5 Dariya News

चुनावी मौसम में उप्र में योजनाओं की झड़ी

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लखनऊ 25-Dec-2016

जल्द ही चुनावी महासमर में उतरने जा रहे राज्य उत्तर प्रदेश में योजनाओं की झड़ी लग गई है। इनमें आधारभूत ढांचा परियोजनाएं, सड़क निर्माण, रिवरफ्रंट परियोजनाएं, नई स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं, अस्पताल, पेंशन योजनाएं, निर्धन वरिष्ठ नागरिकों के लिए मुफ्त इलाज और नए कैंसर संस्थान आदि शामिल हैं।राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस राज्य में अगले साल के शुरू में विधानसभा चुनाव होने वाला है। इसलिए मतदाताओं को लुभाने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा विकासात्मक और जन कल्याणकारी योजनाएं शुरू करने का श्रेय लेने की होड़ मची हुई है।ऐसे में यह आश्चर्य की बात नहीं है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव नई परियोजनाओं की घोषणाएं कर रहे हैं और निर्माणाधीन परियोजनाओं का उद्घाटन कर रहे हैं। उनका भी उद्घाटन करे दे रहे हैं जो अभी पूरी भी नहीं हुई हैं।उधर, केंद्र सरकार ने भी अपने मंत्रियों को इस राज्य के लिए बड़ी परियोजनाओं की घोषणा कर चुनावी हवा भाजपा के पक्ष में करने को कहा है। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को उप्र में 80 में 71 सीटें हासिल हुई थीं।

समाजवादी पार्टी (सपा) की ओर से 43 वर्षीय मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 15 दिनों में 75,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का उद्घाटन या शिलान्यास किया है।अखिलेश यादव ने हरी झंडी दिखाकर अभी भी निर्माणाधीन लखनऊ मेट्रो रेल लाइन पर ट्रायल रन की शुरुआत कर दी। कई कृषि-व्यापार परियोजनाओं और 50 सरकारी अस्पतालों का शिलान्यास किया, राज्य के 27 लाख सरकारी कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू कीं, छात्रों के लिए मुफ्त लैपटॉप का वितरण हो ही रहा है, साथ ही सत्ता में वापसी होने पर लोगों को स्मार्ट फोन देने का वादा कर रहे हैं (इसके लिए पहले ही एक करोड़ लोगों का पंजीकरण हो चुका है) और 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों की सूची में शामिल करने की अनुशंसा की है।सत्ता पक्ष की हड़बड़ी को इसी से आंका जा सकता है कि राज्य मंत्रिमंडल ने अप्रत्याशित रूप से लगातार दो दिन बैठक की, 1683 करोड़ रुपये के अनुपूरक बजट की अनुमति दी और कई योजनाओं जैसे वरिष्ठ नागरिकों के मुफ्त इलाज ( 30 हजार रुपये तक ) को हरी झंडी दिखाई गई, पूर्वाचल एक्सप्रेसवे के लिए 1000 करोड़ रुपये और प्रचार-प्रसार के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, 30 नए विकास खंड और अनेक तहसील बनाने की मंजूरी दी गई। 

साथ ही वृंदावन की विधवाओं की पेंशन राशि 550 रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर 5050 रुपये की गई।हालांकि, इन भारी भरकम घोषणओं से पहले से ही तंगहाल राज्य के खजाने पर दबाव बढ़ने की संभावना है। लेकिन राज्य के सत्ताधारी पार्टी के लोग इसे जनहित में जायज ठहरा रहे हैं।उधर, केंद्र में भाजपानीत राजग सरकार उप्र के रण के राजनीतिक प्रभाव से अवगत है, इसलिए वह भी सक्रिय मोड में है।वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों जैसे राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, कलराज मिश्र, राधामोहन सिंह, उमा भारती, मनोज सिन्हा, राजीव प्रताप रूडी, मुख्तार अब्बास नकवी और वी.के. सिंह प्रदेश का दौरा कर रहे हैं और केंद्र पोषित योजनाओं और परियोजनाओं की घोषणाओं की झड़ी लगा रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रदेश से ही सांसद प्रधानमंत्री मोदी भी चुनावी लड़ाई के लिए तैयार हो रहे हैं।

मोदी ने रैलियों को संबोधित करने के अलावा उन्होंने वाराणसी के लिए 2100 करोड़ रुपये मूल्य की परियोजनाओंऔर कानपुर में कई हजार की योजनाओं की शुरुआत की है। वाराणसी उनका संसदीय क्षेत्र भी है।भाजपा सूत्रों ने आईएएनएस से कहा कि कानून एवं व्यवस्था की खराब स्थिति के अलावा पार्टी विधानसभा चुनावों में विकास को मुद्दा बनाने पर भी ध्यान देगी। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने संसदीय क्षेत्र लखनऊ को कई हजार करोड़ की लागत से शहर में एक रिंग रोड बनाने और रेलवे स्टेशन को संवारने की योजनाएं तोहफे के रूप में दीं।प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत केंद्र सरकार ने राज्य में 384 करोड़ रुपये की लागत से गरीबों के लिए 11,000 घर बनाने की स्वीकृति दी है। केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी उप्र में कई सड़क परियोजनाएं शुरू की हैं।राज्य के उथल-पुथल वाले इस माहौल में अगले साल विधानसभा चुनाव होंगे। इससे पहले यहां के लोग हर तरफ से दिए जा रहे इस खास ध्यान का लुत्फ उठा रहे हैं।