दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रयोग के तौर पर 15 दिनों के लिए सम-विषम योजना लागू की है, लेकिन उच्च न्यायालय ने बुघवार को सरकार से पूछा कि क्या इस योजना को 15 दिनों की जगह एक सप्ताह तक सीमित किया जा सकता है? मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंत नाथ की पीठ ने सरकार को योजना लागू होने के दौरान राजधानी में एक सप्ताह में प्रदूषण के स्तर का आंकड़ा पेश करने को कहा है।पीठ ने सरकार से सवाल किया है, "क्या इसे दो सप्ताह के लिए लागू करना जरूरी है? क्या इसे आठ दिनों के लिए सीमित नहीं किया जा सकता? क्या इसे शुक्रवार को समाप्त किया जा सकता है? लोगों को योजना के कारण असुविधा हो रही है।"
पीठ ने कहा, "यह एक प्रयोगिक योजना थी। समुचित सार्वजनिक परिवहन सुविधा नहीं है और दिल्ली की जनता ने असुविधा के बावजूद इस योजना में सहयोग किया। अब तक आपके पास आंकड़े आ गए होंगे। हमें दिखाएं कि प्रदूषण में कितनी गिरावट आई है।"अदालत ने यह भी पूछा कि प्रतिबंध के बावजूद सड़कों पर डीजल कैब्स क्यों चल रहे हैं।अदालत इस योजना के खिलाफ दायार 12 जनहित याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी।अधिवक्ता राहुल मेहरा ने दिल्ली सरकार की ओर से योजना का बचाव करते हुए कहा कि अब तक मिले आंकड़ों से साबित हुआ है कि वायु प्रदूषण के स्तर में गिरावट आई है।आप सरकार ने योजना में दोपहिया वाहनों को छूट देने के फैसले का बचाव करते हुए भी अदालत में एक रपट पेश की।रपट में कहा गया है, "दोपहिया वाहनों में पूलिंग करना ज्यादा कारगर नहीं होता और अनुमान के मुताबिक, लगभग 60-70 प्रतिशत आबादी को सार्वजनिक परिवहन पर निर्भर रहना पड़ता, जबकि वर्तमान सार्वजनिक परिवहन सुविधा इतनी बड़ी आबादी के अनुरूप नहीं है।"ज्ञात हो कि आम आदमी पार्टी (आप) की दिल्ली सरकार ने सम-विषम योजना को एक जनवरी से 15 जनवरी के लिए प्रायोगिक तौर पर लागू किया है।