5 Dariya News

निरंकारी सामूहिक विवाह समारोह में 10 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे

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चण्डीगढ़ 28-Mar-2016

चण्डीगढ़ के संयोजक श्री मोहिन्द्र सिंह ने बताया कि सन्त निरंकारी मण्डल के समाज कल्याण विभाग की ओर से आज एक सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन दिल्ली में किया गया जिसमें 10 जोड़े निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी महाराज के पावन आशीर्वाद से परिणय सूत्र में बंधे।  भले ही संख्या बहुत बड़ी नहीं थी, फिर भी ये 20 वर-बधू दिल्ली के अलावा देश के 6 प्रदेशों तथा 2 दूर-देशों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।दूल्हों में 4 दिल्ली से तथा एक-एक पंजाब, हरियाण, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, उड़ीसा तथा अमेरिका से आए थे जबकि 6 दुल्हनें दिल्ली से, 2 पंजाब से ओर एक-एक महाराष्ट्र तथा इंग्लैंड के परिवारों से थी। इस प्रकार 3 जोड़े दिल्ली से थे और शेष 5 का विवाह अंतराज्यीय तथा 2 का अन्तरदेशीय स्तर पर हुआ।

इस साधारण रीति में पारम्परिक जयमाला के साथ निरंकारी शादी का विशेष चिन्ह सांझा-हार भी प्रत्येक जोड़े को पहनाया गया।  गीतकार लावें पढ़ रहे थे और निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी महाराज आशीर्वाद के रूप में जोड़ों पर पुष्प-वर्षा कर रहे थे।  उनके साथ साध संगत तथा वर-बधू के सगे सम्बन्धियों ने भी पुष्प-वर्षा की। 

नव-विवाहित जोड़ों के आशीर्वाद प्रदान करते हुए निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी महाराज ने कहा कि आज के इस सामूहिक विवाह समारोह में भाग लेने वाले सभी परिवार काफी समय से मिशन के साथ जुड़े हुए हैं और वर-बधू भी सत्संग, सेवा तथा सुमिरण में पूरी तरह समर्पित हैं। एक जोड़ा तो आज भी सेवादल की वर्दी में आया है जिसमें दूल्हा जयपुर से और दुल्हन पुणे से आई है। बाबा जी ने कहा कि भक्त सदा ही अपनी पारिवारिक तथा सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए भक्ति मार्ग पर चलते आए हैं। कबीर जी तथा ऐसे अनेक संतों-महात्माओं के उदाहरण हमारे सामने हैं। उन्होंने कभी अपने आपको समाज पर बोझ नहीं बनने दिया बल्कि अपनी किरत-कमाई आप करते रहे।बाबा जी ने आगे कहा कि एकता, समानता तथा मिलवर्तन का संदेश जो यहाँ नव-विवाहित जोड़ो को इस कार्यक्रम के दौरान दिया जा रहा है वह अन्य परिवार के सदस्यों के लिए भी उतना ही लाभकारी है। ये जोड़े एक परिवार का ही तो अंग हैं जहा प्रत्येक सदस्य को इन मानवीय गुणों - नम्रता, विशालता, सहनशीलता तथा मीठी बोली इत्यादि की आवश्यकता है।नव-विवाहित जोड़ों के लिए सभी सुख-सुविधाओं के लिए प्रार्थना करते हुए बाबा जी ने सभी वर-बधु को प्रेरणा दी कि साध संगत के साथ जुड़े रहें क्योंकि संत ही हैं जो हमें संसार के प्रलोभनों से बचाकर भक्ति मार्ग पर सुदृढ़ बनाए रखते हैं।