5 Dariya News

फिल्लौर ने अपना ही चरित्र उजागर किया- सुखदेव सिंह ढींढसा

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चंडीगढ़ 19-Nov-2016

महज टिकट नहीं मिलने पर शिरोमणि अकाली दल को धोखा देने वाले सरवण सिंह फिल्लौर ने साबित कर दिया है कि वह कभी पार्टी के वफादार थे ही नहीं। फिल्लौर ने दोस्ती की आड़ में पीठ में छुरा भोंक कर अपना चरित्र ही उजागर किया है।फिल्लौर पर बरसते शिरोमणि अकाली दल के महासचिव सुखदेव सिंह ढींढसा ने इसे गद्दारी करार दिया। उन्होंने कहा कि पार्टी एक मां की तरह होती है। इसी पार्टी ने न केवल फिल्लौर को छह बार जीत दिलवाई बल्कि उनका राजनीतिक और सामाजिक रुतबा बढ़ाया। मगर एक बार उसी पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो उन्होंने पार्टी को ही छोड़ कर उन्हीं लोगों से हाथ मिला लिया जिनके खिलाफ वह तमाम उम्र लड़ते रहे। पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरेंदर सिंह के चरित्र पर हैरानी जताते हुए ढींढसा ने कहा कि उन्होंने भी फिल्लौर को कांग्रेस में शामिल करने के लिए अपने साथियों से पूछना तक भी गवारा नहीं समझा। कांग्रेस की इस हड़बड़ाहट से कांग्रेस की मानसिक स्थिति का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अमरेंदर निराश और हताश लोगों के सहारे अपनी अंतिम पारी खेलना चाहते हैं। मगर किसी कचरा पेटी में जीत को पकाया नहीं जा सकता। असल में अमरेंदर और फिल्लौर दोनों ही अपनी राजनीतिक हाराकिरी यानि राजनीतिक आत्महत्या करने पर आमादा हैं। कांग्रेस खेमें में फिल्लौर को लेकर अभी से सुगबुगाहट शुरू भी हो गई है। अगर फिल्लौर अकाली दल के न हुए तो कांग्रेस के कैसे हो सकते हैं। 

ढींढसा ने कहा कि फिल्लौर को गुजरे 40 वर्षों में अकाली दल में दलितों के साथ किसी भी तरह के भेदभाव की शिकायत नहीं थी। मगर अफसोस कि सिर्फ एक टिकट नहीं दिए जाने पर बच्चे की तरह पालने पोसने वाले अकाली दल में उन्हें दुनिया भर की बुराईयां नजर आने लगी। आज फिल्लौर अकाली दल पर दलितों को नजरअंदाज करने का आरोप लगा रहे हैं और खुद उसी दल से जा मिले जो पिछले 50 बरसों से दलितों को एक वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करता रहा है। आज दलितों की मौजूदा स्थिति के लिए कांग्रेस की पिछले 50 साल की नीतियां ही जिम्मेवार हैं। सबसे बड़ी बात फिल्लौर ने उसी दल को चुना जिस दल ने सिक्खों के साथ न केवल राजनीतिक रंजिश रखी बल्कि उन पर कातिलाना हमले करवाए। उन्होंने कहा कि फिल्लौर एक गुरसिक्ख होने के बावजूद उसी कांग्रेस से लिपट गए जिस दल का इतिहास सिक्खों पर जुल्म सितम ढाने का रहा है। कांग्रेस ने श्री दरबार साहिब पर हमले करवाए, सिक्खों की हत्याएं करवाईं, एसवाईएल का जख्म दिया और चंडीगढ़ पंजाब को नहीं दिया। हैरानी तो यह है कि इन तमाम मुद्दों को दरकिनार कर फिल्लौर उन्हीं की बगल में जा बैठे।