5 Dariya News

बुंदेलखंड : 13 बांध सूखे, और बढ़ेगा जल संकट!

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बांदा 17-May-2016

उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड क्षेत्र के बांदा, चित्रकूट और महोबा जिलों में जल संचय के लिए बने तेरह बांध सूख गए हैं, अगर पिछले साल की भांति मानसून ने दगा दिया तो आने वाले दिनों में यहां और जल संकट बढ़ सकता है। उत्तर प्रदेश के हिस्से वाला बुंदेलखंड क्षेत्र पिछले कई सालों से सूखे की चपेट में है, पर्याप्त बारिश न होने से यहां हमेशा जल संकट छाया रहता है। बांदा, चित्रकूट और महोबा जिलों में सिंचाई और पेयजल संकट से उबरने के लिए तेरह बांध बने हुए हैं। पिछले साल इन बांधों में काफी पानी संचयित था, लेकिन इस साल कम बारिश की वजह से बांधों में पानी का संचयन नहीं हो पाया। जो थोड़ा हुआ भी, वह भीषण गर्मी की चपेट में आकर गायब हो गया। 

चित्रकूट जिले के दो बांध ओहन व बरुआ और महोबा जिले के चार अर्जुन बांध, चंद्रावल बांध, कबरई व मझगवां बांध बिल्कुल सूख गए हैं। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा में बांदा जिले के रनगवां, बरियारपुर व गंगऊ बांध, महोबा के उर्मिल, मौदहा एवं चित्रकूट जिले के रसिन और गुंता बांध में नाम मात्र का पानी बचा है। यहां केन, बागै, चंद्रावल जैसी आधा दर्जन नदियों की जलधारा भी सिकुड़कर पतली हो गई हैं।बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी के लिए एक दशक से 'नदी बचाओ-तालाब बचाओ' आंदोलन चला रहे सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश रैकवार ने बताया, "चित्रकूट जिले के ओहन और बरुआ बांध और महोबा जिले के अर्जुन, चंद्रावल, कबरई व मझगवां बांध विल्कुल सूख गए हैं। बांदा के रनगवां, बरियारपुर, गंगउ, महोबा के उर्मिल, मौदहा, और चित्रकूट जिले में रसिन व गुंता बांध में नाम मात्र का पानी बचा है।" 

उन्होंने बताया कि जीवन दायिनी नदियां- केन, बागै, बान गंगा, मंदाकिनी व चंद्रावल की धाराएं सिकुड़ चुकी हैं, जिससे गांवों से लेकर शहरों व कस्बों तक में जल संकट की काली छाया मंडरा रही है। यदि समय से बुंदेलखंड में मानसून की आमद न हुई तो जलसंकट और बढ़ सकता है। इस सामाजिक कार्यकर्ता की मानें तो बुंदेलखंड में अब भी प्राकृतिक जलस्रोत मौजूद हैं, जिनको पुनर्जीवित कर सरकार जलसंकट से निजात दिला सकती है। उन्होंने बताया कि बांदा जिले के फतेहगंज इलाके में गोबरी, गोड़रामपुर, गोंड़ी बाबा का पुरवा, बिलरियामठ, कुरुहूं गांवों में लगे सरकारी हैंडपंप पानी देना बंद कर दिए तो वहां के ग्रामीणों के समूह ने कंड़ैली नाला की झील की सफाई कर पीने योग्य पानी निकाल लिया है, इस तरह के कई जलस्रोत मौजूद हैं।चित्रकूटधाम परिक्षेत्र बांदा के आयुक्त एल. वेंकटेश्वरलू ने भी बांधों के सूखने की बात स्वीकार की है, समय से बारिश होने के अलावा इनमें पानी संचय का दूसरा उपाय नहीं है, पर पेयजल संकट से निपटने में प्रशासन सक्षम है।