5 Dariya News

महिलाओं को हाजी अली दरगाह के मजार क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति

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मुंबई 26-Aug-2016

बम्बई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को देश में लैंगिक भेदभाव की एक और रूढ़िवादी परंपरा को तोड़कर अपना एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए महिलाओं को मुंबई स्थित हाजी अली दरगाह के प्रतिबंधित मजार क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति दे दी। एक गैर सरकारी संगठन भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन तथा महिला कार्यकर्ता नूरजहां नियाज और जाकिया सोमन ने दरगाह के अंदरूनी हिस्से में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक के खिलाफ अदालत में नवम्बर 2014 को एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसकी सुनवाई के बाद अदालत ने यह फैसला दिया।हाजी अली दरगाह मुंबई के वरली तट के निकट एक छोटे से टापू पर स्थित है। इसमें सैयद पीर हाजी अली शाह बुखारी की मजार है जिनके प्रति विभिन्न समुदायों के लोग श्रद्धा रखते हैं।न्यायमूर्ति वी. एम. कनाडे और न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-धेरेकी खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया जोकि 56 पन्नों का है।जनहित याचिका में 1431 में निर्मित इस दरगाह के मजार क्षेत्र में महिलाओं के प्रवेश को रोक लगाने वाले हाजी अली दरगाह ट्रस्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। दरगाह के इस हिस्से में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने अलावा अदालत ने महाराष्ट्र सरकार को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश भी दिया है। 

अदालत ने महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध को संविधान में दिए गए मूलभूत अधिकारों के खिलाफ बताया। अदालत ने इस फैसल को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दिए जाने के लिए इस पर छह सप्ताह के लिए रोक लगा दी है।ट्रस्ट का इस मामले पर कहना है कि यह प्रतिबंध महिलाओं की सुरक्षा के लिए लगाया गया था। ट्रस्ट का कहना है कि महिलाएं खुले गले वाले ब्लाउज पहनकर मजार पर झुकती हैं जिससे उनके शरीर का छिपा हिस्सा भी दिखता है और यह इस्लाम के खिलाफ है। ट्रस्ट ने यह भी कहा था कि पहले वह शरीयत के प्रावधानों से परिचिति नहीं था (इसलिए रोक नहीं थी), लेकिन इससे परिचित होने के बाद उसने सुधारात्मक कदम उठाए (महिलाओं के मजार तक जाने पर रोक लगाई)।हाजी अली दरगाह ट्रस्ट के अध्यक्ष अब्दुल सत्तार मर्चेट ने कहा कि अदालत के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जाएगी। मजलिस इत्तेहादुल मुसलमीन (एमआईएम) ने भी फैसले का विरोध किया है।ट्रस्ट ने जून 2012 में महिलाओं के प्रवेश पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि इस्लाम में महिलाओं को पुरुष संतों की कब्रों को छूने की अनुमति नहीं है और उनके लिए कब्र वाले स्थान पर जाना पाप है।गैर सरकारी संगठन भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन के वकील राजू जे. मोरे ने कहा कि कुरान में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिससे मस्जिद/दरगाह में महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगाई जाए और इस्लाम लैंगिक समानता में विश्वास रखता है।

दरगाह ट्रस्ट के वकील शोएब मेमन ने कहा कि इस्लाम पुरुष और महिलाओं को एक-दूसरे में घुलने-मिलने से मना करता है और इस प्रतिबंध का इरादा पुरुष और महिलाओं के बीच संपर्क मामूली स्तर पर बनाए रखने का था, ताकि महिलाओं का कोई यौन उत्पीड़न न हो और उनका सामान चोरी न हो। अदालत ने कहा, "ट्रस्ट का हाजी अली दरगाह के अंदरूनी हिस्से (मजार क्षेत्र) में महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगाना संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 25 का उल्लंघन है। पुरुषों के साथ महिलाओं को भी इस क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति है।"एक संगठन 'हाजी अली फॉर ऑल' ने गैर सरकारी संगठन भूमाता ब्रिगेड सहित कुछ समाजिक और महिलाओं के समूह के साथ बीती 28 अप्रैल को दरगाह में प्रवेश की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें पुलिस द्वारा रोक लिया गया था।इसके बाद 12 मई को भूमाता ब्रिगेड की अध्यक्ष तृप्ति देसाई कुछ समर्थकों और पुलिस के एक दल के साथ दरगाह पहुंचीं। उनके साथ श्रद्धालुओं का एक समूह भी था।देसाई ने प्रचलित रीति-रिवाजों का पालन किया और मजार क्षेत्र के बाहर (मजार से महज चार फीट दूर) से प्रार्थना की। उस दौरान, दरगाह के संरक्षकों ने कहा कि महिलाओं का पीर हाजी अली शाह बुखारी की कब्र को छूना निषेध है और इस्लाम के विरुद्ध है।देसाई को अहमदनगर में शनि शिगणापुर तथा नासिक में ˜यम्बकेश्वर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की कोशिश पर भी काफी विरोध का सामना करना पड़ा था, क्योंकि इन मंदिरों में महिलाओं का प्रवेश निषेध था। उच्च न्यायालय के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया में देसाई ने कहा, "मैं अदालत के आज के (शुक्रवार के) ऐतिहासिक फैसले का स्वागत करती हूं। हमारा आंदोलन सफल रहा और अदालत ने महिलाओं के अधिकारों और समानता को महत्व दिया है। हम जल्द ही हाजी अली दरगाह जाएंगे।"मुस्लिम समुदाय की कई हस्तियों और समुदाय के पुरुष व महिला बुद्धिजीवियों ने अदालत के फैसले का स्वागत किया है।हाजी अली उज्बेकिस्तान के बुखारा प्रान्त से सारी दुनिया का भ्रमण करते हुए भारत पहुंचे थे। उनकी दरगाह पर गुरुवार और शुक्रवार को जायरीन का बड़ा हुजूम देखने को मिलता है। देश और विदेश से लोग यहां पहुंचते हैं।