विदाई के शिखर की ओर बढ़ रहे पहले मिलट्री लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान आज यहां भारतीय सेना के जांबाज /शूरवीर जवानों के मोटरसाईकल दस्तो ने विभिन्न तरह की अद्भुत प्रस्तुति पेश करते हुये अपने करतबों से सैंकड़ों दर्शकों को कायल कर दिया।सुखना झील के नज़दीक उत्तर मार्ग पर देश भक्ति की धुनों और गीतों के प्रवाह के बीच बहादुर सैनिकों के वीरतापूर्ण करतबों ने दर्शकों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी। दर्शकों में पंजाब के तकनीकी शिक्षा मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी भी मुख्य तौर पर शामिल थे।उत्तर मार्ग की सड़क के दोनों तरफ कतारबद्ध लोग जांबाज सैनिकों द्वारा स्पोर्टस मोटरसाईकलों और रॉयल एनफील्ड पर विभिन्न तरह के 48 वीरतापूर्ण जौहर देखने के लिए मौजूद रहे। मोटरसाईकल दल जो कि सफ़ेद घोड़े के तौर पर जाना जाता है, का नेतृत्व नायब सूबेदार एन.के. तिवाड़ी कर रहे थे जिन्होंने बहादुरी के विभिन्न जौहर दिखाते हुये दर्शकों को वाह-वाह करने के लिए मजबूर कर दिया। श्री तिवाड़ी पिछले 20 वर्षो से बहादुरी के जौहर दिखाते आ रहे हैं जिनकी तरफ से 'गिन्नीज़ बुक्क आफ रिकारडज़में तीन रिकार्ड दर्ज करवाए जा चुके हैं।इन आकर्षक जौहरों की शुरुआत तेज़ रफ़्तार रॉयल एनफीलड मोटरसाईकलों पर हुई जिनमें विभिन्न दलेराना करतब मोटरसाईकलों पर खड़ा होना, लेटना, कूदना, तैराकी, उड़ती मछली, सुदर्शन चक्र बनाना, त्रिमूर्ती, सिर के बल खड़े होना, आग से गुजऱना, नोकदार मीनार बनाना, बैठे मुद्रा में मार्च पास्ट निकालना, सीट पर खड़ा होना, एक टांग पर सवारी, सीढ़ी चढऩा, पी.टी. कसरत आदि शामिल थे।
दर्शक जिनमें अधिक संख्या में नौजवान और बच्चे शामिल थे, ने कहा कि उन्हों ने ऐसे करतबों का खूब आनंद लिया जो कि जि़ंदगी में बहुत कम देखने को मिलते हैं।एक कालेज छात्रा ने कहा कि ऐसी प्रस्तुति वह टैलीविजऩों पर ही देखते रहे हैं परंतु वास्तव में यह सब देखना किसी अच्छे सपने के पूरा होने से कम नहीं है।बहादुर सैनिकों की टीम 'कोर्पस ऑफ मिलट्री पुलिसÓ (सी.एम.पी) से संबंधित थी जो कि 1952 में सी.एम.पी सैंटर एंड स्कूल, फैजाबाद, उत्तर प्रदेश में स्थापित की गई थी। टीम सदस्यों ने बातचीत दौरान कहा कि उनकी प्रस्तुतीकरण बहुत ही सूक्ष्म ध्यान पर केंद्रित होती हैं, जिसमे एक छोटी सी चूक से बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है। एक जवान ने बताया कि उनको कठोर अभ्यास के साथ-साथ अपने जौहर दिखाने के समय पर 100 प्रतिशत चौकन्ना रहना पड़ता है। उन्होंने कहा कि वह अनेकों राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रोग्रामों में बहादुरी के करतब दिखा चुके हैं।टीम को गिनीज़ बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड़ में तीन बार मान्यता मिल चुकी है जिसमें 1995 में 11 मोटरसाईकलें पर 133 जवान, 1999 में 11 मोटरसाईकलें पर 151 जवान और 2010 में एक मोटरसाईकल पर 48 जवानों द्वारा सवार होना शामिल हैं। टीम द्वारा 1982 की नई दिल्ली में हुई एशियाई खेलों में विशेष प्रदर्शन करने से 1989 में 8वें एशियन ट्रैक एंड फील्ड मीट के अलावा 1995 में बंगलोर में हुई मिस वल्र्ड सुंदरता मुकाबलों में भी अपने जौहर दिखा चुकी है।