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महेंद्र सिंह धौनी का एक और हेलीकाप्टर सिक्सर, सौंप दी विराट को पूरी कमान

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05-Jan-2017

दिग्गज क्रिकेट खिलाड़ी महेंद्र सिंह धौनी ने जैसे आस्ट्रेलिया में आखिरी सिडनी टेस्ट के पूर्व खेल के दीर्घावधि संस्करण से अचानक संन्यास की घोषणा से क्रिकेट जगत को चौंका दिया था, ठीक वैसे ही उन्होंने इंग्लैंड के साथ एक दिनी सिरीज के लिए टीम की घोषणा के दो दिन पहले सीमित ओवरों और टी-20 की कप्तानी छोड़कर भारतीय क्रिकेट की समूची कमान विराट कोहली के सौंपते हुए जबरदस्त धमाका कर दिया। रांची जैसे छोटे शहर से निकल कर देश की क्रिकेट की बागडोर संभालने वाले इस उत्तराखंडी के समग्र खेल और व्यक्तित्व का आकलन तो उनके दस्ताने और बल्ला खूंटी पर टांगने के बाद ही होगा, मगर निस्संदेह देश को अप्रतिम उपलब्धि से नवाजने वाले इस कैप्टन कूल पर लगे सफलतम सेनानायक के टैग को सलाम करने का यह अवसर है।

बतौर कप्तान अपने नौ बरस के गौरवपूर्ण कार्यकाल के दौरान क्रिकेट के हर संस्करण के माउंट एवरेस्ट का स्पर्श करने वाले धौनी ने, जिन्हें क्रिकेट बिरादरी एमएस के नाम से जानती है, देश को तब अचानक पाताल से शिखर पर ला दिया जब कैरेबियाई देशों में सम्पन्न विश्वकप के पहले ही दौर से बाहर होने के बाद टीम इंडिया खुद को रसातल में पा रही थी। वाकई यह अकल्पनीय ही था जब उस दुखद दौर के चंद महीनों बाद ही एक युवा टीम को साथ लेकर धोनी ने नाटकीय अंदाज में पहला टी-20 विश्व कप जीत कर अपनी महान नेतृत्व क्षमता का प्रथम दर्शन कराया और उसके बाद फिर मुड़ कर नहीं देखा।

टेस्ट में टीम को पहले नंबर की टीम बनाने वाले धौनी ने 2011 विश्व कप और दो साल बाद चैंपियंस ट्राफी पर भी हाथ साफ करते हुए आईसीसी की तीनों विश्व ट्राफी देश को दिलाने का वह अद्वितीय कीर्तिमान स्थापित कर दिया जिसे तोड़ना किसी आगामी भारतीय कप्तान के लिए नामुमकिन तो नहीं पर दुरूह कार्य तो होगा ही।धौनी युवा नहीं रह गए हैं, इस बात का उन्हें बखूबी अहसास है। टेस्ट से अवकाश इसी सोच का परिणाम था। वैसे ही उन्होंने दबाव मुक्त होकर बतौर विकेटकीपर बल्लेबाज टीम में फटाफट क्रिकेट खेलने का स्तुत्य फैसला लिया है। कप्तानी छोड़ते वक्त उन्होंने कहा भी कि कोहली को दल की बागडोर सौंपने का समय आ गया है। दुनिया के तीव्रतम स्टम्पर के रूप में अपनी पहचान बना चुके धौनी इस स्तर पर आकर बैकस्टापर से महान विकेटकीपर के तौर पर विकसित हुए, यह कम हैरतअंगेज नहीं। उन्होंने युवाओं को इससे एक संदेश दिया कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। यही नहीं शुद्धतावादियों को मुंह चिढ़ाते हुए उन्होंने बल्लेबाजी में अपनी खांटी देसी शैली विकसित की और हाथ झुला कर हेलीकाप्टर शाट के जनक भी वह बने। 

बल्लेबाजी व्याकरण की किताब में यह स्ट्रोक उनके नाम से जुड़ भी चुका है। धौनी की मंशा 2019 विश्व कप तक खेलने की है। उन्होंने दोनों संस्करणों में बतौर खिलाड़ी अपनी उपलब्धता घोषित कर दी है। कोहली को उनके अथाह अनुभव की फिलहाल सख्त जरूरत है, मगर देखने वाली बात यह है कि पावर क्रिकेट के दौर में इस स्तर पर समुचित मैच अभ्यास के अभाव में क्या धौनी अगले विश्व कप तक अपनी फिटनेस बरकरार रखने में सफल रहेंगे और उनकी जो शैली है और जिसके लिए चपलता के साथ ही हाथ-पांव-आंख का संयोजन अपरिहार्य माना जाता है, क्या ये तत्व उनका तब तक साथ देंगे? फिलहाल यह करोड़ टके का सवाल है, लेकिन जैसा कि सचिन तेंदुलकर ने कहा कि फिलहाल तो यह धोनी की उपलब्धियों के जश्न मनाने का समय है।

(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)