सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एनजीओ इनिशीएटिव फॉर इनक्लूजन फाउंडेशन (आईआईएफ) से कार्यस्थलों पर, खासकर निजी सेक्टर में महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न पर काबू पाने के लिए कानून के प्रभावी कार्यान्वयन पर सुझाव मांगे। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने यह सुझाव केंद्र सरकार की ओर से कार्यस्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के खिलाफ सुरक्षा (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013 को प्रभावी ढंग से लागू करने वाला हलफनामा दाखिल करने के बाद मांगे है। इसमें केंद्र ने कहा है कि उसने इस कानून को लागू करने के लिए कदम उठाए हैं।आईआईएफ की ओर से पेश वरिष्ठ वकील संजय पारिख ने कहा कि निजी कंपनियों में इस कानून को लागू नहीं किया गया है।उन्होंने कहा कि एसौचेम के साथ इस संबंध में चार वर्ष पहले एक बैठक हुई थी, लेकिन बाद में कुछ नहीं हुआ।आईआईएफ ने सभी स्तरों पर कार्यस्थलों में कानून लागू करने के लिए दिशानिर्देश लागू करने की मांग की।