नरेंद्र मोदी की बहराइच रैली फ्लॉप : मायावती
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लखनऊ 11-Dec-2016
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बहराइच रैली को फ्लॉप बताया। साथ ही कहा कि मोबाइल पर बोले मोदी की फिर वही घिसी-पिटी बात सुनकर लोग काफी निराश हुए। बसपा प्रमुख ने कहा कि मोदी कह रहे हैं कि विपक्ष उन्हें बोलते नहीं देता, मगर अपने पद की गरिमा भूलकर वह गलतबयानी कर लोगों को गुमराह कर रहे हैं और अपनी जवाबदेही से भाग रहे हैं। प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती बहराइच में प्रधानमंत्री की रैली को फ्लॉप बताते हुए कहा कि पूर्व की तरह ही इस बार भी जिले के बाहर के भाड़े के लोगांे व टिकटार्थियों को इकट्ठा किया गया। उम्मीद के हिसाब से कम लोग पहुंचे। उन्होंने कहा कि इन रैलियों के फ्लॉप होने से साबित होता है कि केंद्र सरकार की वादाखिलाफी और जनविरोधी नीतियों से भाजपा का जनाधार काफी खिसक गया है। खासकर उत्तर प्रदेश में भाजपा की हालत काफी ज्यादा खराब है। यही कारण है कि भाजपा अभी तक विधानसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम तक घोषित नहीं कर पा रही है।
उन्होंने कहा कि 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को यहां मात्र 47 सीटें व 15 प्रतिशत ही वोट मिले थे।मायावती ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बहराइच रैली को मोबाइल से संबोधित किए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में ज्यादातर पुरानी व घिसी-पिटी बातें ही दोहराई हैं और जनहित व जनसमस्या के निदान से संबंधित लोगांे की अभिरुचि की कुछ भी नई बात नहीं की, जिससे लोगों को काफी निराश होना पड़ा।मायावती ने कहा कि नोटबंदी पर भी मोदी ने गुजरात में कही बात को आज फिर दोहराया कि संसद में विपक्ष उन्हें बोलने नहीं दे रहा है, इसलिए वे बाहर बोलते हैं। ऐसा कहकर मोदी अपने पद की गरिमा ही घटा रहे हैं। यह तो उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाली बात हो गई।
उन्होंने कहा कि जिस प्रधानमंत्री को लोकसभा में पूर्ण बहुमत प्राप्त हो, उसको इस तरह से रोना-धोना और जनता को बरगलाने का प्रयास करना शोभा नहीं देता है। प्रधानमंत्री अपनी व अपनी सरकार की जिम्मेदारी व जवाबदेही से भाग रहे हैं। सताई हुई जनता इन्हें माफ करने वाली नहीं है।बसपा प्रमुख ने कहा कि नोटबंदी से परेशान देश की 90 प्रतिशत जनता का ध्यान भटकाने और अपनी सरकार की विफलताओं पर पर्दा डालने के लिए प्रधानमंत्री मोदी इस तरह के हथकंडे अपना रहे हैं, लेकिन अब इनका घड़ियाली आंसू बहाने व इमोशनली ब्लैकमेल करने का हथकंडा भी पुराना पड़कर काफी निष्प्रभावी साबित हो रहा है। जनता उनकी बार-बार की नाटकबाजी के झांसे में आने वाली नहीं है।