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पंजाब के गांवों को शहरों से भी खूबसूरत बनाने की एनजीओ ने ली जिम्मेदारी

आधुनिक माडल पेश करते हुए 18 गांवों का होगा चयन

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एस.ए.एस. नगर (मोहाली) 22-Sep-2016

पंजाब के गांवों में पीने के लिए स्वच्छ जल, सीवरेज सिस्टम, ट्रीटमेंट प्लांट, सेनेटरी सिस्टम, कंक्रीट की सड़कें, सोलर स्ट्रीट लाईटें, स्कूलों में कंप्यूटर जैसी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। उक्त बातें इंडो कनेडियन फ्रेंडशिप सोसाईटी आफ ब्रिटिश कालंबिया नामक एनजीओ के सलाहकार व वक्ता कर्नल करन थांडी द्वारा मोहाली के होटल में पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान व्यक्त कीं।कर्नल थांडी ने बताया कि इस प्रोजैक्ट के तहत पहले पंजाब के 18 गांवों का चयन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस प्रोजैक्ट की शुरुआत वर्ष 2001 में की गई थी। जिसमें अब तक जंडियाली कलां, नवांशहर, बंबोई गुरदासपुर, चहेडू कपूरथला, सेहरी होशियारपुर, रटांडा सहित अब तक 19 गांव विकसित कर चुके हैं, जिसका खर्च लगभग 8 लाख डालर रहा है। इन विकसित किए गांवों में से एक गांव मं पूर्व राष्ट्रपति डा अब्दुल कलाम ने वर्ष 2003 में शिरकत भी की थी। एनजीओ के संस्थापक डा गुरदेव सिंह गिल ने बताया कि वे ब्रिटिश कोलंबिया युनिवर्सिटी के पास आउट हैं जो कि कनाडा में प्रैक्टिस करने वाले पहले भारतीय डाक्टर थे। डा गिल ने बताया कि विदेश में रहते हुए भी अपने देश का प्यार उन्हें खींचता रहा, जिसके चलते उन्होंने 1976 में यह एनजीओ स्थापित किया। यह एनजीओ प्रवासी भारतीयों व संबंधित गांवों के लोगों को एक प्लेटफार्म पर लाकर उस गांव को विकसित करने की भूमिका निभाता है।

इस प्रोजैक्ट के लिए जरूरी फंडों संबंधी जानकारी देते हुए डा गिल ने बताया कि इस प्रोजैक्ट का कुल खर्च हर घर के हिस्से 35 हजार आएगा। अगर गांव चाहे तो वे इसके लिए विश्व बैंक से भ्ज्ञी कर्जा ले सकते हैं। जो हर महीने 204 रुपए के हिसाब से 5 प्रतिशत ब्याज दर से 25 वर्षों में एकत्र किया जाएगा। यह खर्च पंजाब सरकार द्वारा इस तरह के शूरू किए किसी भी प्रोजैक्ट से कहीं कम होगा। डा गिल अनुसार यह तकनीक ब्राजील द्वारा तैयार की जा चुकी है और संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाई जा चुकी है।

कर्नल करन थांडी ने इस प्रोजैक्ट अधीन पंजाब के गांव अपनी ही तरक्की में अहम हिस्सा डालते हुए शहरी सुविधाओं का गांव में ही आनंद ले सकेंगे। जबकि आज भी गांवों में दी जा रही सिर्फ पानी की सुविधा का मासिक किराया ही आम तौर पर 70 रुपए महीना आ जाता है, जो कि मिलता भी दिन में 2 से 3 घंटे ही है। जबकि इस प्रोजैक्ट में पानी की सुविधाए सीवरेज, ट्रीटमेंट प्लांट, रात को सोलर उर्जा से रौशन हुए गांवों व गंदगी व मख्यिों मच्छरों से मुक्त गांव की कल्पना को हकीकत में बदला जा सकता है। कर्नल करन ने यह भी घोषणा की कि इस प्रोजैक्ट के लिए अगर कोई एनजीओ व कोई और संस्था आगे आना चाहती है तो उनका स्वागत किया जाएगा।