5 Dariya News

व्यापमं ने अजा-जजा से परीक्षा शुल्क में वसूले 150 करोड़ रुपये

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भोपाल 03-Feb-2016

मध्य प्रदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) ने नौ वर्षो में विभिन्न भर्ती परीक्षाओं में नियमों को ताक पर रखकर अनुसूचित जाति और जनजाति के उम्मीदवारों से 150 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि वसूल की है। यह आरोप व्हिसिलब्लोअर ने पूर्व विधायक पारस सखलेचा और अजय दुबे ने लगाया है और व्यापमं से परीक्षार्थियों से वसूल की गई राशि वापस करने के साथ जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई की मांग की है। राजधानी में संवाददाताओं से चर्चा करते हुए बुधवार को व्हिसिलब्लोअर ने कहा कि राज्य में आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को विभिन्न परीक्षाओं में शुल्क की रियायत है, मगर व्यापमं ने इसे दरकिनार करते हुए इन वर्गो से सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों की तरह शुल्क वसूली का क्रम जारी रखा। उनकी मांग है कि वसूली गई राशि वापस किए जाने के साथ उन अफसरों की जिम्मेदारी तय हो जिन्होंने यह वसूली कराई। 

सखलेचा और दुबे ने बताया कि व्यापमं की परीक्षा और शुल्क का जो ब्योरा उपलब्ध है वह सिर्फ 2008 से 2013 तक का है, और इस अवधि में ही आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों से भर्ती परीक्षाओं में 105 करोड़ रुपये वसूले गए है। अगर बीते नौ वर्षों में इस राशि को जोड़ा जाएगा तो वह 150 करोड़ से कहीं ज्यादा हेागी। उन्होंने सीधे तौर पर व्यापमं की जांच कर रही सीबीआई की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए। उनका आरोप है कि सीबीआई सिर्फ 157 प्रकरण की ही जांच कर रही है, जबकि एसटीएफ ने 212 प्रकरण दर्ज किए थे। सीबीआई ने जिन 55 प्रकरणों को जांच में नहीं लिया है, उसका ब्योरा सार्वजनिक नहीं किया है। इतना ही नहीं पिछले दिनों भोपाल में जिन सात रिटायर्ड अफसरों के घरों की तलाशी ली उनके भी नाम बताने से कतरा रही है। 

उन्होने आरोप लगाया कि राज्य में अनुसूचित जाति वर्ग के अफसरों को भी प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य के 240 अफसरों के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने के लिए लोकायुक्त ने सरकार से अनुमति मांगी, राज्य सरकार ने दो दलित आईएएस अफसर शशि कर्णावत और रमेश थेटे के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने की अनुमति दे दी, वह इसलिए क्योंकि वे दलित हैं। वहीं शेष अफसरों के साथ ऐसा करने से कतरा रही है। सखलेचा और दुबे के साथ तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष अरुण द्विवेदी भी मौजूद थे। सभी ने एक स्वर में सरकार के रवैए की आलोचना की।