भूमिका का बखूबी प्रस्तुति दी। इसके बाद उन्होंने खुद को एक ही तरह की पृष्ठभूमि से बांधकर नहीं रखा, बल्कि अलग तरह के किरदारों से दर्शकों का मन मोह लिया।

सीमा विस्वास का जन्म असम के नलबाड़ी जिले में 14 जनवरी, 1965 को हुआ। वह अपने जीवन के प्रारंभ में ही भूपेन हजारिका, फणि शर्मा और विष्णु प्रसाद राभा जैसे कलाकारों से मिलीं और उनसे प्रेरणा पाकर आगे बढ़ीं। सीमा ने नलबाड़ी कॉलेज में राजनीति विज्ञान की पढ़ाई की और बाद में नई दिल्ली स्थित नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) में प्रशिक्षण लिया।उन्होंने कृष्णा कार्था की असमिया फिल्म 'अमशीनी' में नायिका के रूप में अपने अभिनय की शुरुआत की। यह फिल्म 1988 के फिल्मोत्सव में भी शामिल की गई थी। हालांकि, उनके करियर की शुरुआत 'बैंडिट क्वीन' से हुई। फिल्मकार शेखर कपूर ने जब एनएसडी में उनका अभिनय देखा, तो उन्होंने अपनी इस खास फिल्म का प्रस्ताव सीमा बिस्वास के सामने रखा। इस फिल्म की कामयाबी के बाद उन्होंने फिर असमिया सिनेमा की ओर रुख कर लिया।सीमा बिस्वास ने अभिनय क्षेत्र में अलग-अलग किरदारों को निभाने में अपनी रुचि दिखाई। उन्होंने मराठी, मलयालम और तमिल फिल्मों में भी अपने अभिनय के जलवे बिखेरे। उन्होंने 'बिंदास्त' जैसी कई मराठी फिल्मों में भी अपने अभिनय की छाप छोड़ी।सीमा को निदेशक संदीप मारवाह द्वारा लाइफ मेंबरशिप ऑफ इंटरनेश्नल फिल्म और टेलीविजन क्लब ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन से सम्मानित किया गया।वह 2014 में भारत के 45वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) के प्रतिष्ठित पांच सदस्यीय निर्णायक मंडल की सदस्य बनीं। 

इसका आयोजन पिछले साल गोवा में 20 से 30 नवंबर तक हुआ था।सीमा ने कई फिल्मों में अपने खास अंदाज से दर्शकों के दिल में जगह बनाई। उन्होंने 'अमल', 'भोपाल मूवी', 'ब्रेकिंग न्यूज', 'कमागता मरू', 'रिस्क', 'शून्य', 'विवाह', 'जिंदगी रॉक्स', 'मुंबई गॉडफादर', 'द व्हाइट लैंड', 'कहानी गुड़िया की', 'वाटर', 'काया तरन', 'हनन', 'एक हसीना थी', 'दोबारा', 'भूत', 'बूम', 'पिंजर', 'घाव', 'कंपनी', 'दीवानगी', 'ध्यासपर्व', 'बिंदास्त', 'समर', 'हजार चौरासी की मां' व 'खामोशी' जैसी फिल्मों में अपनी अभिनय प्रतिभा को चरम तक पहुंचाया।सीमा बिस्वास ने 'बैंडिट क्वीन' के लिए फिल्म पुरस्कार भी जीता। साथ ही 1996 की फिल्म 'खामोशी' की सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के लिए उन्होंने स्टार स्क्रीन पुरस्कार जीता। वर्ष 2001 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भी सीमा ने अपने नाम किया।उन्होंने फिल्म 'वाटर' के लिए 26वां गिनी पुरस्कार जीता और 'मिडनाइट्स चिल्ड्रन' के लिए कनाडा स्क्रीन पुरस्कार जीता। उन्हें जन्मदिन और मकर संक्रांति की एक साथ बधाई!