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धर्म और राजनीति एक सिक्के के दो पहलू : कर्मवीर आर्य

5 Dariya News (विजय मित्तल)

जीन्द 29-May-2016

आर्य समाज सफीदों रोड़ में यज्ञ व साप्ताहिक सत्संग के दौरान मुख्य वक्ता के रुप में बोलते हुए कर्मवीर आर्य ने कहा कि धर्म और राजनीति एक सिक्के के दो पहलू हैं। जैसा कि शास्त्रों में कहा गया है यथा राजा तथा प्रजा। यदि राजा धार्मिक है तो प्रजा सुख से बसती है, लेकिन वर्तमान में धर्म को राजनीति से अलग करने के अनेकों षड्यंत्र चल रहे हैं, जबकि यह पूरी तरह से गलत है। राजा का धार्मिक होना अत्यंत आवश्यक है। यदि राजा धार्मिक होगा तो वह सही ढंग से दंड व न्याय व्यवस्था को लागू कर पायेगा। यदि राजा धार्मिक नहीं होगा तो दुष्टों का बोलबाला होगा और दिनोंदिन भ्रष्टाचार अपने चरम पर बढ़ता चला जाएगा। जैसा की वर्तमान की परिस्थितियों में हम देख पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब तक हमारे देश में राजाओं ने धर्म को धारण किया तब तक हमने करोड़ों वर्षों तक चक्रवर्ती राज्य किया और जैसे ही राज व्यवस्था से धर्म अलग हुआ हम गुलामों के    भी गुलाम होते चले गए। आज भी हम धार्मिक रुप से आर्थिक रुप से मानसिक रुप से बौद्धिक रुप से गुलाम हैं यदि हमें इन सब से आजादी चाहिए तो राजव्यवस्था में धार्मिकता के समावेश के लिए कठोरतम प्रयास करने होंगें। इस अवसर पर सुनील बडग़ुर्जर, अनिल आर्य, विकास आर्य, नरेंद्र रेडू, धर्मवीर आर्य,  कैप्टन अभिमन्यु फैन क्लब के अध्यक्ष बबल सैनी, विक्रम नैन, श्रुति आर्या, सोम किरण आर्या, मनीषा आर्या, तेजस आर्य, सावित्री देवी, राहुल कसहून,मास्टर जगदीश, सागर सैनी, पूजा जांगड़ा,कविता आर्या व युवराज वत्स आदि उपस्थित रहे।