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बोफोर्स ने कारगिल की लड़ाई जीतने में भारत की सहायता की: जंगी विशेषज्ञ ने कहा

1971 के युद्ध में वायु सेना ने निभाई प्रशंसनीय भूमिका

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5 Dariya News

चंडीगढ़ , 08 Dec 2017

कारगिल के युद्ध में बोफोर्स बंदूकों ने भारत को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और 1971 का युद्ध भारतीय वायु सेना व थल सेना के समन्वय के साथ बनाई गई योजना के कारण जीता गया था।इन विचारों का प्रगटावा आज यहां लेक कल्ब में आयोजित मिल्ट्री लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान विभिन्न चर्चाओं के दौरान किया गया।लेफि. जनरल मोहिंदर पुरी ने बताया कि बोफोर्स तोपें जिनका पहली बार प्रयोग प्रमुख हथियार के तौर पर कारगिल युद्ध के दौरान किया गया था, ने पाकिस्तान सेना को भारी क्षति पहुंचाई थी। इन तोपों ने अपनी जमीन हासिल करने और अंत में युद्ध जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।कारगिल युद्ध 1999 चर्चा में हिस्सा लेते हुये लेफि. जनरल पुरी ने बताया कि वह उस समय जीओसी 8 माउंटेन डिवीज़न में तैनात थे। कारगिल युद्ध उस समय के पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल मुशर्रफ द्वारा और अधिक संयोजित ढंग से हो सकता था पर वह इस योजना के अंत को प्रभावी ढंग से अमल में नही ला सके। चर्चा में हिस्सा ले रहे ब्रिगेडियर दविंदर सिंह जिनकी ब्रिगेड 8 मई, 1999 को बटालिक सैक्टर में गई, ने बताया कि इस उंचे पहाड़ी क्षेत्रों से घुसपैठियों को मार भगाना फौज के लिये सबसे बड़ी चुनौती थी। वायु सेना के सहयोग की सराहना करते हुये उन्होंने कहा कि उनके बिना यह युद्ध जीतना असंभव था।एयर कमांडर जो उस समय ए ओ सी डब्लयू ए सी थे चर्चा को आगे बढ़ाते हुये कहा कि जब युद्ध शुरू हुआ तब हमारे हाथ-पैर बंधे हुये थे पर हम फिर भी जीत गये। यह बात पाकिस्तान सेना को हर पल दुख देती रहेगी। लेफि. जनरल एच एस कुलकर्णी ने कारगिल जैसी जंग के ऐतिहासिक पहलु को समाज के सामने पेश करने की जरूरत पर बल देते हुये कहा कि इस तरह की वीरता की गाथाओं को लोगों के सामने लाना बहुत जरूरी है।

अगले सैशन में विनोद पटने ने 1971 के युद्ध में वायुसेना के महत्वपूर्ण भूमिका संबंधी बताते हुये कहा कि पाकिस्तान को जनरल यहीआ खान की गलती का भुगतान सहना पड़ा और यह भी कहा कि युद्ध अपने समय के 9 महीने पहले हुआ था इसी कारण भारत को इसका फायदा हुआ।इस अवसर पर विचार विमर्श में भाग लेते हुये एयर मार्शल आर एस बेदी ने भारतीय वायु सेना के युद्ध में दिखाये गये जौहर का वर्णन किया। एयर मार्शल भरत कुमार ने बताया कि भारतीय थल सेना को सहयोग देने के साथ वायु सेना ने दुशमन के कराची और बलूचीस्तान में स्थित तेल भंडारों को निशाना बनाकर पाकिस्तानी फौज के लिये कई मुश्किलें खड़ी कर दी। यह उल्लेखनीय है कि भारतीय वायु सेना की गोलाबारी के कारण पाकिस्तानी तेल भंडारों में कई दिनों तक आग की लपटें निकलती रहीं।इस अवसर पर पंजाब के राज्यपाल वी पी एस बदनौर, मुख्यमंत्री ने फेस्टिवल के विभिन्न समागमों में शिरकत की। जहां वीर संघवी द्वारा संचालित मिल्ट्री इतिहासकारों, लेखकों और क ई युद्धों पर आधारित  चर्चाओं की शोभा मुख्यमंत्री ने बढ़ाई। वहीं राजस्थान की लड़ाईयों से संबंधित एक चर्चा में गवर्नर साहिब ने चार चांद लगा दिये।इसके अलावा कई अन्य सैशनों के दौरान कई अन्य पड़ाव जैसे काउंटर इंनसरजैंसी ऑपरेशन इन जम्मू-कश्मीर, दूसरे विश्व युद्ध में भारतीय सेना का सहयोग, आई पी के एफ इन श्रीलंका, मिल्ट्री हीरोज़, 1857 की पहली जगं-ए-आज़ादी, भारतीय थल सेना की दिशा, दशा और भविष्य, सैनिक परिवारों के दुख व परेशानियों जैसे कई पहलुओं को उजागर किया। 

 

Tags: MILTARY

 

 

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