पंजाब के मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आतंकवादियों द्वारा मारे गए सरकारी कर्मचारियों की विधवाओं के लिए विशेष पारिवारिक पैंशन बहाल कर दी है। इसी के साथ ही मुख्य मंत्री ने आंतकवाद के दौर में मारे गए पुलिस कर्मचारियों के परिवारों को लाल कार्ड स्कीम का लाभ देने की भी सहमति दे दी।वर्ष 2016 में गत् अकाली सरकार ने विशेष पैंशन स्कीम बंद कर दी थी और कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सूबे में कांग्रेस की सरकार आने पर इस स्कीम को बहाल करने का वायदा किया था। मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि इस स्कीम के अंतर्गत विधवा को उस की मौत तक पैंशन मिलेगी जबकि इससे पहले उस के फिर विवाह हो जाने तक पैंशन देने का उपबंध था।शहीद पुलिस कर्मचारियों के परिवारों द्वारा अपील से सहमति प्रकट करते हुये मुख्यमंत्री ने भरोसा दिया कि उनको तुरंत प्रभाव से लाल कार्ड दिए जाएंगे जो कि अबतक सिफऱ् आंतकवाद से पीडित सिवलियनों को ही दिए जाते हैं। पंजाब पुलिस के बहादुरी और बलिदान भरे इतिहास का जि़क्र करते हुये मुख्यमंत्री ने आंतकवाद दौरान पंजाब द्वारा झेली कठिन प्रस्थितियों और शांति की बहाली के लिए पुलिस की महान बलिदानों को याद किया।कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शहीद परिवारों के साथ वायदा किया कि हथियारबंद पुलिस में भर्ती, उनके बच्चों की तैनाती गृह जिलों के नज़दीक करने संबंधी मांग को सरकार द्वारा हमदर्दीपूर्वक विचार मे लाया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने यह घोषणा आज यहां पंजाब पुलिस हैडक्वाटर में शहीदी दिवस की पूर्व संध्या के अवसर पर किया। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पुलिस फोर्स के शहीदों को श्रद्धांजलि भेंट की और पुलिस के इतिहास में पहली बार शहीदों के परिवारों से बातचीत करने के इलावा ज्योति जगाई।सूबे में एस.पी.ओज़ और होमगार्डज़ सहित पुलिस के कुल 1600 शहीदों का जि़क्र करते हुये मुख्यमंत्री ने शहीद पुलिस कर्मचारियों के परिवारों सहित शेष पुलिस फोर्स और उनके परिवारों के भलाई के लिए अपनी सरकार की वचनबद्धता को दोहराया । कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बताया कि विशेष पारिवारिक पैंशन के लिए डी.जी.पी. को ज़रूरी निर्देश पहले ही जारी कि ये जा चुकें हैं और इस स्कीम को आंतकवाद विरुद्ध लड़ाई दौरान मारे गए सरकारी कर्मचारी की विधवा या माता को पैंशन दी जायेगी।मुख्यमंत्री ने बताया कि पैंशन की राशि कर्मचारी की मूत्यु के समय उसका अंतिम वेतन के बराबर होगी। उन्होंने कहा कि शहीदों की विधवाएं हम परिवार का हिस्सा हैं और उनकी संभाल करना हमारा फज़ऱ् है।मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस कर्मचारी बहुत कठिन स्थितियों में काम करते हैं और कई बार उनको 24 -24 घंटे काम करना पड़ता है जिस कारण वह अधिकतर समय अपने परिवारों से दूर रहते हैं। उन्होंने दुख ज़ाहिर करते हुये कहा कि उनको बढिय़ा मकान, सेहत संभाल और बच्चों की शिक्षा जैसी प्राथमिक सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि लड़ाई में मारे जाते पुलिस कर्मचारियों के परिवारों को अक्सर गरीबी और बेसहारे वाला जीवन व्यतीत करना पड़ता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने आतंकवादियों द्वारा मारे गए पुलिस कर्मचारियों में से कुछ कर्मचारियों के बच्चों को एक्स -ग्रेशिया सहायता और नौकरियां पहले ही दे दीं हैं और यह प्रक्रिया इसी तरह जारी रहेगी। मुख्यमंत्री ने पुलिस कर्मचारियों और उनके परिवारों को भरोसा दिया कि अगले कुछ महीनों में उनके लिए अन्य कल्याण प्रयासों का ऐलान किया जायेगा।पंजाब पुलिस हैडक्वाटर के प्रवेश द्वार पर स्थापित की गई शहीदी यादगार पंजाब पुलिस द्वारा अपने शहीदों को एक नम्र श्रद्धांजलि है। यादगार की भावना राबर्ट लोरेन्स बाययोन की कविता ''फार दी फालन दे एक मशहूर कथन द्वारा दर्शाई गई है। यह कविता पहले विश्व युद्ध के शुरू होने पर 1914 में रची गई थी। इस कविता की एक पंकति, ''सुबह -शाम, हम उन को याद रखेंगे। इस यादगार पर शहीदों के नाम विवरण सहित अंकित हुए हैं।इस मौके पंजाब पुलिस के मुखी श्री सुरेश अरोड़ा ने बताया कि एक दीवार पर शहीदों के नाम के साथ शहीदी ज्योत स्थापित करने का विचार उन को न्यूयार्क में न्यूयार्क पुलिस डिपार्टमैंट हैडक्वाटर के दौरे दौरान आया।इस मौके पर मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रमुख सचिव सुरेश कुमार, मुख्य मंत्री के प्रमुख सचिव तेजवीर सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) एन.एस. कलसी, डी.जी.पी. अमन एवं कानून एच.एस. ढिल्लों, डी.जी.पी. इंटेलिजेंस दिनकर गुप्ता, डी.जी.पी. प्रशासन एम.के. तिवाड़ी, डी.जी.पी. जेलें आई.पी.एस. सहोता, डी.जी.पी. प्रबंध और आधुनिकीकरण वी.के. भावरां, जांच ब्युरो के डायरैक्टर प्रबोध कुमार, डी.जी.पी. (आई.वी.सी.) जसमिंदर सिंह, डी.जी.पी. (एच.आर.डी. एस. चटोपध्याए, ए.डी.जी.पी.-कम -चीफ़ विजिलेंस डायरैक्टर बी.के.उप्पल, ए.डी.जी.पी. -कम -डायरकैटर जनरल होमगार्डज़ बी.के. बावा, ए.डी.जी.पी. कल्याण संजीव कालडा, ए.डी.जी.पी. नीति, नियम और यातायात शरद सत्या चौहान, ए.डी.जी.पी. सुरक्षा गौरव यादव, ए.डी.जी.पी. (पी.ए.पी) कुलदीप सिंह और ए.डी.जी.पी. मुख्यमंत्री /सुरक्षा ख़ूबी राम उपस्थित थे।