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भाजपा हुकूमत कांग्रेस से भी जहरीली : अन्ना हजारे

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5 Dariya News

15 Oct 2017

आंदोलन करने को कहकर बार-बार पलटी मारने वाले विख्यात समाजसेवी अन्ना हजारे एक बार फिर आंदोलन की हुंकार भर रहे हैं। कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करने वाले अन्ना आजकल उनसे खासे नाराज हैं। मोदी को उन्होंने अब सबसे नाकारा पीएम तक कह डाला है, जिसकी अहम वजह अन्ना के खत का पीएम का जबाव न देना है। लोकपाल के मुद्दे पर वह प्रधानमंत्री को लगातार खत लिख रहे हैं, पर मोदी उनके किसी खत का जवाब नहीं दे रहे हैं। इसलिए अन्ना ने अब 2011 जैसे आंदोलन की फिर से चेतावनी दी है। अन्ना इससे पहले भी वह कई बार आंदोलन करने की बात कह चुके हैं, जो बाद में हवा-हवाई साबित हुई। लेकिन इस बार उन्होंने महात्मा गांधी की समाधि पर जाकर, कसम खाकर आंदोलन करने की बात कही, इसलिए भरोसा किया जाना चाहिए। इस मौके उन्होंने विस्तृत बातचीत की।मैंने सवाल किया, "आंदोलन करूंगा, ये कहकर आप खलबली मचा देते हैं और चुपचाप बैठ जाते हैं। ऐसे में तो आपकी गंभीरता कम हो जाएगी। क्या इस बार पक्का आंदोलन करेंगे?" उन्होंने कहा, "शत प्रतिशत होगा इस बार आंदोलन। मैं पलटी नहीं मारता था, नेता चालाकी से मुझे सभी मुद्दे पूरा करने को कहकर शांत करा देते थे। मुझे जनता में झूठा बनाने की ये उनकी सोची समझी तरकीब थी।"अन्ना ने कहा, "जिस उम्मीद के साथ देश की जनता ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के तौर पर चुना था, उस पर वह खरा नहीं उतर सके। मौजूदा अर्थव्यवस्था डावांडोल हो गई है। काम-धंधे चौपट हो गए हैं।

 सरकारी कार्यालयों में बिना रिश्वत के काम नहीं होता। नोटबंदी के बाद मैंने सरकार के कई मंत्रियों से पूछा कि इससे विदेशों में जमा कितना काला धन भारत आया, तो कोई जबाव नहीं देता। ऐसे कई गंभीर मुद्दे हैं, जिनका मैं जवाब मांगता रहा हूं, लेकिन कोई जबाव देने को राजी नहीं। शायद प्रधानमंत्री ने मुझसे बात करने के लिए सभी को मना कर दिया है।"उन्होंने कहा, "मैंने पिछले 6-7 महीनों में कई बार मोदी को खत भेजे हैं, किसी का उन्होंने जबाव देना उचित नहीं समझा। मैं पूछना चाहता हूं आखिर क्यों नहीं उत्तर देते हो। मैं अपने लिए थोड़ी न कुछ मांग रहा हूं। जीएसटी लगाने के बाद व्यापारियों को कितनी तकलीफ सहनी पड़ रही है, इसका अंदाजा भी नहीं है प्रधानमंत्री को। रोजाना व्यापारी मुझसे मिलते हैं और कहते हैं कि हमारी आवाज बुलंद करो, क्योंकि उनकी बात सरकार नहीं सुनती।आंदोलन करने की कोई तारीख तय की है? जवाब में अन्ना ने कहा, "इस साल दिसंबर के अंत में या शुरुआती साल के पहले महीने में मैं फिर से आपको रामलीला मैदान में बैठा दिखाई दूंगा।..और मुझे यह भी पता है कि इस बार आंदोलन को असफल बनाने के पूरे प्रयास किए जाएंगे। रामलीला मैदान में लोगों को पहुंचने से भी रोका जाएगा। मेरे पास इस तरह की खबरें आ रही हैं।" उन्होंने कहा, "मौजूदा सरकार कांग्रेस सरकार से भी जहरीली दिख रही है। कांग्रेस सरकार में कम से कम बात सुनी तो जाती थी, वह अलग बात है कि उस पर अमल नहीं होता था। लेकिन मोदी सरकार अपने घमंड में इतनी चूर हो गई है कि किसी से बात करना भी उचित नहीं समझती।" वर्ष 2011 के आंदोलन में आपको अभूतपूर्व जनसमर्थन मिला था, जिसमें भाजपा-आरएसएस का भी समर्थन शामिल था। आपको उम्मीद है आगे भी ऐसा ही समर्थन मिलेगा?"मैं आज भी पहले जैसा ही फकीर हूं। उस वक्त मेरे साथ जो लोग थे, उनकी मंशा कुछ और थी। वे सभी आंदोलन की आड़ में अपना उल्लू सीधा करना चाहते थे, वैसा किया भी। मुझे दिखावे की भीड़ नहीं चाहिए। दूसरे आंदोलन के लिए मुझे नि:स्वार्थ आंदोलनकारियों की जरूरत होगी। लोग मेरे साथ आज भी हैं। देश के भीतर जो समस्या 2011 में थी, वह सभी ज्यों की त्यों हैं। कोई फर्क या सुधार नहीं हुआ। लोगों के भीतर फिर वैसी ही नाराजगी है।""अब लोगों में मोदी के प्रति प्यार नहीं, बल्कि डर घुस गया है। उनके मंत्रियों की भी कोई मजाल नहीं कि उनके फैसले पर उंगली उठा सके। जिस-जिसने ऐसा किया, उसका हाल हम-आप देख ही चुके हैं।"आपकी लोकपाल की मांग को सरकार ने तकरीबन नकार दिया है।

 इसकी कोई खास वजह?"ठंडे बस्ते में पड़ा है लोकपाल का मसौदा। छह बार संसद के पटल पर आ चुका है, लेकिन उसे लागू करने में सरकार के हाथ कांप रहे हैं। उनको पता है, लोकपाल को लागू करने का मतलब उनके खुद के गले में फांसी का फंदा डालना होगा। सरकार के आधे मंत्री जेल में होंगे। बाकी दलों के नेताओं की तो बात ही न करो।" "लोकपाल के लिए 2012 में हमने जो मसौदा तैयार करके भेजा था, उसे पूरा बदल दिया गया है। अब जो है, वह कूड़ा है। जिन राज्यों में लोकायुक्त नियुक्त किए गए हैं, वे सफेद हाथी के सिवाय कुछ नहीं हैं। मुझे कोई बताए कि मोदी के आने के बाद उन्होंने अपनी कार्रवाई से किसी नेता को जेल भेजा हो। सभी लोकायुक्त सरकारों के हिस्सा बन गए हैं।" आंदोलन पार्ट-2 में क्या आप केजरीवाल या उनके साथियों को शामिल करेंगे?"मुझसे होशियारी दिखाके उनको जो हासिल करना था, उन्होंने हासिल कर लिया। लोकपाल बनाने की पहली मांग अरविंद की थी, पर दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने के बाद वह पलटी मार गए। आज वह इस मुद्दे पर बात करना भी मुनासिब नहीं समझते। उनके दूसरे साथी जो राजनीति को कभी कीचड़ कहते थे, आज सभी उसी दलदल में समाए हुए हैं। दरअसल, उन सबका मकसद राजनीति में ही जाना था, जिसे मैं भांप नहीं पाया। लेकिन आगामी आंदोलन में उनको शामिल नहीं किया जाएगा। सबको दूर रखा जाएगा।"आप पर आंदोलन की सार्थकता को खत्म करने का आरोप लग चुका है, क्या कहेंगे?"मैं इस आरोप को काफी हद तक सही मानता हूं। दरअसल, 2011 का आंदोलन हाईजैक हुआ था। जो लोग उस आंदोलन में जुड़े थे, उन्होंने लोगों के विश्वास को तोड़ा है। अपने स्वार्थ के लिए लोगों की संवेदानाओं की भी हत्या कर दी। मैं मानता हूं कि लोगों का विश्वास आंदोलनों के प्रति कम हुआ है। मेरे आंदोलन का भी वही हश्र हुआ, जो कभी जेपी आंदोलन का हुआ था।" 

 

Tags: Anna Hazare

 

 

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