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अगस्ता वेस्टलैंड चॉपर पर सियासत की दिशा

5 Dariya News (राजीव रंजन तिवारी)

29-Apr-2016

आजकल भारतीय सियासत में अगस्ता वेस्टलैंड चॉपर जबरदस्त तरीके से चर्चा में है। यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में हुए अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर सौदे से जुड़े कथित भ्रष्टाचार के मामले में आए इटली की अदालत के फैसले ने भले भाजपा को कांग्रेस के खिलाफ हमलावर कर दिया हो, पर केन्द्र सरकार को चाहिए कि वह इस प्रकरण के तह तक जाए तथा दूध का दूध और पानी का पानी करे। इटली की अदालत ने अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी के प्रमुख ऊर्सी व हेलिकॉप्टर बनाने वाली कंपनी फिनमैकेनिका को रिश्वत देने और भारत के पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी को रिश्वत लेने का दोषी ठहराया है। फैसले में च्सिग्नोराज् गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, यूपीए सरकार के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे एमके नारायणन के साथ दो और नेताओं का जिक्र है। इस फैसले से देश में सियासी तापमान चढ़ गया है। भाजपा का आरोप है कि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने सीबीआई जांच का आदेश भले दिया था, पर जांच की प्रक्रिया बहुत धीमी थी, वहीं कांग्रेस का सवाल है कि राजग सकार आने के बाद सीबीआई जांच तेज क्यों नहीं की गई? इन आरोपों और सवालों से जाहिर है कि यह घमासान चलता रहेगा और संसद में हंगामे का भी एक खास विषय फिलहाल बना रहेगा। यह पहला मौका नहीं है जब किसी रक्षा सौदे में दलाली या रिश्वत के आरोपों ने देश की राजनीति में तूफान मचाया हो। बोफर्स विवाद के बाद कमीशनखोरी को प्रतिबंधित करने तथा पारदर्शिता के कुछ नियम-कायदे तय किए गए थे। रक्षा सौदों को बोफर्स विवाद के इतने बरस बाद भी पाक-साफ क्यों नहीं बनाया जा सका? कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने बीजेपी के आरोपों को नकारते हुए कहा कि अगर उनके खिलाफ कुछ भी गलत पाया जाता है, तो उन्हें फांसी पर लटका दिया जाए। ये आरोप निराधार हैं। वे किस आधार पर मेरा नाम ले रहे हैं? सरकार आरोप लगा रही है तो उसे जांच भी करनी चाहिए। कांग्रेस के एक अन्य नेता ऑस्कर फर्नांडीस ने कहा कि यदि सरकार के पास कोई सूचना है, तो उसे सामने लाए और सदन में बयान दे।

सोनिया गांधी ने ठीक ही कहा कि दो साल से मोदी सरकार है, उसने अगस्ता वेस्टलैंड की जांच के बारे में क्या किया। बीजेपी के नेता इसे ठीक से सुन लेते तो पलट कर पूछते कि उनकी सरकार के रक्षा मंत्री एके एंटनी ने फरवरी २०१२ में जांच शुरू की, २०१४ तक क्या गुल खिला पाए। अब बीजेपी पर जवाबदेही आ गई है कि वो इसे अंजाम तक पहुंचायेगी और जेल भी भेजेगी, चाहे कोई हो। २४ फरवरी २०१२ को एक अंग्रेजी अखबार में ख़बर छपी थी कि इटली के अटार्नी जनरल ने एक जांच शुरू की। इटली की कंपनी फिनमैकेनिका ने भारत के साथ जो डील साइन की है उसमें दलाली के आरोप लग रहे हैं। आप जानते हैं कि मेन कंपनी फिनमैकेनिका है और अगस्ता वेस्टलैंड सहायक कंपनी है। फिनमैकेनिका इटली की सार्वजनिक उपक्रम टाइप की कंपनी है। फरवरी २०१३ में इटालियन पुलिस ने फिनमैकेनिका के चेयरमैन ओरसी को गिरफ्तार किया। चार्ज लगाया गया कि ओरसी ने दलालों को ३६० करोड़ रुपये दिये हैं ताकि वे भारत के साथ हेलिकाप्टर की बिक्री को सुनिश्चित करवा सकें। फरवरी २०१२ में इटली में जांच की ख़बर आते ही तब के रक्षा मंत्री जांच के आदेश दे देते हैं। इटली में तो २०११ के साल से ही इस तरह की चर्चा होने लगी थी। 

एक अन्य अंग्रेजी अख़बार में १७ फरवरी २०१३ को खबर छपी कि भारत ने इटली से इस मामले से जुड़े दस्तावेज़ मांगे थे, लेकिन इटली की अदालत ने नई दिल्ली की मांग को खारिज कर दिया था। बाद में २०१३ में इटली की अदालत ने ९० हज़ार से अधिक पन्नों के दस्तावेज़ भारतीय एजेंसियों को सौंपे। २०१३ से २०१६ के बीच कितने पन्नों का अनुवाद हुआ मालूम नहीं। खैर, फरवरी २०१३ में राज्य सभा में यूपीए सरकार ने जेपीसी बनाने का प्रस्ताव भी पास कर लिया, मगर जेपीसी बनी नहीं, क्योंकि तमाम विरोधी दलों को एतराज़ था। जेडीयू का कहना था कि विपक्ष का नेता इस संयुक्त संसदीय समिति का अध्यक्ष होगा तो बीजेपी का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच होनी चाहिए। क्या अभी सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच हो रही है? तब रक्षा मंत्री के रूप में एके एंटनी ने बयान दिया था जो यहां जानना दिलचस्प होगा। विपक्ष का आरोप है कि हम कुछ नहीं कर रहे हैं लेकिन इटली की न्यायपालिका है, जो इटली की सरकार से स्वतंत्र है, वो पूरा केस देख रही है। 

गौरतलब है कि अगस्ता की मूल कंपनी इटली की फिनमैकेनिका ने छत्तीस सौ करोड़ रुपए में बारह वीवीआईपी हेलिकॉप्टर भारत को बेचने का सौदा किया था। इसकी खरीदारी की प्रक्रिया २००५ से २००७ के बीच ही शुरू हो गई थी, और तब एसपी त्यागी भारतीय नौसेना के प्रमुख थे। वर्ष २०१० में हुए सौदे के तहत तीन हेलिकॉप्टरों की आपूर्ति हो चुकी थी और तीस फीसद रकम का भुगतान हो चुका था। लेकिन तीन सौ साठ करोड़ रुपए की रिश्वतखोरी की बात सामने आने पर यूपीए सरकार ने वह सौदा रद्द कर दिया। मामले का संज्ञान लेते हुए तब के रक्षामंत्री एके एंटनी ने २०१३ में सीबीआई जांच का आग्रह किया। आरोप है कि हेलिकॉप्टर की क्षमता के मानक बदलने तथा सौदे को अंतिम रूप दिलाने के लिए कुछ भारतीय राजनीतिकों तथा अफसरों को रिश्वत दी गई। हालांकि अभी यह पूरी तरह साफ नहीं है कि उन नामों का जिक्र किस रूप में या किस संदर्भ में आया है। इस बीच, सौदे में मध्यस्थ की भूमिका निभा चुके जेम्स क्रिश्चियन मिशेल ने कहा है कि वह सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के सभी सवालों के जवाब देने को तैयार थे और इस आशय का अनुरोध-पत्र भी दोनों एजेंसियों को भेजा था, पर उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया। 

अब सीबीआई ने मिशेल को गिरफ्तार करने के लिए इंटरपोल से आग्रह किया है। दूसरी तरफ कांग्रेस ने भाजपा पर पलटवार करते हुए सवाल उठाया है कि रिश्वतखोरी के आरोप सामने आने पर यूपीए सरकार ने सौदा रद्द करने के साथ ही जिस अगस्ता वेस्टलैंट को काली सूची में डाल दिया था, उसे राजग सरकार ने काली सूची से बाहर क्यों कर दिया? कांग्रेसी नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि दो साल से मोदी सरकार क्या कर रही है? रिश्वत देने वाले और लेने वाले पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? क्या मनोहर पर्रिकर बताएंगे कि २२ अगस्त २०१४ को रक्षा मंत्रालय ने इस कंपनी की ब्लैक लिस्टिंग खत्म करके रक्षा मसौदे में भाग लेने की इजाजत क्यों दी? जेडीयू के नेता केसी त्यागी ने कहा कि सोनिया गांधी कह चुकी हैं कि अगर उनके विरुद्ध कोई साक्ष्य है तो सरकार प्रस्तुत करे और कार्रवाई करे। खाली राजनीति न करें। बहरहाल, हालात अनुकूल नहीं हैं। अब देखना है कि केन्द्र की मोदी सरकार इस मामले में क्या करती है।

संपर्कः राजीव रंजन तिवारी, द्वारा- श्री आरपी मिश्र, ८१-एम, कृष्णा भवन, सहयोग विहार, धरमपुर, गोरखपुर (उत्तर प्रदेश), पिन- २७३००६. फोन- ०८९२२००२००३.