यहां भरमौर घाटी में सोमवार को धार्मिक उल्लास के साथ भगवान शिव को समर्पित पवित्र मणिमहेश झील के लिए 14 दिवसीय यात्रा शुरू हो गई। 13,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित मणिमहेश के लिए तीर्थयात्रा संयोग से जन्माष्टमी के दिन शुरू होकर 17 सितंबर को राधा अष्टमी पर संपन्न होगी। हर साल लोग कैलाश पर्वत की एक झलक पाने के लिए अंडाकार झील की यात्रा करते हैं और प्रार्थना करते हैं। कैलाश को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। उपायुक्त हरिकेश मीना ने आईएएनएस को बताया,”भक्तों की सुविधा के लिए तंबू और चिकित्सा शिविर स्थापित किए गए हैं।” तीर्थयात्रा के दौरान लोगों के नौकायन करने के लिए दो निजी हेली टैक्सी-संचालकों की अनुमति है। झील के पास भरमौर और गौरी कुंड के बीच अब तक 300 से ज्यादा लोगों को नौका से पार उतारा जा चुका है। उन्होंने कहा यहां से करीब 65 किलोमीटर दूर हडसर आधार शिविर से लकेर मणिमहेश तक की 14 किलोमीटर के मार्ग की मरम्मत कराई गई है। यात्रा की आधिकारिक रूप से शुरुआत से पहले ही हजारों श्रद्धालुओं ने यात्रा शुरू कर दी। भगवान शिव में आस्था रखने वाले भक्तों का कहना है कि कैलाश पर्वत को भक्त केवल तभी देख सकते हैं, जब भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। अगर पर्वत का शिखर बादलों के पीछे छिप गया तो यह शिव की अप्रसन्नता का संकेत है।