5 Dariya News

गुजरात में आर्थिक रूप से पिछड़ों को 10 प्रतिशत आरक्षण की वैधता जांचेगा सर्वोच्च न्यायालय

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नई दिल्ली 09-Sep-2016

सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि तीन न्यायाधीशों की सदस्यता वाली पीठ आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाले गुजरात सरकार के अध्यादेश की वैधता की जांच करेगा, जिसे गुजरात उच्च न्यायलय ने रद्द कर दिया था। शीर्ष अदालत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस. ठाकुर, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ की पीठ ने तीन सदस्यीय पीठ में मामले की सुनवाई होने की बात कहते हुए कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा अध्यादेश खारिज किए जाने से पहले हुए नामांकन प्रभावित नहीं होंगे।बहस पूरी होने के बाद पीठ ने कहा कि तीन सदस्यीय पीठ फैसला करेगी कि इस मामले की सुनवाई की जानी है या इसपर संविधान पीठ फैसला करेगी।

महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने जब कहा कि अंतत: इस मामले की सुनवाई संविधान पीठ द्वारा की जानी है, तब अदालत ने यह बात कही।अदालत ने अपने फैसले में कहा कि उच्च न्यायालय में अध्यादेश रद्द होने से पहले हुए सभी नामांकन अप्रभावित रहेंगे और नामांकन एवं नौकरियां रद्द करने के लिए अधिसूचना लागू करने हेतु आगे कोई कार्रवाई संभव नहीं है।नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की मांग को लेकर पटेल समुदाय के आन्दोलन के मद्देनजर गुजरात सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने हेतु एक अध्यादेश जारी किया था।