आम आदमी पार्टी (आप) ने मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह द्वारा 7 जनवरी को मानसा में आयोजित किये जा रहे कजऱ् माफी समागम को नाटक करार देते हुए, इसको किसानों और खेत -मजदूरों के साथ विश्वासघात बताया है।'आप' द्वारा जारी प्रैस बयान में पार्टी के सूबा सह -प्रधान और विधायक अमन अरोड़ा ने बताया कि मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने पंजाब के किसानों -खेत मजदूरों के साथ समूचा कजऱ् माफ करने का लिखित चुनाव वायदा किया था, पंजाब की दीवारों, कांग्रेस का चुनाव मैनीफैस्टो और कैप्टन अमरिन्दर सिंह के हस्ताक्षर तलेे किसानों से भरवाए गए फार्म कैप्टन के संपूर्ण कर्ज माफी वाले वायदे की आज भी गवाही भरते हैं।अमन अरोड़ा ने कहा कि पंजाब के किसानों और खेत-मज़दूरों ने कैप्टन अमरिन्दर सिंह के वायदों पर विश्वास करते हुए मतदान में कैप्टन अमरिन्दर सिंह का साथ दिया, परंतु सत्ता संभालते ही कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने बेरुजगारों और अन्य वर्गों समेत किसानों-खेत मजदूरों के साथ भी विश्वासघात किया है। समूचा कर्ज माफ करने की जगह कभी ढाई एकड़ और कभी पांच एकड़ तक की अड़चने डालनी शुरू कर दी। यहां ही बस नहीं विश्वासघात की सभी हदे पार करते टप्पदे हुए कर्जदार किसानों को कांग्रेसी, अकाली और 'आप' के नाम पर बांटने की भद्दी साजिश रच दी।
अमन अरोड़ा ने कहा कि पंजाब भर से यह शिकायतें आ रही हैं कि सत्ताधारी अपनी ताकत का दुरुपयोग करते हुए सिफऱ् चहेतों को ही इस तुच्छ मदद का भागीदार बनाने पर तुले हुए हैं, आम आदमी पार्टी इस की सख्त शब्दों में निंदा करती है। अमन अरोड़ा ने कहा कि 7 जनवरी को उनके समेत विरोधी पक्ष के नेता सुखपाल सिंह खहरा, मानसा पहुंच कर कैप्टन अमरिन्दर सिंह के 'ड्रामे' की पोल खोलेगी और जवाब मंगेगी कि जब समूचे कर्जे पर लकीर मारने का वायदा किया गया था तो सरकारी खजाने में लाखों रुपए खर्च कर यह नाटक क्यू किया जा रहा है।अमन अरोड़ा ने कहा कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह द्वारा झूठी वाह -वाह के लिए किया जा रहा यह नाटक पंजाबियों की आत्म सम्मान और सामाजिक -संस्कृति पर भी चोट मारता है, क्योंकि पहले ही कजऱ् के मारे किसानों के नामों की बैंकों और गांवों की पंचायतों में लग रही सूचियां कर्जदार परिवारों की सामाजिक इज्जत खराब करने का काम कर रही हैं। आम आदमी पार्टी कैप्टन सरकार की इस पहुंच के साथ सहमत न हो कर इस बात की वकालत करती है कि किसानों और खेत मजदूरों के समूचे कर्जे पर सही ढंग से लाइन मारी जाये जिससे कर्जदार किसान और खेत मजदूर के सामाजिक रुतबे को कोई ठेस न पहुंचे।