5 Dariya News

उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्या के निष्कासन पर स्थगन से न्यायालय का इंकार

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नई दिल्ली 10-May-2016

जेएनयू के छात्रों उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्या को अंतरिम राहत देने से इंकार करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को उनके निष्कासन आदेश पर रोक लगाने से मना कर दिया। विश्वविद्यालय परिसर में कश्मीर पर विवादास्पद कार्यक्रम आयोजित करने के लिए जेएनयू ने इन छात्रों खिलाफ निष्कासन का आदेश दिया है।न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा कि वह आदेश पर स्थगन नहीं देंगे। न्यायालय ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय को नोटिस जारी कर जांच रपट समेत प्रासंगिक दस्तावेजों के साथ जवाब दाखिल करने को कहा है।मामले की सुनवाई 30 मई तक टालते हुए न्यायमूर्ति ने कहा, "मुझे रिकॉर्ड चाहिए। मुझे देखना है कि सही प्रक्रिया का अनुसरण हुआ या नहीं। मुझे तथ्यों की जांच पड़ताल करनी है। इस मामले में सोच-विचार की जरूरत है और रातोंरात निर्णय नहीं किया जा सकता है।"खालिद और अनिर्बान ने निष्कासन आदेश के खिलाफ और खालिद पर लगाए गए 20000 रुपये का जुर्माना के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया है। विश्वविद्यालय ने इन लोगों के खिलाफ गत 25 अप्रैल को कार्रवाई की थी। 

इस मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन ने जांच समिति का गठन किया था और समिति ने इन लोगों को दुर्व्यवहार और अनुशासनहीनता का दोषी पाया था।विश्वविद्यालय के मुख्य प्रॉक्टर ने कहा था कि दोनों छात्र कविता पाठ के नाम पर विरोध प्रदर्शन करने के दोषी पाए गए हैं। दोनों छात्रों की ओर से वकील ने अदालत से कहा कि बिना समुचित सुनवाई और नोटिस के ही इन्हें निष्कासित किया गया। वकील ने बहस करते हुए कहा कि दोनों 10 दिनों तक छिपे हुए थे और उसके बाद समर्पण कर दिया और इन्हें जेल भेज दिया गया था तो इनके पीछे कैसे जांच समिति गठित हो सकती है।दूसरी ओर जेएनयू के वकील ने कहा कि इनके आवसीय पते पर और जेल में नोटिस भेजे गए थे। जब 20000 रुपये का जुर्माना लगाने पर खालिद के वकील ने आपत्ति उठाई तो विश्वविद्यालय ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई तक जुर्माने की रकम के भुगतान की तिथि बढ़ा दी जाएगी।गत नौ फरवरी के कार्यक्रम के कारण जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार, खालिद और अनिर्बान को देशद्रोह के आरोप में जेल भेज दिया गया था। यह आरोप लगाया गया था कि कार्यक्रम में भाग लेने वालों ने देश विरोधी नारे लगाए थे। दिल्ली पुलिस ने दावा किया था कि कन्हैया कुमार और अन्य छात्रों के खिलाफ उसके पास सबूत है। लेकिन पुलिस अदालत में सबूत पेश नहीं कर पाई, जिसके कारण जेल से ये लोग रिहा हो गए थे।