पंजाब के गवर्नर और चंडीगढ़ के प्रबंधक वी.पी. सिंह बदनौर ने पंजाब सरकार के सभी अधिकारियों और इस के साथ संबंधित सभी लोगों को अवशेष जलाने के मुद्दे का उपाय शीघ्र करने व इस संबंधित किसी भी प्रकार की कोई भी कमी न छोडे जाने की हिदायतें जारी की। उन्होंने अवशेष जलाने के मुद्दे पर चिंता व्यक्त करते इसको वातावरण प्रदूषण का एक बड़ा कारण बताया जिस के साथ मिट्टी के जैविक तत्व भी कम हो रहे हैं।पंजाब सरकार के उच्च अधिकारियों और पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी (पी.ए.यू) के विशेषज्ञों के साथ एक उच्च स्तरीय मीटिंग के दौरान धान के अवशेष को जलाने से रोकने और वातावरण को प्रदूषण से बचाने की विधि के बारे में संबोधन करते हुए राज्यपाल ने कहा कि किसानों को धान के अवशेष जलाने से रोकने के लिए अन्य योग्य विकल्प मुहैया करवाने की जरूरत है। उन्होंने पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों को इस दिशा की तरफ किए जाने वाले प्रयासों को तेज करने के लिए कहा और साथ ही यह भी कहा कि इस वर्ष मार्च में लुधियाना में होने वाले किसान मेले में किसानों के लिए इस संबंधी सुझाव दिए जाने चाहिएं। श्री बदनौर ने कहा कि राज्य में अवशेष जलाने से खराब हो रहे स्वास्थ और वातावरण पर पड़ रहे दुष प्रभावों के बारे में जागरूक करने के लिए एक विशाल मुहिम भी चलाई जाएगी ।
इस मीटिंग में इस बात पर भी रौशनी डाली गई कि जो किसान 20 दिनों के छोटे अंतराल में गेंहू की बोआई और अपने खेत को साफ़ करने के लिए अवशेष जलाने को ही सब से आसान विधि समझते हैं, उनको इस संबंधी अन्य विक्लपों के बारे में भी बताया जाए। पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने किसानों को अवशेष जलाना बंद करने व अन्य विक्लपों के बारे में भी बताया जिनमें से विशेष तौर पर हैपी सीडर, सुपर स्टराय प्रबंधन, पैडी स्टराय चौपर और मलचर, बिजली बनाने के लिए धान के अवशेष का प्रयोग और बायोगैस आदि थे। जबकि किसान ज्यादा पैसे खर्च, मज़दूरी और समय की बरबादी होने के कारण इन अलग अलग योग्य विकल्पों का प्रयोग नहीं कर रहे जिस के लिए यहां किसानों को अवशेष जलाने से होने वाले नुक्सान के प्रति जागरूक करने पर बल दिया गया। अतिरिक्त प्रमुख सचिव विकास, पंजाब श्री विश्वजीत खन्ना ने इस मुद्दे के हल संबंधित पंजाब सरकार की तरफ से उठाए गए उचित कदमों के बारे में भी जानकारी दी जिसमें उल्लंघन करने और किसानों को भारी जुर्माना लगाना भी शामिल है। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को इस संबंधत किसानों को अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए भी अपील की जिससे वह अवशेष न जला कर कोई ओर विकल्प का चुनाव कर सकें। उन्होंने कहा कि यह अपील केंद्र सरकार के विचाराधीन है।इस मीटिंग में पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी के उप कुलपति श्री बलदेव सिंह ढिल्लों और चंडीगढ़ के सलाहकार श्री परिमल राय भी शामिल थे।