पंजाब मंत्रीमंडल ने आज राज्य में स्थानीय संस्थाओं और पंचायतों द्वारा मनोरंजन कर लाने और उगाहने पर मोहर लगा दी है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में हुई मंत्रीमंडल की मीटिंग में 'द पंजाब ऐंटरटेनमेंट और ऐम्यूज़मेंट टैक्स (स्थानीय संस्थाओं द्वारा लागू करना और उगाहना) आर्डीनेंस -2017को हरी झंडी दी गई।मंत्रीमंडल ने स्थानीय निकाय विभाग द्वारा शहरी स्थानीय संस्थाओं और ग्राम पंचायतों के द्वारा हर माह प्रति डी.टी.एच. पर 5 रुपए और लोकल केबल कनैक्शन पर 2 रुपए का मामूली मनोरंजन टैक्स लाने संबंधी दिए प्रस्ताव पर विचार विमर्श के पश्चात स्वीकृति दी। एक प्रवक्ता के अनुसार इससे शहरी स्थानीय संस्थाओं और पंचायतों को वार्षिक 45-47 करोड़ रुपए की आय होगी। उन्होंने बताया कि इसमें से 9.60 करोड़ रुपए 16 लाख डी.टी.एच. क नैक्शनों और 36.96 करोड़ 44 लाख केबल कनैक्शनों से प्राप्त होंगे।प्रवक्ता ने बताया कि सिनेमों, मल्टीपलैक्सों, मनोरंजन पार्कों और अन्य ऐसे स्थानों पर कोई मनोरंजन टेक्स लाने का कोई प्रस्ताव नहीं लाया जा रहा है। उन्होंन बताया कि 1 जुलाई, 2017 से केंद्र द्वारा लागू किये गए जी.एस.टी. से राज्य सरकार ने कर एवं आबकारी विभाग द्वारा लगाये और उगाहे जाते मनोरंजन टैक्स लेना बंद कर दिया था और जी.एस.टी. लागू होने के पश्चात यह टैक्स लगाना आवश्यक था। उन्होंने बताया कि संविधान की अनुसूची-7 की राज्य सूची की प्रविष्टि 62 में संशोधन करते हुये मनोरंजन टैक्स लगाने की शक्तियां अब पंचायतों और नगरपालिकाओं को दी गई हैं।इसी तरह एक अन्य निर्णय के अंतर्गत मंत्रीमंडल ने जलापूर्ति एवं सेनिटेशन विभाग के जूनियर इंजीनियरों (ग्रुप -सी) के सेवा नियमों 2006 और संशोधित नियमों 2010 में संशोधन को स्वीकृति दे दी है जिससे विभाग में सीधी भर्ती के रिक्त पड़े 210 पद भर सकें। मंत्रीमंडल ने सीधी भर्ती के द्वारा 75 प्रतिशत पद भरने की प्रक्रिया शुरू करने से पहले सेवा नियमों में संशोधन संबंधित विभाग द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव को भी मंज़ूरी देते हुये 95 प्रतिशत पद सिविल इंजीनियरिंग डिप्लोमा होल्डरों और 5 प्रतिशत पद मकैनिकल और इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग डिप्लोमा होल्डरों से भरने पर भी मोहर लगाई।उल्लेखनीय है कि जलापूर्ति और सेनिटेशन विभाग का बहुत कार्य सिविल स्वरूप का है और मकैनिकल और इलैक्ट्रिकल कार्य बहुत कम है। पहले विभाग द्वारा ट्यूबवैलों के बोर करने के लिए मकैनिकल इंजीनियरों की ज़रूरत होती थी परंतु आजकल विभाग द्वारा न तो ट्यूबवैल बोरिंग का कार्य किया जाता है न ही इस संबंधी मशीनरी विभाग के पास है जिस कारण मकैनिकल इंजीनियरों की बहुत कम आवश्यकता पड़ती है।