पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आज जनहित के लिए अह्म कदम उठाते हुये वीडियो कान्फ्रेंसिंग द्वारा क्लाउड विधि पर आधारित नेशनल जैनेरिक डाक्यूमेंट्स रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एन.जी.डी.आर.एस.) की शुरुआत की जिससे अब मोगा और आदमपुर के तहसील कार्यालयों में ऑनलाइन रजिस्ट्री हुआ करेगी।कैबिनेट मंत्री ब्रहम महिंदरा, मनप्रीत सिंह बादल, चरनजीत सिंह चन्नी, तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, अरूणा चौधरी, साधु सिंह धर्मसोत और रजिया सुल्ताना की उपस्थिति में मुख्यमंत्री ने 5 जिलों अमृतसर, जालंधर, लुधियाना, पटियाला और एस ए एस नगर (मोहाली) में इलेक्ट्रॉनिक टोटल स्टेशन प्रौग्राम (ईटीएस) के पायलट प्रोजेक्ट का भी आरंभ किया जिससे जमीन की निशानदेही की जटिल प्रक्रिया अब सरल हो जायेगी। मुख्यमंत्री ने यह पहलकदमी सरकार द्वारा नागरिकों को बेहतर सेवांए मुहैया करवाने के उद्देश्य से शुरू की गई हैं।मुख्यमंत्री ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग में हिस्सा लेने वाले कमीशनरों और डिप्टी कमीशनरों को संबोधित करते हुये कहा कि वह आशा करते हैं कि राजस्व विभाग लोगों को निष्पक्ष, पारदर्शी और जवाबदेह शासन मुहैया करवाएगा। उन्होंने इन आधिकारियों को निर्देश दिए कि राजस्व अदालतों में वर्षो से लंबित पड़े सभी मामले 31 मार्च, 2018 तक निपटाने को यकीनी बनाया जाये।नागरिक केंद्रित प्रशासन निर्मित करने की ज़रूरत पर बल देते हुये मुख्यमंत्री ने आधिकारियों को राजस्व विभाग के प्रशासन को और सक्रिय बनाने व लाल फीताशाही प्रति कोई नरमी का प्रयोग न करने के लिए कहा है। मुख्यमंत्री ने आधिकारियों को कहा कि उनको जहां स्वयं जानकारी से लैस होना चाहिए, वहीं प्रशासकीय सुधार के लिए प्रक्रिया, प्रणाली और क्षमता की पुन: जांच की जानी चाहिए। उन्होंने निम्न स्तर पर कार्यालय स्टाफ में भरोसे की भावना मज़बूत करने के लिए फील्ड में निरंतर निरीक्षण करने की हिदायत दी है।
आवास एवं शहरी विकास और राजस्व व पूनर्वास विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिव विन्नी महाजन की उपस्थिति में वीडियो कान्फ्रें सिंग द्वारा राजस्व विभाग के आधिकारियों को संबोधित करते हुये कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि आज से मोगा और आदमपुर के 2 कार्यालयों में एन.जी.डी.आर.एस. लागू करने से इस वर्ष के अंत में राज्यभर में इस प्रोग्राम को प्रभाव में लाने का आधार बन गया है। इस व्यवस्था को राजस्व प्रशासन के आधुनिकीकरण और नयी राह पर लेजाने की ओर बड़ा कदम बताते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि नागरिक पक्षीय पुख्ता साईबर सिक्योरिटी से रजिस्ट्री की प्रक्रिया को आसान बनाने के अलावा इससे लोगों की मुश्किलें भी घटेंगी जिनको रजिस्ट्री के लिए राजस्व विभाग के विभिन्न कार्यालयों में बार-बार चक्कर लगाने पड़ते थे। उन्होंने कहा कि इस कदम से रजिस्ट्री की कीमतें और अन्य तरीको संबंंधी लोगों को गुमराह करने की संभावना समाप्त हो जायेगी।ऑनलाइन प्रणाली होने के कारण जहां रजिस्ट्री और अन्य दस्तावेज़ अपलोड करने के लिए संबंधित डाटा एंट्री होगी, वहीं एन.जी.डी.आर.एस. प्रोग्राम स्टैंप ड्यूटी, रजिस्ट्रेशन फीस और कुलैक्टर रेट पर अधारित फीस का हिसाब-किताब लगा लिया जाया करेगा।मुख्यमंत्री ने कहा कि उनको इस बात का दुख है कि उनकी गत् सरकार दौरान वर्ष 2002 में पी.आर.आई.एस.एम. सॉफ्टवेयर को लागू करके रजिस्ट्रेशन सिस्टम के कम्प्यूट्रीकरण की प्रक्रिया शुरू की थी परंतु गत् 10 वर्षो में इसको अपडेट नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि एन.जी.डी.आर.एस. प्रोग्राम से अब इस प्रक्रिया को बड़ा प्रौत्साहन मिलेगा।कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि रजिस्ट्री के लिए निर्धारित समय और प्रक्रिया संपूर्ण होने संबंधी संबंधित व्यक्ति को मोबाइल संदेश हासिल हुआ करेगा जिससे धोखाधड़ी की संभावना भी पूरी तरह ख़त्म हो जायेगी। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन नियुक्ति प्रणाली से नागरिक को रजिस्ट्री के लिए तिथि का चयन करने की भी सुविधा होगी। धोखाधड़ी को नकेल डालने के लिए जायदाद बेचने और खरीदने वालों का आधार नंबर भी रिकार्ड किया जायेगा।ऑनलाइन नियुक्ति प्रणाली और रिपोर्ट तैयार करने का सही समय देने के साथ-साथ फोटो लेने और अन्य विशेषताएं भी इस व्यवस्था का हिस्सा हैं जिससे दस्तावेज़ों को पोर्टल पर स्कैन करके अपलोड करने की सुविधा होगी। इससे ज़मीनी रिकार्ड को रजिस्ट्री प्रक्रिया के साथ लिंक करने के अलावा सब-रजिस्ट्रार की बॉयो-मैट्रिक प्रमाणिकता होगी।
यहां यह जिक्र योग्य है कि देश में पंजाब पहला राज्य है जहा एन.जी.डी.आर.एस. प्रोजेक्ट जोकि भारत सरकार का उद्यम है, को लागू किया गया है।ई.टी.एस. सिस्टम का जि़क्र करते हुये मुख्यमंत्री ने इसको ज़मीन की जटिल और पेचीदा निशानदेही का एक ही जगह हल बताया। उन्होंने कहा कि इस प्रोग्राम को विशेष तौर पर ज़मीन की बांट के लिए प्रयोग में लाया जायेगा जिससे खेतों के क्षेत्रफल की निशानदेही सरल ढंग से की जा सकेगी।मुख्यमंत्री ने बताया कि यह प्रोग्राम निशानदेही वाले हिस्सों को जी. आई.एस. डाटा के साथ जोडऩे में सहायक होगा और इसके साथ ही ज़मीन का मालिक अपने हिस्से की ज़मीन का नक्शा ऑनलाइन देख सकेगा। उन्होंने कहा कि इस प्रोग्राम से मौजूदा समय निशानदेही के बेकार ख़र्च को घटाने के साथ-साथ दोनों पक्षों में आपसी विवाद कम होने में भी सहायता मिलगी।मुख्यमंत्री ने कहा कि ई.टी.एस. प्रोग्राम के द्वारा निशानदेही की समूची प्रक्रिया में विश्वसनीयता, योग्यता, पारदर्शिता और दरुसती को और अधिक यकीनी बनाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि इस विधि के द्वारा तैयार किया ज़मीनी रिकार्ड अधिक सही होगा।मुख्यमंत्री ने बताया कि निशानदेही के लिए प्रस्तावित दरें प्राईवेट ऑपरेटरों द्वारा वसूली जाती दरों के मुकाबले अधिक वाजिब होंगी क्योंकि प्राईवेट ऑपरेटरों की दरें छोटे किसानों के लिए वाजिब नहीं हैं। उन्होंने कहा कि निशानदेही के लिए दरें 1 दिसंबर, 2017 से लागू की जाएंगी।मुख्यमंत्री ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग में शामिल कमीशनरों और डिप्टी कमीशनरों को संबोधित करते हुये कहा कि ज़मीन के बटवारे के मामलों के प्रति विशेष ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है। उन्होंने आधिकारियों को आम लोगों के मामलों प्रति संवेदनशील होने का निर्देश दिए जिसमें कुशल, पारदर्शी और नागरिक केंद्रित प्रशासन प्रदान करने के अलावा सार्वजनिक कार्यालयों विशेषकर जि़ला, तहसील और गांव स्तर पर लोगों को उचित सुविधांए मुहैया करवाने को यकीनी बनाना है।इस अवसर पर मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल, मुख्य सचिव करन अवतार सिंह, मुख्य प्रमुख सचिव सुरेश कुमार, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव तेजवीर सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह एन एस कलसी, अतिरिक्त मुख्य सचिव और वित्त कमिशनर राजस्व विन्नी महाजन, प्रमुख सचिव अनिरूद्ध तिवाड़ी, सचिव राजस्व दीपइंदर सिंह और सचिव राजस्व एस करूना राजू भी उपस्थित थे।