शूलिनी यूनिवर्सिटी, जिला सोलन में स्थित, ने शीर्ष 10 भारतीय यूनिवर्सिटीज और आईआईटी की तुलना में अनुसंधान की गुणवत्ता में बेहतर प्रदर्शन किया है और यूनिवर्सिटी गुणवत्तापूर्ण रिसर्च में इंटरनेशनल यूनिवर्सिटीज के समकक्ष है। यूनिवर्सिटी ने अंतरराष्ट्रीय सहभागिता में भी काफी बेहतरीन प्रदर्शन किया है और इससे स्पष्ट होता है कि यूनिवर्सिटी में होने वाली रिसर्च अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रासंगिकता रखती है, और साईवल के महत्वपूर्ण परिणामों में अपना प्रमुख प्रभाव डाल रही है।साईवल, एकमात्र स्वतंत्र और प्रामाणिक वैश्विक डेटा बेस है जो बिबलोमीट्रिक्स का उपयोग करते हुए दुनिया भर में 7,000 शोध संस्थानों और 220 देशों के अनुसंधान प्रदर्शन तक पहुंच प्रदान करता है। यह अनुसंधान प्रदर्शन, सहयोगियों के सापेक्ष बेंचमार्क, सहयोगी साझेदारी विकसित करने और अनुसंधान के रुझानों का विश्लेषण करने में सक्षम बनाता है।विशाल आनंद, संस्थापक ट्रस्टी, शूलिनी यूनिवर्सिटी ने इस मौके पर कहा कि ‘‘जब बात प्रकाशनों पर साइूेशंस की बात आती है तो सभी भारतीय यूनिवर्सिटीज और आईआईटी में उच्चतम स्कोर करती है और जब विश्वभर में प्रमुख 10 प्रतिशत प्रकाशनों की बात आती है तो ये विश्व की टॉप 10 यूनिवर्सिटीज के करीब है।’’आनंद ने कहा कि ‘‘मुझे यह बात साझा करने में बहुत खुशी है कि शूलिनी यूनिवर्सिटी, अब हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर राज्यों सहित उत्तरी क्षेत्र के प्रमुख पांच निजी यूनिवर्सिटीज में से एक है।’’उन्होंने कहा कि शूलिनी, की शोध उपलब्धियां पहले से ही देश के दस सर्वश्रेष्ठ यूनिवर्सिटीज के औसत से बेहतर हैं। मुझे बहुत गर्व महसूस होता है कि हम उस क्षेत्र के कुछ प्रमुख निजी यूनिवर्सिटी के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं जिन्हें शूलिनी की शुरुआत से काफी पहले ही स्थापित किया गया है।’’उन्होंने बताया कि एनआईएआरएफ के आंकड़ों के मुकाबले एक और दिलचस्प और महत्वपूर्ण आंकड़ा यह है कि 101 निजी विश्वविद्यालयों में से केवल 10 उत्तर भारत से हैं और शूलिनी यूनिवर्सिटी भी उनमें से एक है। शूलिनी यूनिवर्सिटी ने रैंकिंग के लिए केवल तीन श्रेणियों-ओवरऑल, मैनेजमेंट और फार्मेसी में आवेदन किया था- और सभी तीन श्रेणियों में अच्छा प्रदर्शन किया है।
केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) द्वारा स्थापित प्रतिष्ठित नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) द्वारा दी गई रैंकिंग के अनुसार उत्तर भारत के पांच शीर्ष निजी शूलिनी यूनिवर्सिटीज में से एक है।एनआईआरएफ रैंकिंग भारतीय संस्थानों के लिए सबसे प्रामाणिक रैंकिंग सिस्टम के रूप में उभरी है जो कि पिछले तीन वर्षों से हर साल एमएचआरडी द्वारा जारी की जाती है। एनआईआरएफ रैंकिंग निर्धारित करने के लिए पांच पैरामीटर का उपयोग किया जाता हैं जिनमें टीचिंग एंड लर्निंग रिसोर्सेज (टीएलआर), रिसर्च एंड प्रोफेशनल प्रैक्टिस (आरपीसी), ग्रेजुएशन आउटकम (जीओ), आउटरीच इनक्लूसिविटी (ओआई) और परसेप्शन शामिल हैं।सभी प्रतिभागियों ने पूरे देश के विश्वविद्यालयों से उपरोक्त पांच मापदंडों के आधार पर अपना डेटा जमा किया है, जिसे एनआईआरएफ द्वारा सत्यापित किया गया है और उसके आधार पर रैंकिंग निर्धारित की गई है।इसने देश में उच्च शिक्षा के लगभग 4500 संस्थानों में से शीर्ष 101-150 बैंड में अपनी स्थिति बरकरार रखी है, बल्कि एमबीए में 51-75 बैंड में एक प्रमुख जगह प्राप्त की है और 30 वीं रैंक प्राप्त करके फार्मेसी में अपने प्रदर्शन में सुधार किया है।श्री विपिन पब्बी, डायरेक्टर, एक्सटर्नल कम्युनिकेशंस, शूलिनी यूनिवर्सिटी एवं पूर्व संपादक, द इंडियन एक्सप्रेस ने कहा कि ‘‘जबकि उत्तरी क्षेत्र के केवल चार निजी विश्वविद्यालयों ने ही शीर्ष 100 बैंड में स्थान प्राप्त किया है, वहीं शूलिनी यूनिवर्सिटी ही उन तीनों में से हैं, जिन्होंने 101-150 बैंड में अपनी जगह बनाई है।’’जबकि शूलिनी ने 101-150 बैंड में अपनी जगह बनाए रखी है, जहां यह पिछले साल भी मौजूद थी, वहीं जेपी यूनिवर्सिटी ऑफ इंफॉर्मेशन टैक्नोलॉजी बीते साल 93 रैंक हासिल करने के बाद इस साल 101-150 बैंड में चली गई है।शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों में उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर और हिमाचल प्रदेश शामिल उत्तरी क्षेत्र के चार निजी विश्वविद्यालयों में से तीन, यूपी में और एक पंजाब (थापर यूनिवर्सिटी, पटियाला) में स्थित हैं।स्कूल ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेज ने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है और पूरे देश में एक हजार से ज्यादा फार्मा स्कूलों में 30 वीं रैंक हासिल।