5 Dariya News

पंजाब में भय और अशांति का माहौल तैयार कर रहे हैं अमरेंदर - महेश इंदर सिंह ग्रेवाल

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चंडीगढ़ 18-Oct-2016

शिरोमणि अकाली दल ने पंजाब कांग्रेस पर विधानसभा चुनावों में डर और भय का माहौल तैयार करने का आरोप लगाया है। पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष कैप्टन अमरेंदर सिंह के विधानसभा चुनावों के दौरान हिंसा की भविष्यवाणी को दल ने इसे चुनावी हथकंडा करार दिया है। शिरोमणि अकाली दल के राजनीतिक सलाहकार महेश इंदर सिंह ग्रेवाल ने कैप्टन के बयान को बचकानी हरकत बताया है। मंगलवार को यहां जारी एक बयान में ग्रेवाल ने कहा कि कैप्टन अमरेंदर सिंह ने चुनावों के दौरान स्टुडेंट आरगेनाइजेशन ऑफ इंडिया और युवा अकाली दल पर गड़बड़ी करने का आरोप लगा कर राज्य में भय और अशांति का माहौल तैयार करने की कोशिश की है। ग्रेवाल ने कहा कि पांच साल पहले भी कैप्टन ने ठीक इसी तरह का बयान जारी कर मतदाताओं की भावनाओं से खेलने की नाकाम कोशिश की थी। मगर तब भी पंजाब में शांतिपूर्वक चुनाव हुए और कांग्रेस का जीतने का सपना महज सपना ही बन कर रह गया। 

ग्रेवाल ने कहा कि या तो कैप्टन चुनावी हिंसा से वाकई आशंकित हैं या वह राज्य में राजनीतिक माहौल खराब करने के लिए कोई बड़ी घिनौनी साजिश रचने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अकाली हमेशा से पंजाब में शांतिपूर्ण चुनावों के हिमायती रहे हैं। यहां तक कि युवा अकालियों ने शांतिपूर्वक चुनाव आयोजित करवाए हैं। कैप्टन को अकालियों की बजाए अपने आचरण पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कैप्टन को लोगों के दिलों पर राज करने के लिए अपनी गुंडों जैसी भाषा और व्यवहार बदलने की सलाह दी। देश में शांतिपूर्ण चुनावों के लिए चुनाव आयोग की क्षमता पर भरोसा जताते हुए ग्रेवाल ने कहा कि आयोग अपना काम बेहतर जानता है। 

आयोग की योगयता का पैमाना इसी बात से आंका जा सकता है कि हिंसात्मक चुनावों के लिए बदनाम बिहार और पश्चिम बंगाल में आज गड़बड़ी की आशंका गुजरे जमाने की बात हो गई है। जबकि पंजाब की बात करें 1991 में आतंकवाद के चलते चुनाव रद्द किए जाने के अलावा राज्य में चुनावों के दौरान कभी भी बड़ी हिंसक घटनाएं नहीं हुईं। यहां तक कि कांग्रेस के जीतने पर अकालियों ने ऐसा आरोप कभी नहीं लगाया। कैप्टन की चुनावों में गड़बड़ी की आशंका के चलते अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती के सवाल पर ग्रेवाल ने कहा कि चुनाव आयोग अपने सटीक आकलन के हिसाब से ही सुरक्षा बलों की तैनाती करता है। ऐसे में कैप्टन को आयोग पर टीका टिप्पणी करने की बजाए अपने आला कमान को सौंपे गए काम पर ध्यान देना चाहिए।