पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा पंजाब के लोगों को स्वच्छ पीने योग्य नहरी पानी मुहैया करवाने के सपने को स्थानीयनिकाय विभाग द्वारा अमली जामा पहनाने की कार्यवाही शुरू कर दी गई है। पहले चरण में पंजाब के तीन बड़े शहरों लुधियाना, अमृतसर और पटियाला के निवासियों को नहरी पानी पीने के लिए मुहैया करवाने के लिए 3508.1 करोड़ रुपए के प्राजैक्ट को भारत सरकार के वित्त मंत्रालय से सैद्धांतिक स्वीकृति मिल गई है। इस प्राजैक्ट का काम एक वर्ष के अंदर शुरू हो जायेगा जोकि अगले डेढ़ वर्ष के अंदर मुकम्मल हो जायेगा। यह खुलासा स्थानीय निकाय मंत्री स. नवजोत सिंह सिद्धू ने आज यहाँ जारी प्रैस बयान में किया। स.सिद्धू ने बताया कि पंजाब सरकार द्वारा भूमिगत जल के घटते स्तर और गुणवत्ता को सुधारने के महत्व को पहले ही समझ लिया गया था जिसके परिणाम स्वरूप उक्त तीन बड़े शहरों के निवासियों हेतु पीने के लिए नहरी पानी की स्पलाई करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। उन्होंने बताया कि इस संबंधी आवश्यक बड़े स्तर पर निवेश की ज़रूरत को देखते हुए स्थानीय निकाय विभाग ने केंद्र सरकार से संपर्क करके विश्व बैंक और एशियन डिवैल्पमैंट बैंक से वित्तीय मदद लेने के लिए विस्तृत प्राजैक्ट रिपोर्ट तैयार की। इस संबंधी विभाग के प्रमुख सचिव श्री ए.वेणूं प्रसाद और पंजाब म्युंसिपल इन्फ्रास्ट्रक्कचर डिवैल्पमैंट कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अजोय शर्मा के नेतृत्व में विभाग की टीम ने बीते दिन केंद्र के वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों संबंधी विभाग से सैद्धांतिक स्वीकृति हासिल की। इससे पहले केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों संबंधी मंत्रालय से पिछले महीने इन तीन बड़े शहरों को नहरी पानी मुहैया करवाने के प्राजैकट से तकनीकी स्वीकृति हासिल की थी। अब स्वीकृति की सारी प्रक्रिया मुकम्मल होने के बाद यह प्राजैक्ट उड़ान भरने के लिए तैयार है। उन्होंने यह भी बताया कि अगले चरण में जालंधर शहर के निवासियों को नहरी पानी पीने के लिए मुहैया करवाया जायेगा और इस संबंधी अध्ययन रिपोर्ट प्रगति अधीन है।
स.सिद्धू ने और विवण देते हुए बताया कि लुधियाना जिसकी जनसंख्या 16 लाख है, को सिद्धवां नहर के द्वारा पानी मुहैया करवाया जायेगा और इस शहर की प्राजैक्ट लागत 1468.86 करोड़ रुपए है। इसी तरह 11.37 जनसंख्या वाले अमृतसर शहर को नहर के द्वारा पीने वाला पानी मुहैया करवाया जायेगा जिसकी लागत 1339.24 करोड़ रुपए है जबकि पटियाला शहर की 4.45 लाख जनसंख्या के लिए भाखड़ा नहर से पीने वाला पानी मुहैया करवाया जायेगा। इस प्राजैकट की लागत 700 करोड़ रुपए है। इस तरह तीनों ही बड़े शहरों के प्राजैक्ट की कुल लागत 3508.1 करोड़ रुपए है। उन्होंने आगे बताया कि अमृतसर और लुधियाना शहर के प्राजैक्ट के लिए वित्तीय मदद विश्व बैंक से मिलेगी जबकि पटियाला के प्राजैकट के लिए एशियन डिवैल्पमैंट बैंक मदद करेगा। उन्होंने बताया कि सैद्धांतिक स्वीकृति के बाद अब भारत सरकार इस प्राजैकट का केस उक्त दोनों बैंकों के पास भेजेगा जहाँ से ऋण मंज़ूर होने के बाद ठेकेदार का चयन किया जायेगा। एक वर्ष के अंदर यह केस ज़मीनी स्तर पर शुरू हो जायेगा जोकि अगले डेढ़ वर्ष के अंदर मुकम्मल होगा। स.सिद्धू ने बताया कि केंद्रीय भूमिगत जल बोर्ड की रिपोर्टों के अनुसार उपरोक्त शहरों में भूमिगत जल के स्तर में बीते तीन-चार वर्षों में बहुत गिरावट दर्ज की गई है और जहाँ पानी का स्तर गिरा है वहां पानी का मानक भी घटा है। उन्होंने कहा कि भूमिगत जल के और नीचे जाने के कारण डार्क ज़ोन बन गया है और भूमिगत जल में आर्सेनिक, युरेनियम, भारी तत्व, क्लोराइड, बैक्टीरिया आदि तत्वों की बहुतायत पाई जा रही है जोकि स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक हैं। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के मुताबित इन तीन शहरों में हर वर्ष 8-10 प्रतिशत ट्यूबवैल काम करना बंद करहे हैं। इसके अलावा पानी की स्पलाई की व्यवस्था भी बहुत बुरी है। उन्होंने कहा कि नहरी पानी पीने के लिए मुहैया करवाने से जहाँ शहर निवासियों को साफ़ पानी पीने को मिलेगा वहीं भूमिगत जल से सम्बन्धित उक्त समस्याओं का भी हल होगा।