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दिल्ली उच्च न्यायालय में पचौरी की जमानत के खिलाफ याचिका खारिज

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नई दिल्ली 04-Mar-2016

दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को पर्यावरणविद् आर. के. पचौरी को दी गई अग्रिम जमानत रद्द करने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज कर दी। यह याचिका पचौरी पर यौन प्रताड़ना का आरोप लगाने वाली 29 वर्षीया युवती ने दायर की थी, जो टेरी में शोध विश्लेषक के रूप में काम कर चुकी हैं।याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति एस. पी. गर्ग ने कहा, "ट्रायल कोर्ट ने दस्तावेजों का सूक्ष्मतापूर्वक अवलोकन करने के बाद ही 21 मार्च, 2015 को पचौरी को अग्रिम जमानत दी थी।"

उच्च न्यायालय ने कहा, "याचिकाकर्ता के वकील अदालत को यह समझाने में असफल रहे हैं कि पचौरी को हिरासत में लेकर जांच करने से क्या हासिल होगा। पचौरी को जमानत देते वक्त याचिकाकर्ता के हितों का पूरा ख्याल रखा गया और जांच एजेंसी का भी। इसलिए आरोपी पर कड़ी शर्ते लगाई गईं।"दिल्ली पुलिस ने पचौरी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत यौन प्रताड़ना का मामला दर्ज किया है। पुलिस ने इस मामले में 23 गवाहों और आरोपी तथा पीड़िता के बीच कई एसएमएस, ईमेल और व्हाट्सअप मैसेज के आदान-प्रदान को सबूत के तौर पर पेश किए हैं।पीड़िता की तरफ से वकील प्रशांत मेदिरत्ता ने पचौरी की अग्रिम जमानत रद्द करने की मांग करते हुए कहा कि वह गवाहों को प्रभावित कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि पचौरी एक प्रभावशाली इंसान हैं, जो 34 साल तक एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (टेरी) से जुड़े रहे और वे अब भी इसके अधिकारियों के संपर्क में हैं।पीड़िता के वकील ने अदालत को टेरी के एक कर्मचारी का हवाला दिया, जिसने वहां से इस्तीफा देकर 11 जनवरी, 2016 पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई थी कि टेरी के वरिष्ठ अधिकारियों ने उन पर पीड़िता और पचौरी के बीच मामले का निपटारा करवाने का दवाब डाला था। पचौरी ने हालांकि अदालत को बताया कि उन्होंने कभी टेरी या उसके अधिकारियों पर दवाब नहीं बनाया।