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भारतीय विदेश नीति सीमाओं के बीच फंस गई है : जसवंत

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नई दिल्ली,(आईएएनएस) 05-Nov-2013

पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने कहा है कि भारतीय विदेश नीति पड़ोसी दशों के साथ लगने वाली चार सीमाओं के बीच फंस कर रह गई है और इस रणनीतिक कैद से मुक्ति का रास्ता खोजने की जरूरत है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद ने यह भी कहा कि ब्रिटिश राज के समय से भारतीय लोगों को हथियार रखने पर लगी पाबंदी के कारण भारतीय जनता की आत्म निर्भरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। अपनी नई किताब 'इंडिया एट रिस्क : मिस्टेक, मिस्कंसेप्शंस एंड मिसएडवेंचरस ऑफ सिक्युरिटी पॉलिसी' पर चर्चा करते हुए सिंह ने कहा, "भारत चार ढह चुके बड़े साम्राज्यों के चौराहे पर पड़ा है। ये चार साम्राज्य हैं, चीन का क्विं ग साम्राज्य, तुर्की का साम्राज्य और ब्रिटिश साम्राज्य तथा सोवियत साम्राज्य। इनमें से हरेक ने कोई परिणाम छोड़े हैं और इसके परिणामस्वरूप भारत चार रेखाओं के बीच कैद है। ये चार रेखाएं हैं -नियंत्रण रेखा, वास्तविक नियंत्रण रेखा, मैकमोहन रेखा और डूरंड रेखा। यह पुस्तक इन्हीं परिणामों की पहचान करने की कोशिश है।"

भाजपा नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार में रक्षा, विदेश मंत्रालय और वित्त मंत्रालय संभाल चुके सिंह महसूस करते हैं कि भारत की शस्त्रहीनता और उसके कारण पैदा अक्षमताओं का सावधानी से अध्ययन करने की आवश्यकता है। सिंह ने कहा कि 1984 में स्वर्ण मंदिर पर भारतीय सेना का धावा बोलना एक महान गलती थी। उन्होंने कहा, "मैं सिख नहीं हूं लेकिन मेरा मानना है कि हरमिंदर साहिब, दरबार साहिब में सेना भेजना बड़ी गलती थी। ऐसा नहीं किया जाना चाहिए था।"उनकी 292 पृष्ठ की इस पुस्तक की कीमत 595 रुपये है। सिंह ने कहा कि 1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी-814 के अपहरण की घटना उनके जीवन का एक दुखद अध्याय है और वह नहीं चाहते कि ऐसी कोई घटना फिर कभी हो।