5 Dariya News

केन्द्र ने मनरेगा के लिए राज्यों को 12,230 करोड़ रुपये जारी किए

जारी कोष से राज्यों के लंबित मजदूरी दायित्व की देखरेख होगी- बीरेंद्र सिंह

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नई दिल्ली 09-Apr-2016

केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री बीरेंद्र सिंह ने कहा है कि ग्रामीण विकास मंत्रालय ने अपने प्रमुख कार्यक्रम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के कार्यान्वयन के संदर्भ में राज्यों को केन्द्र के अंश के तौर पर 12,230 करोड़ रूपये जारी किए हैं। मंत्री महोदय ने कहा कि इस जारी कोष से पिछले वित्तीय वर्ष (2015-16) के लिए राज्यों के बकाया मजदूरी दायित्वों की देखरेख के साथ-साथ नए वित्तीय वर्ष (2016-17) के दौरान इस कार्यक्रम को संचालित करने के लिए राज्यों को मदद मिलेगी। उन्होंने दोहराया कि सरकार इस कार्यक्रम उद्देश्यों को पूर्ण करने के लिए पर्याप्त संसाधनों के प्रवाह को सुनिश्चित करने के प्रति वचनबद्ध है। मंत्रालय ने ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी गुणवत्ता की परिसंपत्तियों के निर्माण को सुनिश्चित करने के लिए अब जिला स्तर पर 60:40 के मजदूरी-सामाग्री अनुपात को बनाए रखने का भी फैसला किया है। 

वित्तीय वर्ष 2015-16 के लिए मनरेगा के अंतर्गत 8 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की मजदूरी बकाया जैसी मीडिया के एक वर्ग में छपी खबरों का खंडन करते हुए श्री सिंह ने कहा कि वास्तव में वर्ष 2015-16 में मनरेगा के अंतर्गत 41,371 करोड़ रुपये का व्यय दर्ज किया गया है, जो इस कार्यक्रम के प्रारंभ होने के बाद से अधिकतम व्यय है। इस व्यय में से 30,139 करोड़ रुपयों का मजदूरी के रूप में भुगतान भी किया जा चुका है। पिछले तीन वर्षों में, इस योजना के अंतर्गत सर्वाधिक रोजगार सृजन हुआ है और पूर्ण किए गए कार्यों, महिलाओँ की भागीदारी (55 प्रतिशत) और इलैक्ट्रोनिक कोष प्रबंधऩ व्यवस्था के माध्यम से भुगतानों के 95 प्रतिशत जैसे उल्लेखनीय मानदंड प्राप्त करते हुए प्रमुख मानकों के मामले में पिछले तीन वर्षों में सर्वेश्रेष्ठ उपलब्धि हासिल की गई है। 

मंत्री महोदय ने कहा कि ग्रामीण विकास मंत्रालय इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन में व्यापक स्तर पर संशोधनों को इस तरीके से अंजाम दिया है कि इससे कृषि-संबंधी कठिनाई को दूर करने की दिशा में काम करने के अलावा सूखा प्रभावित क्षेत्रों में कार्य की मांग को पूरा करते हुए और सिंचाई संभावनाओँ को बढ़ाने से जुड़ी अधिकांश आय सृजन वाली परिसंपत्तियों से लाभ लेने की दिशा में कार्य किया गया है। वर्ष 2015-16 में राज्यों से आवश्यक उपलब्ध संसाधनों की सुनिश्चितता के साथ खासतौर पर सूखा प्रभावित क्षेत्रों में जहां भी आवश्यकता हो रोजगार प्रदान करने के लिए कहा गया था। मंत्रालय ने 10 राज्यों के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में परिवारों के कार्य में 100 दिन से 150 दिन तक की वृद्धि भी कर दी है। इऩ क्षेत्रों में 20.48 लाख परिवारों ने इस अवसर का लाभ उठाया है और 100 दिनों से ज्यादा के कार्य को पूर्ण किया है। 

राष्ट्रीय स्तर पर 44 लाख परिवारों ने 100 दिनों का कार्य पूर्ण किया है। मजदूरी के भुगतान को भविष्य में और शीघ्रता से करने के लिए मंत्रालय ने मंत्रिमंडल के फैसले के अनुरूप वर्तमान वित्तीय वर्ष में राष्ट्रीय इलैक्ट्रोनिक कोष प्रबंधन व्यवस्था (एनईएफएमएस) का भी शुभारंभ किया है। 2016-17 में अपने श्रम बजट के एक अंग के तौर पर राज्यों ने कृषि क्षेत्र में वृद्धि के लिए 8.82 लाख कृषि तलाबों और 10.39 लाख जैविक वानस्पतिक खाद गढ्ढों का निर्माण करने का प्रस्ताव दिया है। राज्यों ने स्वच्छ भारत अभियान के एक अंग के तौर पर 33 लाख व्यक्तिगत परिवार शौचालय (आईएचएचएल) और ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के लिए 63 हजार आंगनबाड़ी केन्द्र भवनों के निर्माण का भी प्रस्ताव दिया है। 2016-17 के लिए खासतौर पर रोजगार सृजन में गति को बढ़ाने और निगरानी व्यवस्था को मजबूत बनाने पर ध्यान दिया जाएगा।