5 Dariya News

13 बर्षो बाद आज गोपालपुर गढ़ को रवाना होगें देवता छमांहु नाग

गोपालपुर गढ़ के गढ़ पती देवता है छमांहु नाग, चार दिनों तक चलने वाली इस यात्रा में हजारों लोग होंगे शामिल

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बंजार 10-May-2016

बंजार उपमंडल के तहत आने वाली गोपालपुर तथा थाटिवीड़ पंचायत के लगभग 60 गांव के अराध्य तथा कोठी गोपालपुर के गढ़पति देवता छमांहु नाग 13 बर्षो बाद अपने ऐतिहासिक स्थान गोपालपुर गढ़ के लिए आज अर्थात बुधवार को रवाना होंगे चार दिनों तक चलने वाली इस ऐतिहासिक यात्रा में सराज घाटी के सैकडों गांवों से हजारों की संख्या लोग यस यात्रा में भाग लेगें। बताते चले कि देवता छमांहु नाग कोठी गोपालपुर के गढ़पति देता है तथा गोपालपुर गढ़ में देवता का अपना अधिपत्य है। वहीं गोपालपुर गढ के लिए इस बार लगभग 13 बर्षो बाद देवता की यह एतिहासिक यात्रा होगी बुध बार को शुरू होने वाली इस यात्रा का चार दिन बाद शविनार को विधीवत समापन होगा इस यात्रा के तहत देवता अपने सैकड़ों हारियानों के साथ बडाग्रां से शिकारीबीड़ के लिए रवाना होंगे। देवता के  शिकारी विड़ पंहुचने पर यहां देवता का भव्य स्वागत किया जाएगा रात्री के समय  देव कार्यवाही के बाद यहां भजन किर्तन का आयोजन किया जाएगा तथा प्रातः काल के समय देव पुजा अर्चना के बाद देवता को गोपालपुर गढ़ के लिए रवाना किया जाएगा तथा यहां पंहुचने देवता तथा जोगणी के इस भव्य मिलन के हजारों लोग गवाह बनेगे ,यहां पर देव कचहरी का आयोजन भी किया किया जाएगा तथा हजारों की संख्या में लोग यहां खुले आसमान के निचे पुरी रात जागरण करेगं 

दुसरे दिन प्रातः काल के समय देव पुजा अर्चना के बाद यहां पर भंण्डारे का आयोजन किया जाएगा तथा देव परम्परा के अनुसार ही यहां से देवता की बिदाई होगी । माना यह जाता है कि देवता तथा जोगणी का यह मिलन  हजारों साल पुराना है और जब समाज पर किसी तरह का संकट आता है तभी देव-जोगणी मिलन है और वर्तमान में यह मिलन 13 बर्षो बाद हो रहा है इसके बाद देवता को  सैकडों बाद्य यंत्रों तथा नेजे नशानों के साथ मरोड़ गांव से होकर कलिउण मन्दिर लाया जाएगा तथा यहां पर भी देव जागरण के साथ भंण्डारे को आयोजन भी किया जाएगा । देवता छमांहुनाग के पुजारी महेन्द्र शर्मा ,गुर चेतराम कारदार मोहन सिंह ,भण्डारी तेजासिंह तथा ठाकुर तुलसी राम ने जानकारी देते हुए बताया कि यह एक ऐतिहासिक यात्रा है जो एक लम्बे अन्तराल के बाद होती है । उन्होने कहा कि जब- जब समाज पर कोई संकट आता है तो तब-तब इस तरह की यात्रा का आयोजन किया जाता है । वहीं उन्होने कहा कि इस तरह की यात्राओं से जहां हमारी प्राचिन संस्कृति को बल मिलता है वहीं इस तरह की यात्रा से आपसी भाई चारे जथा प्रेम का संदेश भी जाता है तथा आपसी मेल जोल को भी बढावा मिलता हैं।