एससी, एसटी (अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति) अधिनियम का दुरुपयोग रोकने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के हालिया फैसले के विरोध में विभिन्न संगठनों द्वारा बुलाए गए एक दिवसीय भारत बंद का बिहार में भी असर देखा जा रहा है। इस बंद के कारण आवागमन पर प्रतिकूल असर देखा जा रहा है, जबकि राहगीरों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। विभिन्न राजनीतिक दलों और दलित संगठनों के कार्यकर्ता सोमवार को बुलाए गए इस बंद को सफल करने के लिए सुबह से ही सड़कों पर उतर गए और सड़क जाम कर प्रदर्शन किया। बंद के कारण जगह-जगह रेल व सड़क यातायात प्रभावित हैं। अनुसूचित जाति-जनजाति संघर्ष मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने पटना व हाजीपुर के बीच 'महात्मा गांधी सेतु' को जाम कर दिया। इस बंद को राजद, सपा, कांग्रेस, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा, भाकपा (माले) और शरद यादव का समर्थन मिला है।जहानाबाद, दरभंगा, आरा, अररिया, सहरसा, मधुबनी जिलों में बंद समर्थक रेल पटरियों पर बैठ गए, जिससे रेलों के परिचालन पर भी प्रभाव देखा जा रहा है। बंद समर्थकों ने कई ट्रेनें राक दी और हंगामा किया। इसके अलावा पूर्णिया, कटिहार, मधेपुरा, औरंगाबाद, मुजफ्फरपुर सहित विभिन्न जिलों में लोग सड़क जामकर सड़कों पर आगजनी की, जिससे वाहनों की लंबी कतार लग गई। वैशाली जिले में ही एक निजी कोचिंग संस्थान पर बंद समर्थकों ने हमला किया, जिसके विरोध में छात्र उनसे उलझ गए। दोनों तरफ से जमकर उत्पात हुआ। घटना में दर्जनों छात्र घायल बताए जा रहे हैं। इधर, राजधानी पटना में जन अधिकार पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ता सांसद पप्पू यादव के नेतृत्व में सड़कों पर उतरे, जबकि भीम सेना के कार्यकर्ता जुलूस निकालकर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का विरोध किया। बंद को देखते हुए विभिन्न क्षेत्रों में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। राजधानी के चौक-चौराहों पर पुलिस बलों की प्रतिनियुक्ति की गई है। बिहार के पुलिस महानिदेशक क़े एस़ द्विवेदी ने कहा कि सांकेतिक प्रदर्शनों के दौरान भी पर्याप्त पुलिस बल तैनाती सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है। सभी जिलों को अलर्ट कर दिया गया है।