राज्य में औद्योगीकरण को प्रोत्साहन देने और आर्थिक गतिविधि को पुनर्जीवित करने के लिए पंजाब मंत्रीमंडल ने नयी औद्योगिक और व्यापारिक विकास नीति -2017 को मंजूरी दे दी है जिस से पहली नवंबर से औद्योगिक बिजली दर पाँच रुपए प्रति यूनिट निर्धारित करने और पंजाब राज्य औद्योगिक विकास निगम के कजर् के एकमुश्त निपटारो के लिए रास्ता साफ हो गया है।पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता अधीन हुई मंत्री मंडल की मीटिंग दौरान इस नई नीति पर मोहर लगाई गई है जिसके साथ महत्वपूर्ण विशेषताएं वाली इस नीति को स्वीकृति मिल गई है। इसमें मौजूदा और नये उद्योगों के लिए अगले पांच वर्षो के लिए बिजली दरें निर्धारित करने की व्यवस्था भी है।आज यहां एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि इस नई नीति में मौजूदा इकाईयों को नई इकाईयों के बराबर प्रसार, आधुनिकीकरण और इनका स्तर ऊँचा करने के लिए रियायतें उपलब्ध कराने के अलावा इस नीति में पंजाब राज्य औद्योगिक विकास निगम (पी.एस.आई.डी.सी.), पंजाब वित्त निगम (पी.एफ.सी.) और पंजाब एग्रो औद्योगिक निगम लिमिटिड (पी.ए.आई.सी.) से लिए गए औद्योगिक कर्जों का एकमुश्त निपटारा की भी व्यवस्था की गई है।प्रवक्ता अनुसार एकमुश्त निपटारा स्कीम -2017 के साथ रुके हुए औद्योगिक निवेश और संपत्ति को जारी करने में मदद मिलेगी और यह उत्पादक उपयोग में आ जाएगी जिसके साथ पंजाब में मौजूदा उद्योग पुनर्जीवित हो जाएगा ।
इसके साथ इन निगमों पर मुकदमेबाज़ी का बोझ भी घटेगा और विकास कार्यों के लिए राजस्व पैदा होगा।प्रवक्ता अनुसार कजऱ्े क ा एकमुश्त निपटारा संबंधी में बिजली मंत्री राणा गुरजीत सिंह उपस्थित नहीं थे क्योंकि इससे उनकी कंपनी को भी लाभ मिलेगा।नई नीति के नीचे औद्योगिक बुनियादी ढांचा के विकास को उच्च प्राथमिकता दी गई है। इसमें सीमावर्ती जिलोंं, सीमावर्ती ज़ोनों और तटीय क्षेत्रों के विकास पर भी ज़ोर दिया गया है। मंत्रीमंडल की मीटिंग में मुख्यमंत्री ने सरहदी क्षेत्रों में मौजूदा उद्योग को रियायतों 125 प्रतिशत से बढा कर 140 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया।नई नीति उद्योग और व्यापारिक विभाग की तरफ से तैयार की गई है। इसको कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में 17 मार्च को हुई मंत्रीमंडल की पहली मीटिंग दौरान जि़म्मेदारी सौंपी गई थी। यह नीति औद्योगिक ऐसोसिएशनें और सम्बन्धित विभागों सहित सभी दावदारों विचार - विमर्श के बाद तैयारी की गई है। इसमें व्यापार पहले दर्शन पर केंद्रित किया गया है और एक खिड़की दृष्टिकोण अपनाया गया है। प्रत्येक चरण पर मंजूरी को आसान किया गया है।व्यापार को आसान बनाने के उद्देश्य से नई औद्योगिक नीति में आठ राजनीतिक स्तम्भ स्थापित किये गए हैं जिस में बुनियादी ढांचा, बिजली, एम.एस.एम.ई., स्टार्ट अपना और उद्यम, हुनर विकास, व्यापार करने को आसान बनाना, वित्तीय और ग़ैर-वित्तीय रियायतों, हिस्सेदारों की शमुलियत पर नीति लागू करने इकाई और सैक्टर केंद्रित रणनीतियां शामिल हैं।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एम.एस.एम.ई.) के विकास पर विशेष ज़ोर दिया गया है। एम.एस.एम.ई. इकाइयों के विकास और वृद्धि के लिए विभिंन केंद्रीय और राज्य सरकार की नीतियाँ को लागू करने के लिए सुविधाएं की बात कही गई है। विकास के लिए 10 प्रौद्यौगिकी केंद्र, 10 कॉमन फैसीलिटी सैंटर और 10 क्लस्टर पहले चरण में स्थापित किये जाएंगे। इसके अलावा राज्य सरकार लुधियाना, जालंधर, अमृतसर, एस.ए.एस नगर और पटियाला में एम.एस.एम.ई. एक्ट -2006 अधीन एम.एस.एम.ई. फैसीलिटेशन कौंसिलों स्थापित करेगी जिसके द्वारा मध्यम और बड़े उद्योगों की तरफ से भुगतान की देरी के लिए सूक्ष्म और लघु इकाईयाँे को सुविधा उपलब्ध करवाना है।मौजूदा उद्योग /एम.एस.एम.ईज़ को जिला स्तर पर एक खिड़की सुविधा उपलब्ध करवाना और बीमार एम.एस.एम.ई. इकाईयोँ को विशेष राहत उपलब्ध करवाना इस नीति की अन्य महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं। बिजली कर, बिजली बिलों, हाऊस टैक्स और जल वसूली के लिए पांच साल बकाए की वसूली को मुलतवी करना दूसरी विशेषताओं में शामिल है। इन इकाईयोँ को बंद रहने के समय दौरान बिजली कनैक्शन से कम से -कम प्रभार से छूट दिलाना भी है और दो साल के लिए बिजली ड्यूटी से छूट देने की रियायत भी उपलब्ध करवाई जाएगी।प्रवक्ता अनुसार राज्य सीमावर्ती जि़लों को बी.आई.एफ.आर. रजिस्टर्ड /घोषित बीमार बड़ी इकाइयोँ को एकमुश्त विशेष राहत पैकेज देगा। इसके अधीन 75 प्रतिशत नैट वैट /नैट एस.जी.एस.टी. का पुन: भुगतान पाँच साल के लिए किया जायेगा जबकि दूसरे जिलों को पाँच साल के समय के लिए 50 प्रतिशत नैट वैट /नैट एस.जी.एस.टी. का पुन: भुगतान किया जायेगा। इसके साथ ही बिजली करों, बिजली बिलों, हाउस टैक्स और जल बिलों के बकाए की वसूली पाँच साल के लिए आगे बढ़ाई जायेगी। इन इकाइयों को बंद रहने के समय दौरान बिजली कनैक्शन के कम से -कम चार्जिज़ से भी छूट दी जायेगी और तीन साल के लिए बिजली कर से छूट की रियायत भी उपलब्ध करवाई जायेगी।
इस नीति की एक अन्य महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि पी.एस.आई.ई.सी. का संवैधानिक अथॉरटी के तौर पर स्तर ऊँचा उठाया जायेगा और सभी औद्योगिक इकाइयों के संरक्षण इसके द्वारा किया जाएगा। 14 अन्य नये औद्योगिक पार्कों को विकसित किया जायेगा और सभी इकाइयों की प्रशास्निक नीतियोँ और काम करने के ढंग के मापदंड बनाए जाएंगे। मोहाली, लुधियाना, जालंधर और अमृतसर के लिए पहले चरण दौरान प्रदर्शनी और कन्वेंशन सैंटर स्थापित किये जाएंगे।इस नीति में विभिंन रियायतें उपलब्ध करवाई गई हैं। इस में निवेश सब्सिडी भी दी गई है जो कि नैट एस.जी.एस.टी., बिजली कर से छूट, जायदाद टैक्स और अन्य रियायतें से छूट के रूप में पुन: भुगतान के द्वारा उपलब्ध करवाई जायेगी। एम.एस.एम.ई. इकाइयोँ को बड़े उद्योगों के मुकाबले ज़्यादा रियायतों दीं गई हैं जिसमें वित्त, बुनियादी ढांचे, मार्किट, प्रौद्यौगिकी, सुविधाओं तक पहुँच शामिल है।उत्पादन और सेवा उद्योग के विभिंन सैक्टरोंं की वित्तीय इकाइयाँ को अतिरिक्त वित्तीय रियायतों दीं गई हैं। विद्युत गाड़ीयोँ, मैडीकल साजो -सामान, पोशाकें, बूट, इलैेक्ट्रोनिक्स, फूड प्रसैसिंग इकाइयोंँ, एरो स्पेस और डिफेंस और बायोप्रौद्यौगिकी सैक्टरों पर उत्पादन के क्षेत्र में ज़ोर दिया गया है। सेवा उद्योग में आई.टी. और आई.टी.ई.एस., लाईफ साईंसिज़, हुनर विकास सैंटरों, स्वास्थ्य संभाल, पर्यटन, आतिथ्य, मीडिया और मनोरंजन पर ज़ोर दिया गया है।इस नीति की एक विशेषता यह भी है कि राज्य में स्टार्टअप के सभ्याचार को प्रोत्साहन देने के लिए 100 करोड़ रुपए के फंड पैदा करने के अलावा हुनर यूनिवर्सिटी और उद्योग केंद्रित हुनर विकास सैंटर स्थापित करना है। सभी हुनर प्रशिक्षण स्कीमं पंजाब स्किल डिवैलपमैंट मिशन नाम की एक एजेंसी के अधीन लाईं जाएंगी।दावेदारों की सरगर्मियाँ को बढ़ाने और प्रशासनिक विधि—विधान को उत्साहित करने के लिए मुख्य मंत्री के नेतृत्व में पंजाब उद्योग और व्यापार विकास बोर्ड स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया है जिसमें अन्य सम्बन्धित मंत्री, मुख्य सचिव और प्रशासनिक सचिव लिए जाएंगे।समस्याओं के निर्धारण और विकास को प्रोत्साहन देने के लिए विशेष सैक्टरों के लिए विशेष रणनीतियां तैयार की जाएंगी।