5 Dariya News

'विज्ञान में अव्वल देश दुनिया पर राज करेगा'

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नई दिल्ली 07-Jan-2017

देश की पिछली सरकारों ने विज्ञान व प्रौद्योगिकी को बेहद महत्व दिया है, जिसका परिणाम है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) लगातार कामयाबी की नई बुलंदियों को छू रहा है और वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि मौजूदा सरकार भी विज्ञान की अनदेखी नहीं करेगी। भारतरत्न से सम्मानित तथा प्रख्यात अंतर्राष्ट्रीय रसायनविद् सी.एन.आर.राव ने कहा है कि जहां तक विज्ञान की बात है, तो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इसे बेहद बढ़ावा देने वालों में से थे और उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान विज्ञान व प्रौद्योगिकी के लिए बहुत कुछ किया। उन्होंने उम्मीद जताई है कि मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार भी देश में विज्ञान के विकास के लिए अच्छे वैज्ञानिकों से परामर्श लेंगे, क्योंकि दुनिया पर वही राज करेगा जो विज्ञान में अव्वल होगा।

उन्होंने कहा, "डॉ.मनमोहन सिंह के साथ काम करना शानदार अनुभव रहा। उनके कार्यकाल के दौरान हम विज्ञान व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बहुत कुछ कर सके। वह विज्ञान को बहुत बढ़ावा देने वालों में से थे। हम प्रधानमंत्री मोदी के साथ भी देश में विज्ञान व प्रौद्योगिकी क्षेत्र के आशावादी भविष्य की कामना करते हैं।"बेंगलुरू से आईएएनएस को ई-मेल के माध्यम से दिए गए एक साक्षात्कार में राव ने कहा, "आशा है कि वह (मोदी) अच्छे वैज्ञानिकों से परामर्श लेंगे और भारत में विज्ञान व प्रौद्योगिकी के विकास के लिए एक रोड मैप बनाएंगे, ताकि देश वास्तव में एक उन्नत व अत्याधुनिक देश बने।"1500 से अधिक शोधपत्रों तथा विज्ञान की 45 किताबों के लेखक राव ने अपनी जीवनी 'ए लाइफ इन साइंस' में अपने दृष्टिकोण को साझा किया है। इस पुस्तक का विमोचन बीते साल नवंबर में हुआ था।

उन्होंने कहा, "विज्ञान भारत और बाकी दुनिया के लिए जरूरी है और इससे कोई भी इनकार नहीं कर सकता। दुनिया पर वही देश राज करेंगे, जो विज्ञान में उन्नत होंगे। हमें भारत में विज्ञान के लिए अभी बहुत कुछ करना है।"राव ने कहा, "सरकार से इतर हम महसूस करते हैं कि विकास व आर्थिक प्रगति को विज्ञान व प्रौद्योगिकी मूलभूत आधार प्रदान करता है।"उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी बेहद दूरदर्शी हैं और भारत के लिए बहुत कुछ करना चाहते हैं। मैं इस बात से आश्वस्त हूं कि वह इस बात से अवगत हैं कि विज्ञान व प्रौद्योगिकी में अव्वल देश ही दुनिया का नेतृत्व कर सकता है तथा नवाचार व औद्योगिकी विकास की राह में आ रही दिक्कतों का समाधान कर सकता है।"

वैज्ञानिक ने कहा, "भारत में प्रतिस्पर्धी अनुसंधान के दौरान मैं कई तरह की परेशानियों और सीमाओं से गुजरा। हालांकि लगातार प्रयास तथा दृढ़ता के बल पर जहां भी जरूरत पड़ी और सुविधाएं मिलीं मैं शोध की प्रकृति और यहां तक कि दिशा तक बदलने में कामयाब रहा।"राव ने हालांकि कहा कि बीते 15-20 वर्षो के दौरान, उन्हें उस तरह की सुविधाएं मिलीं, जिनकी उन्हें दरकार थी, लेकिन इसमें काफी वक्त लग गया।उन्होंने कहा, "महत्वपूर्ण चीज संयम व दृढ़ता है। भारत में सफलता प्राप्त करने के लिए यह जरूरी है। दूसरा महत्वपूर्ण पहलू शोध समस्या का विकल्प है। किसी को सही समस्या को उठाना होगा, जिसका वह समाधान निकालना चाहता है।"'ए लाइफ इन साइंस' में सबसे मशहूर, समर्पित तथा व्यापक रूप से सम्मानित वैज्ञानिकों में से एक राव के जीवन की दुर्लभ झलक है।

उन्होंने कहा, "शुरुआती दौर में ही कई तरह की परेशानियों तथा निश्चित सीमाओं के बावजूद भारत में 60 वर्षो से अधिक समय तक शोध के बावजूद मैं खुद को खुशकिस्मत शख्स महसूस करता हूं। मेरा कैरियर शानदार रहा और मैंने उन सबका आनंद लिया जो मैंने किया।"इस सवाल के जवाब में कि विज्ञान के किस खास क्षेत्र में मोदी को ध्यान देना चाहिए, राव ने कहा कि भारत में तीन तरह के वैज्ञानिक शोध की जरूरत है।उन्होंने सलाह देते हुए कहा, "सबसे पहले भारत को ब्लू स्काई रिसर्च (बिना स्पष्ट उद्देश्य का शोध तथा उत्सुकता पर आधारित विज्ञान) को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि भारत विज्ञान के नवीनतम विकास में प्रतिस्पर्धी हो सके। इसके बाद हमें लोगों की महत्वपूर्ण समस्याओं जैसे ऊर्जा, जल, पर्यावरण, बीमारियां इत्यादि पर काम करना चाहिए। और अंत में हमें उन समस्याओं पर काम करना चाहिए जो केवल भारत में हैं और हमारे औद्योगिक प्रगति को लेकर काम करना चाहिए।"अपनी पुस्तक में राव ने इस बात पर खेद जताया है कि स्वतंत्रता के बाद हमने बिग साइंस (महंगे शोध) को महत्व दिया, जबकि स्मॉल साइंस को नजरअंदाज किया।राव दुनिया के लगभग सभी महत्वपूर्ण विज्ञान अकादमी के सदस्य हैं और मेटेरियल साइंस में उन्हें 'डैन डेविड' प्राइज मिल चुका है, साथ ही 70 विश्वविद्यालयों से उन्हें मानद उपाधि भी मिल चुकी है।