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बेबे नानकी लाडली बेटी कल्याण स्कीम तहत 26875 बच्चियों ने लाभ लिया-सुरजीत कुमार ज्याणी

राज्य सरकार की इस स्कीम का उद्धेश्य गरीब परिवारों की लड़कियों का सामाजिक और शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाना

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चंडीगढ़ 01-Apr-2016

सामाजिक सुरक्षा एवं महिला तथा बाल विकास मंत्री सुरजीत कुमार ज्याणी ने बताया कि पंजाब सरकार द्वारा राज्य में लड़कियों के लिंग अनुपात में सुधार अभियान तहत बेबे नानकी लाडली बेटी कल्याण स्कीम तहत 26875 बच्चियों को लाभ देते हुए अब तक 53.75 करोड़ रूपए जारी किए जा चुके हैं ताकि उनका सामाजिक-शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाया जा सके।आज यहां इस संबंधी जानकारी देते हुए श्री ज्याणी ने बताया कि राज्य में लगातार लड़कियों के लिंग अनुपात में गिरावट के मद्देनज़र यह स्कीम लाई गई थी जिसका राज्य में गरीब परिवारें को लाभ हुआ है। उन्होंने बताया कि बेबे नानक लाडली बेटी कल्याण स्कीम की तरह कई अन्य स्कीमें भी जरूरतमंद लोगों के लिए चलाई जा रही है जिस स्वरूप पंजाब के कई जिलों के लिंग अनुपात में सुधार हुआ है।मंत्री ने आगे बताया कि बेबे नानकी लाडली बेटी कल्याण स्कीम विशेष तौर पर गरीब परिवारों से संबंधित लड़कियों के लिए बनाई गई एक अभियान की तरह है जिसकी सम्पूर्ण जानकारी आंगनवाड़ी सैंटरों में ली जा सकती है। इस योजना का मुख्य उद्धेश्य गरीब परिवारें की लड़कियों को शिक्षित करना है ताकि वह देश के समूचे विकास में अपना बनता योगदान डाल सकें। उन्होंने बताये कि जिम्मेवार नागरिकों, गैर-सरकारी संस्थानों तथा समाज सेवकों को पहलकदमी करते हुए इन योजनाओं की पहुंच गरीब लोगों तक करवानी चाहिए। मंत्री ने इस योजना की जानकारी देते हुए बताया कि एक जनवरी, 2011 के बाद जन्म लेने वाली लड़कियों के माता-पिता द्वारा दो वर्ष के भीतर आवेदन करने के पश्चात 18 वर्ष की आयु तक पड़ाववार प्रति लड़की 61 हज़ार रूपए की वित्तीय सहायता दी जाती है। पंजाब में लावारिस मिली एवं मौजूदा समय में राज्य के अनाथ आश्रम/चिल्ड्रन होम में रह रही लड़कियों को भी स्क ीम तहत वित्तीय सहायता दी जाती है। उन्होंने कहा कि इस स्कीम का लाभ प्राप्त करने के  िलए परिवार में पहले पैदा हुई लड़कियों की संख्या का कोई प्रभाव नहीं होगा तथा यह लाभ केवल तीस हज़ार रूपए वार्षिक आय वाले परिवारों की लड़कियों को ही मिलेगा एवं आय सबूत के तौर पर नीला कार्ड होना अनिवार्य चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि लड़की द्वारा किसी कारण पढ़ाई छोड़ दी जाती है, तो उस तिथि के बाद इस स्कीम का लाभ मिलना बंद हो जाता है।

उन्होंने बताया कि स्कीम तहत माता-पिता को लड़की के जन्म पर 2100 रूपए तीन वर्ष की आयु होने /टीकाकरण के बाद/ पर  2100 रूपए दिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि लड़की के पालन पोषण हेतू वित्तीय सहायता देने तथा उसकी स्कूली शिक्षा को विश्वसनीय बनाने के लिए 6 वर्ष की आयु होने पर पहली कक्षा में प्रवेश लेने के समय फिर 2100 रूपए दिए जाएंगे और 9वीं कक्षा /14वर्ष/   में प्रवेश लेने के पश्चात् 2100 रूपए और 18 वर्ष की आयु तक 12वीं कक्षा में प्रवेश लेने पर 31000 रूपए की सहायता राशि दी जाती है। उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त  पहली से छठीं कक्षा तक 100 रूपए प्रति माह की दर से छात्रवृत्ति भी दी जाती है जो कुल 7200 रूपए बनती है। सातवीं से बाहरवीं तक 200 रूपए प्रति माह की दर से छात्रवृत्ति राशि दी जाती है जोकि कुल 14400 रूपए बनती है। उन्होंने कहा कि लड़कियों के जन्म से लेकर बालिग होने तक पड़ाववार ढंग से दी जाने वाली इस सहायता का उद्धेश्य गरीब परिवारेां की लड़कियों का सामाजिक और शैक्षणिक स्तर ऊंचा उठाना ताकि माता-पिता द्वारा अपनी बेटियों को अपने पर बोझ ना समझा जाए।