5 Dariya News

पंजाब सरकार द्वारा बनाई सेम रोकथाम योजनाओं से मिलगीं बड़ी सफलता-शरणजीत सिंह ढिल्लों

950 करोड़ रूपये की लागत से एंटी वाटर लोगिंग स्कीमें प्रगति अधीन , 60000 हैक्टेयर सेम प्रभावित रकबा बनेगा सिंचाई योग्य

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चंडीगढ 25-Sep-2016

पंजाब के सिंचाई मंत्री स. शरणजीत सिंह ढिल्लों ने कहा है कि पंजाब सरकार द्वारा राज्य में विभिंन योजनाएं बनाकर किये जा रहे कार्यो से राज्य के दक्षिण पश्चिम क्षेत्र में सेम रोकने में बड़ी सफलता मिलेगी।सिंचाई मंत्री ने बताया कि राज्य के सेम प्रभावित क्षेत्रों की सेम से निजात डालने के लिए 960 करोड़ रूपये की लागत से एंटी वाटर लोगिंग स्कीमें प्रगति अधीन हैं, जिनके सम्पूर्ण होने से 60000 हैक्टेयर सेम प्रभावित रकबे को सिंचाई योग्य बनाया जा सकेगा। उन्होने बताया कि राजस्थान फीडर और सरहिन्द फीडर कैनाल की रीलाईनिंग का कार्य सम्पूर्ण होने से नहरों में से पानी के रिसाव को काफी सीमा तक रोका जा सकेगा। उन्होने बताया कि सरफेस ड्रेनें, सब सरफेस ड्रेनेज सिस्टम, लिफट डे्रनेज सिस्टम  और पक्के खालों के निर्माण भी सेम को रोकने में सहायक होगें।

स. ढिल्लो ने बताया कि इन योजनाओं के सम्पूर्ण होने से जहां संबधित क्षेत्र के लोगों के लिए रोजगार के साधनों में बढोतरी होगी वही समीप क्षेत्रों के लोगों की वित्तीय क्षमता बढेगी, जिससे लोगों की जीवन शैली में सुधार आएगा। उन्होने बताया कि इन प्रोजैक्टों के सम्पूर्ण होने से जमीन की कीमत जो बहुत अधिक घट चुकी थी, उपजाऊ शक्ति बढऩे से जमीनों की कीमतों में भी बढोतरी होगी उन्होने बताया कि इन प्रोजैक्टों के तहत राज्य के 313 नम्बर गांवों को लाभ होगा। इससे जहां लोगों की ओर पशुओं के स्वस्थ में सुधार होगा, वही क्षेत्र में हरे चारे के उपलब्ध होने से दुधारू पशुओं की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।सिंचाई मंत्री ने बताया कि 90 वें दौरान भी राज्य के दक्षिणी क्षेत्र में पड़ते जिलों श्री मुक्तसर साहिब, मलोट तथा अबोहर क्षेत्र में पानी का स्तर भूमि के स्तर से 33 फुट नीचे था उन्होने बताया कि राजस्थान फीडर और सरहिन्द फीडर कैनाल और इसके अतिरिक्त अबोहर केनाल एवं बीकानेर केनाल के निर्माण के बाद प्रत्येक वर्ष 0.2 मीटर से 1.0 मीटर तक प्रत्येक वर्ष बढऩा आंरभ हो गया, जिसके परिणाम स्वरूप क्षेत्र का दो लाख हैक्टेयर रकबा सेम से प्रभावित हो गया। 

उन्होने बताया कि राज्य के दक्षिणी पश्चिमी क्षेत्र अधीन आते फिरोजपुर , फरीदकोट , श्री मुक्तसर साहिब, बठिंडा , मानसा तथा संगरूर जिलों के कुछ हिस्से सेम के अतिरिक्त पानी की और पानी के अन्य स्रोतों में खड़े पानी की निकासी एक प्रमुख समस्या है। उन्होने बताया कि इस क्षेत्र का भू जल खारा और काला है जो कृषि के लिए इस्तेमाल करने योग्य नही है। इसके अतिरिक्त गेहूं की खेती से धान की खेती में बदल के रूझान में सेम की समस्या में ओर बढोतरी की है।उन्होने बताया कि सेम की समस्या से फसलों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा, जिससे फसलों का उत्पादन बहुत बुरी तरह प्रभावित हुआ उन्होने बताया कि सेम की समस्या से खेती करने वाले किसानों को बहुत अधिक घाटा पड़ा इसके अतिरिक्त सेम के क्षेत्र में बुनियादी ढाचा , पुलों, बिल्डिंगों , अस्पतालों आदि और लोगों के घरों को बहुत बुरी तरह प्रभावित किया।