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आरबीआई से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद नहीं : एसोचैम

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नई दिल्ली 18-Dec-2016

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा उद्योग जगत के अनुमानों के विपरीत ब्याज दरों में कटौती करने की संभावना नहीं है। आरबीआई के इस कदम से रुपये पर दबाव जारी रहेगा और अन्य वैश्विक कारक इस पर प्रभाव डालेंगे।उद्योग मंडल एसोचैम ने जारी बयान में कहा, "आरबीआई द्वारा नीतिगत ब्याज दरों में कटौती नहीं करने की संभावनाओं से डॉलर के मुकाबले रुपये पर प्रतिकूल प्रभाव जारी रह सकता है।"एसोचैम ने वृहत आर्थिक परिदृश्य पर शोध का हवाला देते हुए बयान जारी किया।बयान के मुताबिक, "यह सच है कि नोटबंदी और थोक एवं खुदरा महंगाी दर के निचले स्तर तक जाने की वजह से बैंकिंग प्रणली में पर्याप्त नकदी है लेकिन इसे सामान्य स्थिति के तौर पर नहीं देखा जा सकता।"बयान के मुताबिक, "प्रतिबंधित 500 और 1,000 रुपये के नोट पूरी तरह से बदल जाने और बैंकिंग प्रणाली में नई मुद्रा के पूर्ण प्रवाह के बाद परिदृश्य बदलेगा। 

इसके अलावा, चीनी और गेहूं जैसे कुछ कमोडिटीज में कीमतें बढ़ी हैं।" एसोचैम का कहना है कि सबसे बड़े जोखिमों में से एक अमेरिकी डॉलर में मजबूती और विकासशील देशों से अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा का वापस अमेरिकी अर्थव्यवस्था में जाना है, जिससे अन्य मुद्राओं पर दबाव बढ़ रहा है।बयान के मुताबिक, "डॉलर में मजबूती का देश के पूरी भुगतान प्रणाली पर प्रत्यक्ष एवं तत्काल प्रभाव पड़ा है, जिससे मध्यावधि में महंगाई बढ़ेगी।"अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने बुधवार को ब्याज दरों में 25 आधार अंकों का इजाफा किया है। दिसंबर 2015 के बाद दूसरी बार ब्याज दरें बढ़ाई गई हैं।एसोचैम का कहना है कि आठ नवंबर को नोटबंदी के फैसले का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर बुरा प्रभाव पड़ा है और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू किए जाने को लेकर अनिश्चितता बढ़ी है।