5 Dariya News

जुएल ओराम ने जनजातीय अध्ययन और अनुसंधान को मजबूत करने पर विशेष जोर दिया

एशिया की जनजातियों को भलीभांति जानने पर अंतर्राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी आयोजित की गई

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शिलांग 04-Nov-2016

केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम ने कहा है कि एशिया की जनजातियों को भलीभांति जानने की जरूरत शुरू से ही महसूस की जाती रही है। कल शिलांग में ‘एशिया की जनजातियों को भलीभांति जानने’ पर आयोजित की गई अंतर्राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी का उद्घाटन करते हुए मंत्री महोदय ने जनजातीय मुद्दों पर इतनी बड़ी अंतर्राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी आयोजित करने के लिए इसके आयोजकों के प्रयासों की सराहना की। उन्‍होंने कहा कि इस संगोष्‍ठी से जनजातीय अध्‍ययन एवं अनुसंधान को मजबूत करने में सहायक सर्वोत्‍तम प्रथाओं और रणनीतियों को एकजुट करने में मदद मिलेगी। मंत्री महोदय ने कहा, ‘एशिया की जनजातियों के लिए विशिष्‍ट लोगों के रूप में अपने अधिकारों को मान्‍यता देने के लिए वकालत करना एक मुश्‍किल कार्य है। अनेक जनजातियों को अपना अस्‍तित्‍व बरकरार रखने के लिए संघर्ष करना पड़ता है और इस प्रक्रिया में अनेक बोलियां भी विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई हैं।’ मंत्री महोदय ने यह उम्‍मीद जताई कि इस संगोष्‍ठी से समुदायों के लागों को और ज्यादा सूचनाएं हासिल करने में मदद मिलेगी और इसके साथ ही एशिया की जनजातियों से जुड़े मुद्दों को सुलझाने में भी सहायता मिलेगी।

मंत्री महोदय ने इस अवसर पर एक पुस्‍तक का विमोचन भी किया, जिसमें शिलांग के सिनॉद कॉलेज में वर्ष 2015 में आयोजित की गई राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी से जुड़ी सामग्री भी शामिल है। संवाददाताओं के साथ बातचीत के दौरान असम की छह जनजातियों को एसटी का दर्जा देने से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि गृह मंत्रालय में विशेष सचिव की अध्‍यक्षता वाली एक उच्‍चस्‍तरीय समिति इस मसले पर गौर कर रही है। मंत्री महोदय ने कहा कि इस समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही सरकार इस दिशा में आगे बढ़ सकती है। उन्‍होंने कहा कि यह रिपोर्ट अतिशीघ्र पेश किए जाने की आशा है।इस दो दिवसीय संगोष्‍ठी का आयोजन शिलांग स्‍थित सिनॉद कॉलेज द्वारा पीए संगमा फाउंडेशन के सहयोग से किया जा रहा है। विश्‍व के विभिन्‍न हिस्‍सों के विद्वान इस संगोष्‍ठी में हिस्‍सा ले रहे हैं।इस संगोष्‍ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्‍य भाषण पश्‍चिम बंगाल के बर्दवान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफसर स्‍मृति कुमार सरकार ने दिया। उनका भाषण ‘पूर्वोत्तर भारत के आरंभिक आदिवासी समाज’ पर केंद्रित था। लोकसभा सदस्‍य श्री कॉनरड के. संगमा ने भी उद्घाटन सत्र में शिरकत की।