5 Dariya News

महल छोड़ कर सडक़ों पर आए कांग्रेसी - सुखदेव सिंह ढींढसा

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चंडीगढ़ 15-Oct-2016

शिरोमणि अकाली दल ने पंजाब कांग्रेस के किसानों से मुलाकात करने के कार्यक्रम को चुनावी स्टंट करार दिया है। अकाली नेताओं ने कहा है कि कांग्रेस इससे अखबारों की सुर्खियां तो बटोर सकती हैं मगर किसानों का समर्थन हासिल नहीं कर सकती। किसानों को पेश आ रही परेशानियों की वजह भी कांग्रेस के कार्यकाल में ही शुरू की गई नीतियां ही हैं।दल के महासचिव और राज्य सभा सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा ने कहा कि चुनाव का मौसम नजदीक आते ही कांग्रेस को किसानों की याद आने लगी है। कल तक अपनी एैशगाहों में आराम फरमाते कांग्रेसियों को एकाएक किसानों की मुश्किलें भी नजर आने लगीं हैं। ढींढसा ने कहा कि तमाम अकाली नेता किसान हैं और किसानों को पेश आने वाली समस्याओं से कांग्रेसियों से ज्यादा परिचित हैं। कांग्रेस की तरह किसानों को बेवकूफ बनाने की बजाए अकाली जमीनदारों के लिए ठोस नीतियां तैयार करने में यकीन रखते हैं। 

ढींढसा ने कहा कि वर्ष 1997 में अकाली दल ने सबसे पहले किसानों को मुफत बिजली उपलब्ध करवाने की परंपरा शुरू की। जबकि कांग्रेस ने 2002 में सत्ता में आते ही सबसे पहले किसानों से इस सुविधा को छीन लिया। पर्याप्त सिंचाई के लिए नहरों को पक्का करने का काम शुरू किया ताकि पानी की बरबादी को रोका जा सके। शेरशाह सूरी के वक्त से चली आ रही राजस्व शुल्क व्यवस्था को खत्म किया।हाल ही में राज्य सरकार ने कर्ज में डूबे किसानों को बचाने के लिए पंजाब कृषि ऋण बंदोबस्त 2016 बिल को पारित किया। इसके साथ ही सरकार ने किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए कृषि इंश्योरेंस योजना की शुरूआत की। राजस्व रिकार्ड के कंप्यूटरीकरण से किसानों को सबसे बड़ा फायदा हुआ है। सरकार ने किसानों को आर्थिक मंदी से बचाने के लिए साल में दो बार पचास हजार रुपये तक के ब्याज मुक्त कर्ज की योजना शुरू की। ढीढंसा ने किसानों की आत्महत्यों को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि इस संवेदनशील मामले पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। हालांकि यह भी सच है कि किसानों के आत्महत्या करने की वजह भी कांग्रेस के कार्यकाल में शुरू की गई दोषपूर्ण नीतियां ही हैं। सच यह भी है कि कांग्रेस शासित आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में सबसे अधिक किसानों ने आत्महत्याएं की हैं।