पराली जलाने और प्रदूषण की रोकथाम को प्रभावशाली ढंग से अमल में लाने के लिए पंजाब मंत्रीमंडल ने आज राज्य में पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन से संबंधित डायरैक्टोरेट की स्थापना करने की स्वीकृति दे दी है। यह डायरैक्टोरेट बनने से उद्योग को पर्यावरण संबंधी स्वीकृतियां देने की प्रणाली और मज़बूत होगी तथा इस प्रक्रिया में और अधिक जवाबदेही तय की जा सकेगी। इस प्रस्तावित डायरैक्टोरेट से पंजाब राज्य विज्ञान और तकनीकी कौंसिल द्वारा तैयार किये जीव-प्रौद्यौगिकी /जीव-विभिन्नता और अनुसंधान/सिफ़ारिशों से संबंधित मामलों को सुलझाने के अलावा स्वच्छ वातावरण को भी यकीनी बनाया जा सकेगा।मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में मंत्रीमंडल द्वारा लिए इस फ़ैसले संबंधी एक सरकारी प्रवक्ता ने आगे जानकारी देते हुये बताया कि यह डायरैक्टोरेट विज्ञान, प्रौद्यौगिकी और पर्यावरण विभाग में स्थापित किया जायेगा और इसका कार्य प्रदूषण के खतरों को ख़त्म करने संबंधी तकनीकी मामलों पर केंद्रित होगा।इस डायरैक्टोरेट के दो विभिन्न डिवीजन-वातावरण और जलवायु परिवर्तन तथा प्रदूषण कंट्रोल -होंगे जो संबंधित मामलों संबंधी रणनीति और नीतिकरण और प्रदूषण संबंधी कानूनों को सख्ती से अमल में लाने की ओर ध्यान देंगे।राज्य का विज्ञान, प्रौद्यौगिकी और पर्यावरण विभाग भारत सरकार, पंजाब सरकार के विभिन्न विभागों, डिप्टी कमीश्नरों, उद्योग, पूंजीपतियों, किसानों, शहर निवासियों और मीडिया से तालमेल करके प्रदूषण की रोकथाम के लिए नीतियां एवं कार्यक्रम बनाने के लिए रूपरेखा तैयार करेगा।