5 Dariya News

उड्डयन मंत्रालय ने किराया लौटाने के मानदंडों में संशोधन किया

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नई दिल्ली 11-Jun-2016

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने उड़ान रद्द होने के बाद विमानन कंपनियों द्वारा अपनाई जाने वाली मनमानी नीतियों के मामले को गंभीरता से लेते हुए उनपर लगाम कसने के लिए शनिवार को कई सारे कदमों की घोषणा की और कहा कि इन स्थितियों में इस तरह के शुल्क बेस किराये से अधिक नहीं हो सकते। नागरिक उड्डयन मंत्री पी.अशोक गजपति राजू ने यह भी कहा कि विमानन कंपनी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि रद्द किए गए टिकटों की पुन: अदायगी 15 दिनों के भीतर हो जाए। फिर चाहे टिकटें एजेंट या फिर विभिन्न पोर्टलों के माध्यम से ही क्यों न बुक की गई हों।एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, "प्रस्ताव मंत्रालय की वेबसाइट पर 15 दिनों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा, इस दौरान हितग्राही अपनी टिप्पणी या सुझाव दे सकते हैं।इसके बाद मंत्रालय प्रस्तावित संशोधन को अंतिम रूप देगा और जल्द से जल्द उसका क्रियान्वयन करेगा।"संवाददाता सम्मेलन के दौरान मंत्री ने प्रस्ताव पर प्रकाश डाला।उन्होंने कहा, "विमान में सवार नहीं होने और उड़ान रद्द होने की स्थिति में सभी कर, शुल्क और हवाईअड्डा विकास शुल्क वापस करने होंगे। ओवरबुकिंग की वजह से विमान में सवार नहीं होने देने के मामले में मुआवजा राशि बढ़ाकर 20,000 रुपये कर दिया गया है। इसके अलावा, प्रमोशनल और विशेष दरों सहित सभी किरायों की अदायगी करनी होगी।"प्रस्थान करने के 24 घंटे पहले उड़ान रद्द होने पर मुआवजे की राशि बढ़ाकर 10 हजार रुपये कर दी गई है। इसके अलावा, प्रोमोशनल तथा विशेष दर सहित सभी तरह के किरायों की अदायगी करनी होगी।

उन्होंने कहा, "यह यात्रियों का विशेषाधिकार होगा कि उनका पैसा वापस किया जाए या फिर जमा किया जाए।"उन्होंने तय वजन से अधिक सामान पर कर लगाने के मामले में कहा कि 15 किलोग्राम के बाद पांच किलोग्राम वजन पर 100 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक शुल्क नहीं लगाया जा सकता।मंत्री ने कहा, "दिव्यांगों की सुविधा में महत्वपूर्ण सुधार सुनिश्चित करने के लिए भी नियमों में सुधार किया जा रहा है।"भारत में डेलॉइट के वरिष्ठ निदेशक अमृत पांडुरंगी ने कहा, "प्रस्ताव को विशेषज्ञों की मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है। जो उद्योग पहले से ही भारी प्रतियोगिता झेल रहा हो, उसकी आय प्रणाली में सरकार का हस्तक्षेप सही नहीं है।"यात्रा डॉट कॉम के अध्यक्ष शरत धल ने कहा, "ये सब सकारात्मक प्रस्ताव हैं, लेकिन इसका प्रभाव बेहद कम यात्रियों पर पड़ेगा। इसके कारण टिकट की कीमतों में इजाफा हो सकता है, क्योंकि विमानन कंपनियां इस प्रस्ताव के कारण हुए नुकसान से बचने का तरीका ढूंढेंगी।"उन्होंने कहा कि इससे विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।एयर इंडिया के आंकड़ों पर गौर करें, तो मुंबई के वन-वे टिकट के लिए एयलाइन का बेसफेयर 2,527 रुपये है और अगर कोई यात्री विमान के प्रस्थान के 24 घंटे से अधिक समय पहले टिकट रद्द कराता है, तो उसे इसके लिए 2,000 रुपये चुकाना पड़ता है। लेकिन अगर ऐसा 24 घंटों के अंदर होता है, तो इसके लिए एयरलाइन बेसिक फेयर तथा एयलाइन फ्यूल चार्ज दोनों मिलाकर वसूलती है।अधिकारियों ने कहा कि ये नियम भारतीय विमान सेवा प्रदाता कंपनियों और घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय दोनों उड़ानों पर लागू होंगे। विदेशी विमान सेवा प्रदाता कंपनी अपने देश के नियमों के आधार पर टिकटों का रिफंड करेंगी।