5 Dariya News

कांग्रेस के जोर जुल्म के दस्तावेज भी तैयार करें मनप्रीत - सुखदेव सिंह ढींढसा

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चंडीगढ़ 12-Dec-2016

शिरोमणि अकाली दल ने कांग्रेस के घोषणा पत्र में अंग्रेजों के जोर जुल्म की यादों को मिटाने के वादे को शिगूफा करार दिया है। दल ने कांग्रेस को सबसे पहले कांग्रेस के पंजाब और पंजाबियों पर ढाए जुल्मों के दस्तावेज तैयार करने की सलाह दी है। कांग्रेस का घोषणा पत्र तैयार करने वाले मनप्रीत बादल के बयान पर टिप्पणी करते हुए राज्य सभा सांसद और दल के महासचिव सुखदेव सिंह ढींढसा ने कहा कि मनप्रीत बादल को आजादी से पहले के मुर्दे उखाडऩे से पहले कांग्रेस के 70 वर्षों में पंजाब और पंजाबियों पर तोड़े जुल्मों को याद करना चाहिए। कांग्रेस ने इसकी शुरूआत सिक्खों को आपराधिक कबीले की संज्ञा देने के साथ की थी। इससे बाद पंजाबियों को 1966 तक पंजाबी भाषी इलाकों की बदौलत अलग पंजाब राज्य का दर्जा नहीं दे कर इस परंपरा को आगे बढ़ाया गया। 

जबकि 1956 तक स्थानीय भाषा के आधार पर कई इलाकों को अलग राज्य का दर्जा दे दिया गया था। पंजाब को पंजाब की अपनी राजधानी से महरूम रखा गया। पंजाब का पानी छीनने की कोशिश की गई। यहां तक कि पंजाबी भाषी इलाके राज्य का हिस्सा नहीं हैं। ढींढसा ने कहा कि कांग्रेस की पंजाब के साथ की गई ज्यादतियों का खुलासा नहीं होने तक मनप्रीत का घोषणा पत्र अधूरा ही रहेगा। उन्होंने कहा कि खबरें तो यह भी हैं कि मनप्रीत बादल ने घोषणा पत्र में पंजाब लॉ ऑफ हिस्टोरिकल मेमोरी बिल को भी पारित करने का वादा किया है। जिसके तहत भारत की परिस्थितियों, उत्थान और पतन के अलावा स्वतंत्रता संग्राम का उल्लेख किया जाएगा। 

प्रस्तावित बिल का मकसद पंजाब में ब्रिटिश राज को दुर्भागयपूर्ण और अपमानजनक काल के रूप में प्रतिस्थापित करना है।  उन्होंने कहा कि ब्रिटिश राज के इतिहास पर ही प्रतिबंध लगाना ही काफी नहीं है। जलियांवाला बाग की तुलना 1984 के सिक्खों के कत्लेआम से की जानी चाहिए। मनप्रीत चाहते हैं कि सिक्ख अहमद शाह अब्दाली के स्वर्ण मंदिर पर किए हमले को याद रखें। लेकिन इंदिरा गांधी के कार्यकाल में अकाल तख्त को दिए जख्मों को कैसे भुलाया जा सकता है। ढींढसा ने कहा कि दुर्भागयपूर्ण केवल ब्रिटिश राज ही नहीं था। सिक्खों पर हुए जुल्मो सितम के लिए कांग्रेस भी उतनी ही जिम्मेवार है।