भाजपा आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने मंगलवार को कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तिथि चुनाव आयोग से पहले ही घोषित कर दी। इसके बाद यही तिथि चुनाव आयोग ने घोषित की। इस घटना को लेकर निर्वाचन आयोग को शर्मिदगी झेलनी पड़ी है। चुनाव की तिथि 'लीक' होने के सवाल पर मुख्य चुनाव आयुक्त ओ.पी. रावत ने पहले तो मालवीय द्वारा घोषित चुनाव तिथि को अनुमान कहकर खारिज कर दिया, लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि आयोग इस मामले की जांच करेगा और उचित कार्रवाई करेगा।रावत ने कहा, "ये अनुमान हैं। आप अनुमानों को नहीं रोक सकते। मैं तिथियां घोषित करता हूं और फिर देखते हैं कि क्या वे वही तिथियां हैं.. लेकिन अगर कुछ लीक हुआ है तो चुनाव आयोग इसकी जांच करेगा।"हालांकि, उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में जब तिथियों की घोषणा की तो मतदान की तिथि 12 मई थी, जिसकी घोषणा मालवीय ने भी ट्वीट की थी। लेकिन मतगणना की तिथि अलग-अलग थी।
इस पर रावत ने अपने एक चुनाव उपायुक्त उमेश सिन्हा से कहा, "उमेश, कृपया पता करें कि क्या हुआ।"रावत ने संवाददाताओं से कहा, "कृपया भरोसा रखें, जांच के बाद कानूनी और प्रशासनिक रूप से उचित कार्रवाई की जाएगी।"उन्होंने यह बताने से इंकार कर दिया कि आयोग किस तरह की कार्रवाई करेगा। उन्होंने कहा, "पहले तथ्य सामने आने दीजिए। उसके अनुसार कार्रवाई होगी।"आयोग ने मंगलवार सुबह लगभग 7.45 बजे मीडिया को 11 बजे के संवाददाता सम्मेलन के बारे में सूचित किया, और निमंत्रण में इस बात का जिक्र नहीं था कि यह संवाददाता सम्मेलन कर्नाटक के बारे में था।संवाददाता सम्मेलन 11 बजे से थोड़ी देर से शुरू हुआ, और रावत ने पहले चुनावी तैयारियों, मतदाताओं के लिए सुविधाओं, नई पहलों, वीवीपैट और अन्य के बारे में लगभग 15 मिनट तक बात की और उसके बाद उन्होंने तिथि घोषित की।मालवीय ने सुबह 11.08 बजे चुनावी तिथि के बारे में ट्वीट किया। लेकिन इसे लेकर खड़े हुए सवालों के बाद उन्होंने ट्वीट डिलीट कर दिया।