गैर-पारंपरिक आतंकवाद की चुनौतियों के मुकाबले के लिए राज्य की तैयारियों को और बढ़ावा और मज़बूती प्रदान करने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने पहली कमांडो बटालियन के स्पैशल ऑप्रेशन ग्रुप (एस.ओ.जी) में विलय को सैद्धांतिक परवानगी दे दी है।इस विलय के लिए एस.ओ.जी के लिए अतिरिक्त 16.54 करोड़ रुपए रखे गए हैं जिनका प्रयोग हथियारों के आधुनिकीकरण और इनका स्तर ऊंचा उठाने के अलावा विशेष महारत फोर्स को उत्साहित करने के लिए की जायेगी।कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कमांडोज को जोखिम भत्ता देने के प्रस्ताव को भी सहमति दे दी है जो मूल वेतन की 40 प्रतिशत दर से दिया जायेगा। यह देश भर में अन्य प्रांतीय महारत प्राप्त फोर्स को दिए जा रहे भत्तों के तजऱ् पर दिया जायेगा। इससे सरकारी खजाने पर 5.15 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। साजो सामान, हथियारों, संचार प्रणाली और बुनियादी ढांचों के निर्माण पर खर्चा पड़ाववार तरीके से किया जायेगा। इसके लिए पहले साल 8.66 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने यह ऐलान आतंकवाद के साथ निपटने के लिए पुलिस की तैयारियों सम्बन्धी एक उच्च स्तरीय जायज़ा मीटिंग के दौरान किया। एक सरकारी प्रवक्ता के अनुसार इन फ़ैसलों बारे औपचारिक प्रस्ताव मंत्रीमंडल के समक्ष रखा जायेगा।आतंकवाद और राष्ट्र विरोधी तत्वों के विरुद्ध ग़ैर -पारंपरिक तौर-तरीकों का जि़क्र करते हुए मुख्यमंत्री ने राज्य के आतंकवाद विरोधी उपकरण में परिवर्तन लाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। मुख्यमंत्री ने मीटिंग के दौरान बताया कि विश्व का चेहरा बदलने के मद्देनजऱ एस.ओ.जी की भूमिका बहुत अहम है।एस.ओ.जी को एक विशेष और अति समर्थ यूनिट बनाने के लिए अपनी निजी वचनबद्धता दोहराते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस फोर्स को समर्थ बनाने के रास्ते में फंडों की कमी नहीं आने दी जायेगी। पाकिस्तान आधारित आतंकवादी संगठनों द्वारा सरहद पार से और स्थानीय स्तर पर आतंकवाद के पैदा किये जा रहे गंभीर खतरों को नोट करते हुए उन्होंने कहा कि हाल ही के समय के दौरान मज़बूत फोर्स की ज़रूरत और भी बढ़ गई है।
गौरतलब है कि पहली कमांडो बटालियन में 932 जवान और अफ़सर हैं। इनमें 273 हथियारबंद हमलों से निपटने वाले पद और 338 साहायक स्टाफ के पद हैं। इस समय कुल 157 कमांडोज को कमांडो प्रशिक्षण सैंटर पटियाला में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह प्रशिक्षण भारतीय सेना, पैरा -स्पैशल फोर्स और सी.पी.ओज़ और एन.एस.जी के माहिर ट्रेनरों द्वारा दी जा रही है।लगातार प्रशिक्षण की महत्ता पर ज़ोर देते हुए मुख्यमंत्री ने अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह को निर्देश दिए कि वह हथियारबंद ऑप्रेशनों के मौके पर तजुर्बा मुहैया करवाने के लिए जम्मू और कश्मीर में एस.ओ.जी कमांडोज़ के लिए प्रशिक्षण का प्रबंध करने की संभावनाओं का पता लगाएं। उन्होंने अतिरिक्त मुख्य सचिव को कहा कि वह नियमित समय के बाद राज्य के कमांडोज़ को प्रशिक्षण देने के लिए एन.एस.जी को विनती करने के लिए रूप -रेखा तैयार करें।हथियारों की खरीद में धीमी चाल को ख़त्म करने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने एस.ओ.जी के ए.डी.जी को कहा कि वह अति आधुनिक हथियार और तकनीकी साजो-सामान की खरीद के लिए एन.एस.जी के तौर-तरीकों को अपनाएं और उनसे खरीदें जो नेशनल सिक्योरटी एजेंसी द्वारा मंजूर किये गए हैं।इससे पहले एस.ओ.जी के ए.डी.जी.पी. ने प्रस्तुति देते हुए मुख्यमंत्री को पटियाला में बहादुरगढ़ कले में कमांडोज की ट्रेनिंग ड्रिल बारे जानकारी दी। उन्होंने लड़ाई सम्बन्धी मुकाबलों के दौरान प्रशिक्षार्थीयोंं द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर जीते विभिन्न अवार्डों बारे भी बताया।इस अवसर पर मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकलार, अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह एन.एस.कलसी, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव तेजवीर सिंह, डी.जी.पी सुरेश अरोड़ा, डी.जी.पी कानून व्यवस्था एच.एस.ढिल्लों, सचिव गृह कुमार राहुल, ए.डी.जी.पी /स्पैशल ऑप्रेशन ग्रुप पटियाला राकेश चंद्रा और ए.डी.जी.पी /एस.ओ.जी जतिन्दर कुमार जैन उपस्थित थे।