5 Dariya News

पी. वी. सिंधु के रथ पर सवार भारतीय बैडमिंटन नए शिखर पर

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नई दिल्ली 29-Dec-2016

भारतीय बैडमिंटन के लिए वर्ष 2016 इतिहास में नए पन्ने लिखकर गया और बैडमिंटन ने भारत में लोकप्रियता की नई इबारत लिखी।भारतीय बैडमिंटन को विश्व पटल पर नई चमक देने वाली अब तक की सबसे सफल भारतीय महिला खिलाड़ी सायना नेहवाल जब अपने सबसे बुरे वर्ष से गुजरीं तो पी. वी. सिंधु ने आगे आकर उनके हाथ से भारतीय ध्वज थाम लिया और उसे विश्व आकाश में उसे नई ऊंचाइयों पर लहराया।रियो ओलम्पिक में रजत पदक जीतने वाली पी. वी. सिंधु विश्व बैडमिंटन का नया सितारा बनकर उभरीं।रियो में भारतीय खेल प्रेमियों की उम्मीदें तो सायना से थीं, लेकिन दुर्भाग्यवश चोटिल सायना ग्रुप दौर से आगे नहीं बढ़ सकीं। ऐसे समय में सिंधु ने भारतीय उम्मीदों को अपने कंधों पर बखूबी उठाया। सिंधु ओलम्पिक में रजत पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला बनीं।ओलम्पिक में सिंधु का फाइनल मैच भारतीय दर्शकों को रोमांच के चरम पर ले गया और दशकों बाद क्रिकेट के अलावा किसी अन्य खेल के लिए सड़कें सूनी हो गईं और बैडमिंटन की एबीसी. भी न जानने वाले टकटकी लगाए सिंधु को सोने के लिए लड़ता देखते रहे।

फाइनल में सर्वोच्च विश्व वरीयता प्राप्त स्पेन की कैरोलीना मारिन के हाथों संघर्षपूर्ण मैच हारने से पहले सिंधु ने लावा सारोकी, मिशेल ली, वांग यिहान, नोजोमी ओकुहारा जैसी दिग्गज और अलग-अलग शैली की खिलाड़ियों को धूल चटाई।सिंधु ने भी भारतीय खेल प्रेमियों को निराश नहीं किया और पूरे वर्ष शानदार प्रदर्शन करते हुए एक के बाद एक कई खिताब जीते। सिंधु ने साल का आगाज ही खिताब के साथ किया। उन्होंने 19-24 जनवरी के बीच हुए मलेशियन मास्टर्स का खिताब 2013 के बाद दोबारा जीता।सिंधु का खेल इस साल दिन-प्रतिदिन बेहतर होता चला गया। ओलम्पिक की सफलता ने सिंधु के आत्मविश्वास में जबरदस्त इजाफा किया। इसी का नतीजा था कि वह नवंबर में चीन ओपन में अपना पहला सुपर सीरीज खिताब जीतने में सफल रहीं। उन्होंने हांग कांग ओपन में भी फाइनल तक का सफर तय किया और पहली बार वर्ष के आखिरी मेजर टूर्नामेंट वर्ल्ड सुपर सीरीज फाइनल्स के लिए भी क्वालिफाई करने में सफल रहीं।वर्ल्ड सुपरसीरीज फाइनल्स में सिंधु ने रियो की खिताबी हार का बदला लेते हुए मारिन को मात दी, हालांकि सेमीफाइनल में उन्हें हारकर बाहर होना पड़ा।

सिंधु की सफलता रैंकिंग में भी देखने को मिली। सिंधु ने पहली बार विश्व रैंकिंग में सायना को पछाड़ा और अपनी सर्वश्रेष्ठ छठी विश्व रैंकिंग हासिल की और इसी रैंकिंग पर रहते हुए वर्ष का समापन किया।सायना ने साल की शुरुआत तो अच्छी की थी और आस्ट्रेलियन सुपर सीरीज खिताब जीता, लेकिन चोट के कारण उन्हें साल का काफी हिस्सा कोर्ट से दूर रहना पड़ा। सायना के घुटने की चोट ने उनके अभियान को बड़ा झटका दिया।ओलम्पिक के बाद उन्होंने घुटने की सर्जरी करानी पड़ी। ऑपरेशन के बाद सायना कोर्ट पर तो लौट चुकी हैं, लेकिन भारतीय खेल प्रेमियों को अभी उनके पूरी तरह लय में लौटने का इंतजार है।वहीं पुरुष खिलाड़ियों में सौरभ वर्मा इस साल भारतीय बैडमिंटन में उभर कर सामने आए हैं। उन्होंने सभी को हैरान करते हुए चीनी ताइपे टूर्नामेंट का खिताब अपने नाम किया। वह इस साल तीन अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के फाइनल में पहुंचे।चोटिल पारुपल्ली कश्यप की गौरमौजूदगी में किदाम्बी श्रीकांत से रियो में सभी को पदक की उम्मीद थी। श्रीकांत रियो से पदक तो नहीं ला सके, लेकिन उनके आक्रामक खेल ने जरूर बैडमिंटन प्रेमियों की उनसे उम्मीद बढ़ा दी है।