इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट किसी भी तरह से सुरक्षित नहीं है और न ही यह सिगरेट छोड़ने में मददगार है। यह विचार आज जनरेशन सेवियर एसोसिएशन की प्रधान ओपिंदरप्रीत कौर ने यहाँ बाचचीत में प्रगट किये। उन्होंने कहा के कंपनियां, मीडिया और अन्य स्रोतों से इस प्रचार में लगी हुयी हैं कि सिगरेट छोड़ने कि लिए ई-सिगरेट कारगर तरीका है जबकि इन बातों में सचाई नहीं है। यह ना तो नेशनल ड्रग अथॉरिटी से स्वीकृत है और ना ही फ़ूड और ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से। उन्होंने कहा कि ई सिगरेट में निकोटीन केमिकल रूप में मौजूद होता है इसी वजह से ई सिगरेट का उपयोग करने वाला इसका एडिक्ट हो जाता है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने ई-सिगरेट पर ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट- १९४० के तहत पाबंदी लगाई है और मोहाली में एक दूकानदार को ई सिगरेट बेचने के मामले में सजा भी हो चुकी है। उन्होंने बताया के उत्तर प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र, कर्णाटक, मिजोरम, बिहार, जम्मू और कश्मीर में भी ई-सिगरेट के ऊपर पाबंदी है। उन्होंने दावा किया के तंबाकू इंडस्ट्री नौजवानों को मुनाफे के लिए नशे की लत में डुबोना चाहती हैं। श्रीमती ओपिंदर ने यह भी बताया कि ई सिगरेट में केमिकल रूप में मौजूद होने के कारन यह पता नहीं चल पता कि अंदर खींचते समय कितनी मात्रा में निकोटिन शरीर के अंदर जा रही है. गलती से भी अगर निकोटीन की मात्रा ज्यादा अंदर गई तो व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। उन्होंने युवाओं को इससे दूर रहने की अपील की।
शरीर के लिए ऐसे भी खतरनाक है ई सिगरेट
अगर माहरों की मानें तो निकोटिन खून की कोशिकाओं, दिमाग के ऊपर प्रभाव डालती है और यह सर से ले के पैरों तक हर एक अंग पर प्रभाव डालती है। इससे दिल के रोगों का खतरा बढ़ता है और यह नबालगों के दिमागी विकास पर असर करती है। यह आम सिगरेट से भी ज़्यादा खतरनाक है। इ-कॉमर्स कंपनियों को तम्बाकू कण्ट्रोल सेल की तरफ से नोटिस भेजा गया था जिसके बाद पंजाब में इसकी विक्री बंद कर दी गई थी।