5 Dariya News

बाल तस्करी के मामले 30 दिनों में निपटाए जाएं : कैलाश सत्यार्थी

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नई दिल्ली 27-May-2016

नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने शुक्रवार को सरकार से बच्चों की तस्करी और बंधुआ मजदूरी के मामलों में 'समरी ट्रायल्स' को 30 दिनों के भीतर निपटाने का आग्रह किया। यहां आयोजित 'बंधुआ मजदूरी और तस्करी उन्मूलन पर राष्ट्रीय विमर्श' के दौरान सत्यार्थी ने कहा, "अवैध तस्करी के खिलाफ सरकार ने नीतिगत ढांचे के निर्माण में काफी विकास किया है, लेकिन अब भी पीड़ितों की रोकथाम, संरक्षण और पुर्नवास तथा अपराधियों को सजा देने के संबंध में बड़ा अंतर बना हुआ है।"

सत्यार्थी ने कहा, "दोषियों को 30 दिनों के भीतर सजा दी जानी चाहिए। पीड़ित का भी पुर्नवास किया जाना चाहिए और उसके लिए मुआवजा 30 दिनों के भीतर पहुंच जाना चाहिए।"तस्करी पर बन रहे नए कानून का जिक्र करते हुए सत्यार्थी ने कहा कि इन नियमों के मजबूत कार्यान्वयन के लिए एक सशक्त और जवाबदेह तंत्र होना चाहिए।सत्यार्थी ने कहा कि नए कानून का लाभ सबसे जरूरतमंद बच्चे तक तभी पहुंच सकेगा, जब कार्यान्वयन की प्रक्रिया और कार्यवाही मजबूत होगी और जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता ने सरकार से तस्करी में शामिल प्लेसमेंट एजेंसियों पर सख्त निगरानी रखे जाने का भी आग्रह किया। 

बाल अधिकार कार्यकर्ता ने कहा, "प्लेसमेंट एजेंसी के रूप में तस्करी के एक नए रूप का विकास हो रहा है, जो देश भर से लोगों की तस्करी करते हैं। नए कानून में इस तरह की एजेंसियों पर सख्त निगरानी रखी जानी चाहिए।"सत्यार्थी ने केंद्र सरकार को 'बंधुआ मजदूर पुनर्वास योजना' के लिए बधाई भी दी। इस नई योजना के तहत बंधुआ मजदूरी के पीड़ितों को दिए जाने वाले मुआवजे को 20,000 रुपये से बढ़ाकर तीन लाख रुपये तक कर दिया गया है। उनका मानना है कि तस्करी के जाल से बचने वाले लोगों को भी इस योजना का फायदा मिलना चाहिए। सत्यार्थी ने बचपन बचाओ आंदोलन के जरिए करीब 30 साल तक बाल अधिकारों के लिए काम किया। बचपन बचाओ आंदोलन एक स्वैच्छिक संगठन है, जिसने भारत के करीब 80,000 बच्चों और बंधुआ मजदूरों को बचाया है।