यहां की सुखना झील के किनारे दिल को लुभाने वाला लेक कल्ब 8 से 9 दिसंबर को बुद्धिजीवियों और सेना की सम्मानित शख्शीयतों की ऐतिहासिक और अनोखी एकत्रता की गवाही देगा।पंजाब सरकार और चंडीगढ़ प्रशासन के संयुक्त उद्यम वाले देश के इस पहले मिल्ट्री लिटरेचर फेस्टिवल को भारतीय सेना की पश्चिमी कमांड द्वारा भी सहयोग दिया जा रहा है। इस मिल्ट्री लिटरेचर फेस्टिवल का आरंभ होने से सेना की शक्ति के साथ-साथ साहित्यक तौर पर भी सेना के निपुण होने का नया अध्याय जुड़ गया है।मिल्ट्री लिटरेचर फेस्टिवल प्रारंभिक गतिविधियों की श्रृंखला की अंतिम कड़ी होकर समाप्त होगा जिसका उद्देश्य लोगों विशेषकर बच्चों में सेना के इतिहास और देश की सशस्त्र सेनाओं की शानदार प्राप्तियों संबंधी जागरूकता पैदा करेगा।इस उत्सव में सभी को जुडऩे के लिए एक खुला निमंत्रण है और www.militaryliteraturefestival.com पर पंजीकरण आसानी से हो जाता है। यह महोत्सव सेना के गणमान्य व्यक्तियों, लेखकों, कवियों, विचारकों, पत्रकारों और विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञों को भारतीय सेना से संबंधित रोचक विषयों पर बहस करने के लिए एक मंच पर एकत्रित होने का अवसर प्रदान करेगा।लेक क्लब पर होने वाले दो दिवसीय समारोह के पहले दिन पंजाब के राज्यपाल वी पी एस बदनौर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के अतिरिक्त द ट्रिब्यून के मुख्य संपादक डॉ. हरीश खरे, बरखा दत्त और वीर सांघवी जैसे प्रसिद्ध पत्रकार अपनी उपस्थिति से इस समारोह की शान बढ़ायेंगे।
इस अवसर पर, लेफ्टिनेंट जनरल टीएस शेरगिल, लेफ्टिनेंट जनरल ए मुखर्जी, लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी, लेफ्टिनेंट जनरल जे एस बाजवा, जी पार्थासारथी, वाइस एडमिरल सतीश सोनी, लेफ्टिनेंट जनरल जेएस ढिल्लों, मेजर जनरल श्यिोनन सिंह, थॉमस फ्रेजर, एलन जेफ्रीज, एड हेनज प्रोफेसर रीमा हूजा, पुष्पिंदर सिंह चोपड़ा, लेफ्टिनेंट जनरल केजे सिंह, लेफ्टिनेंट जनरल भूपिंदर सिंह और लेफ्टिनेंट जनरल डीडीएस संधू भी अपने विचार प्रस्तुत करेंगे।स्थान-ए (पेशावर-1834 जमरूद-1837) में पहला कश्मीर युद्ध 1947-1948, कारगिल युद्ध 1999 में, राजस्थान रक्षा युद्ध, 1971 के युद्ध में वायु शक्ति के उपयोग और और जम्मू-कश्मीर में आंतकवाद विरोधी कार्रवाहीयों पर चर्चा की जाएगी जबकि जगह-बी कश्मीर (कश्मीर 1819-लद्दाख 1834) में चीन, श्रीलंका में आई पी एक एफ, दूसरे विश्वयुद्ध में भारतीय सेना की भूमिका और सेनानायक और 1857 आजादी के पहले युद्ध के नीतिगत उदाहरण संबंधी सैशन होंगे।स्थान सी (मुल्तान 1818) में कल भारतीय सेना की बनावट और अभिलेख पर विचारविमर्श किया जायेगा। इसी तरह पत्रकार वीर सांघवी द्वारा सैन्य इतिहासकारों और लेखकों, भारतीय सेना और समाज और सेना परिवार की खुशियों और कठिनाइयों पर चर्चा होगी।प्लेस-डी (सारागढ़ी संवाद) में ट्राइसीटी के आस -पास के 1200 बच्चे अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों से होंगे, युद्ध सैनिकों के साथ अपने संवाद करेंगे। बच्चों को कैप्टन बाना सिंह, सुबेदार योगेंद्र यादव और नायब सुबेदार संजय कुमार सहित परमवीर चक्र विजेताओं को मिलने का अवसर भी प्राप्त होगा।इस साहित्य उत्सव में सभी के लिए कुछ ना कुछ होगा। रियायती कीमतों पर पुस्तकें, शिल्पकारी स्टालों, युद्ध उपकरण प्रदर्शन, पेंटिंग, बच्चों के लिए जादूगारी की प्रस्तुति, भांगड़ा व गिद्दा नृत्य की प्रस्तुति, युद्ध नायकों के साथ सेल्फी जैसी सरगर्मीया होंगी। लजीज भोजन का आनंद लेने के लिए एक विशेष फूड कोर्ट भी होगा।कल की शाम कैपिटल कंपलैक्स में प्रसिद्ध सुफी गायक सतेंद्र सरताज भी अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। लेक कल्ब में गोरखा सैनिकों द्वारा खुखरी डांस किया जायेगा।दर्शकों के लिए अपनी वाहनों की पार्किंग के उचित प्रबंध सहित उनको समाहरोह वाले स्थान पर पहुंचाने के लिए मिनी बस सेवा भी प्रदान की जाएगी ।