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दिल्ली की हवा अब भी खराब, सेहत को खतरा

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नई दिल्ली 03-Nov-2016

दिल्ली और एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में लगातार चौथे दिन सुबह भी बारूदी धुएं की परत जमी रही। धुंध जैसी छाई रहने के कारण लोगों को सांस लेने में दिक्कत, आंखों में पानी आने और दृश्यता की समस्याओं से जूझना पड़ा। वायु निगरानी एजेंसियों ने इस तरह की स्थिति कुछ दिनों तक और भी बने रहने की भविष्यवाणी की है। इससे स्वास्थ्य समस्याओं के बढ़ने की संभावना है।दिल्ली में श्वास रोग विशेषज्ञों ने खास तौर से फेफड़े की बीमारी वाले लोगों को घरों के अंदर रहने की चेतावनी दी है। बीएलके अस्पताल के श्वास रोग विशेषज्ञ डॉक्टर विकास मौर्य ने कहा ज्यादा कि लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहने से दिल का दौरा और फेफड़े का कैंसर हो सकता है।

मौर्य ने कहा, "वर्तमान में हवा की गुणवत्ता सांस की दिक्कतों वाले लोगों पर असर डाल रही है, इसका अस्थमा मरीजों पर नकारात्मक असर पड़ेगा। इसका असर दिल और तंत्रिका तंत्र के मरीजों पर भी पड़ेगा। लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहने पर फेफड़े के कैंसर और दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है।"उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं में प्रदूषण का प्रभाव भ्रूण वृद्धि पर पड़ सकता है।मौर्या ने घर से बाहर खुली हवा में जाने पर सावधानी के तौर पर मास्क का इस्तेमाल करने की सलाह दी।श्वास रोग विशेषज्ञ ने कहा, "लोगों को बाहर जाने से बचना चाहिए। यदि ऐसा नहीं है तो मास्क एन-95 या एन-99 का इस्तेमाल करना चाहिए। माता-पिता को बच्चों पर ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि जहर भरी हवा बच्चों के फेफड़े के विकास को प्रभावित कर सकती है।"मौर्या ने सरकार को प्रदूषण घटाने के लिए उचित कदम उठाने को कहा है। 

उन्होंने कहा, "यह सरकार का कार्य है कि आवश्यक कदम उठाए। इसमें लोगों को भी सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।"दिल्ली के अलावा दूसरे शहरों मुबंई, चेन्नई, बेंगलुरू के हवा गुणवत्ता सूचकांक में काफी सुधार हुआ है, जबकि दिल्ली और एनसीआर में स्थिति अब भी 'गंभीर' बनी हुई है। इसके लिए वायु निगरानी एजेंसियों ने प्रतिकूल मौसम स्थितियों को कारण बताया है। कम हवा की गति से तापमान में गिरावट आई है। इससे आद्र्रता बढ़ी है, जिससे प्रदूषकों का फैलाव रुक गया है।पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत हवा गुणवत्ता प्रणाली और मौसम भविष्यवाणी एवं अनुसंधान (सफर)ने गुरुवार सुबह को कई जगहों पर पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) के 2.5 और पीएम10 के 500 से ज्यादा होने की बात कही है।केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़े भी वायु में विषाक्तता को दिखा रहे हैं।